नर्मदा किनारे शराब के खिलाफ जारी है कृष्णा की जंग

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नर्मदा किनारे शराब के खिलाफ जारी है कृष्णा की जंगहोशंगाबाद जिले के डोंगरवाड़ा गाँव में कृष्णा बाई (55) शराब के खिलाफ कई वर्षो से जंग लड़ रही हैं।

होशंगाबाद (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भले ही नर्मदा नदी के किनारे शराब की दुकानें बंद कर नई दुकानें न खोलने का ऐलान किया हो, मगर होशंगाबाद जिले के डोंगरवाड़ा गाँव में कृष्णा बाई (55) शराब के खिलाफ कई वर्षो से जंग लड़ रही हैं।

शराब का जिक्र आते ही कृष्णा बाई के माथे पर बल पड़ जाते हैं। उनके सामने गाँव की तस्वीर उभर आती है, जो उन्हें डरा देती है। वह समस्याओं और समाज के पतन का कारण शराब को मानती हैं, यही वजह है कि वह शराब के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। वह शराब पीने वालों के खिलाफ गाँव के लोगों में ही जागृति लाने में जुटी हुई हैं।

नर्मदा नदी के किनारे के गाँव की कृष्णा बाई आम महिलाओं की तरह हुआ करती थीं, मगर उन्होंने देखा की गांव की बड़ी आबादी शराब की जद में है। इतना ही नहीं, उनके बेटे को भी इस बुराई ने अपनी जद में ले लिया तो वे अंदर तक हिल गई और उन्होंने तय किया कि वे अपने गांव ही नहीं, आसपास के गाँव में शराब के खिलाफ अभियान चलाएंगी। उनका यह अभियान जारी है और इससे बड़ी संख्या में महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी जुड़े हैं।

उन्होंने गाँव की महिलाओं के साथ मिलकर दुर्गा समिति बनाई। इस समिति की महिलाएं घर-घर जाकर नशे के आदी लोगों को शराब छोड़ने का आग्रह करती हैं, अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अपने तरह से सबक सिखाती हैं। इतना ही नहीं, उन स्थानों पर छापा भी मारती हैं, जहां से अवैध बिक्री होती है। शराब के मिलने पर इसकी सूचना पुलिस और आबकारी विभाग को दी जाती है।

कृष्णा बाई बताती हैं कि कभी गाँव का आलम यह था कि यहां की युवा वर्ग की आधी से अधिक आबादी शराब के नशे से घिरी हुई थी, जिससे गांव का माहौल भी अशांत हुआ करता था। इस पर काबू पाने के लिए चले अभियान को विभिन्न वर्गो का साथ मिला।

इस अभियान से जुड़ी बसंती बाई बताती हैं कि उनके लिए इस अभियान से जुड़ना आसान नहीं था, क्योंकि कई बार उनके ही परिवार के लोगों ने विरोध किया, मगर बाद में सब इससे सहमत हो गए। आगे चलकर समाज के लोगों का भी साथ मिला। यही कारण है कि कई स्थानों पर अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगी तो शराब पीने वाले इससे दूर हो चले।

ऐसा नहीं है कि इस अभियान से सिर्फ महिलाएं जुड़ी हों। जसवंत बताते हैं कि समाज में शांति और गांव के विकास के लिए जरूरी है कि शराब पर पाबंदी लगे। सरकार और सरकारी मशीनरी को भी यह कोशिश करना चाहिए कि युवाओं में शराब की लत न बढ़े।

राज्य में नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे 'नमामि देवी नर्मदे' सेवा यात्रा निकाली जा रही हैं। यह यात्रा 11 दिसंबर को अमरकंटक से शुरू हुई है और उसका समापन 11 मई को अमरकंटक में ही समाप्त होगी।

इस अभियान के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने नर्मदा किनारे पांच किलोमीटर की परिधि की शराब दुकानें बंद और नई दुकान न खुलने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर कृष्णा बाई सवाल उठाती हैं कि क्या ऐसा हो पाएगा?

     

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