वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में पेश किया नोटबंदी विधेयक

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   3 Feb 2017 6:02 PM GMT

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में पेश किया नोटबंदी विधेयकलोकसभा में बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली।

नई दिल्ली (भाषा)। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी से संबंधित विनिर्दिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अध्यादेश 2016 की जगह लेने वाले विधेयक को लोकसभा में पेश किया। जिसमें 31 दिसंबर 2016 के बाद पुराने 1000 और 500 रुपए के नोटों को रखने, उनका लेनदेन करने या प्राप्त करने को प्रतिबंधित किया गया है।

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने विधेयक पर विरोध दर्ज किया।

वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा विधेयक पेश किए जाने से पहले तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने विधेयक पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा, ‘‘यह विधेयक गैरकानूनी है।''

हालांकि जेटली ने संसद की कार्यवाही संचालन के नियम के तहत तृणमूल सांसद सौगत राय के विधेयक का विरोध करने के आधार पर ही सवाल खड़ा किया और कहा कि किसी विधेयक का उसकी विधायी क्षमता या उसके असंवैधानिक होने के आधार पर ही विरोध किया जा सकता है, दोनों आधारों पर यह उनकी (राय की) यह दलील कहीं नहीं ठहरती है। वित्त मंत्री ने कहा कि तृणमूल सदस्य केवल यह कहकर विरोध नहीं कर सकते कि ‘विधेयक सही नहीं है।'

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में यह कहा गया है कि संसद सत्र में नहीं होने के कारण यह विधान लाना आवश्यक हो गया था। इसलिए राष्ट्रपति द्वारा बैंक नोटों में दायित्वों को समाप्त करने के लिए तारीख 31 दिसंबर 2016 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अध्यादेश 2016 को मंजूरी दी गई थी।

विधेयक में प्रावधान है कि कोई व्यक्ति 31 दिसंबर 2016 के नियत दिन के बाद से विनिर्दिष्ट बैंक नोट यानी 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को नहीं रखेगा, अंतरित या प्राप्त नहीं करेगा। विधेयक में इस धारा का उल्लंघन करने वालों पर 10,000 रुपए का जुर्माना या उल्लंघन करते हुए रखे गए विनिर्दिष्ट बैंक नोटों के अंकित मूल्य की रकम के पांच गुना, जो भी ज्यादा हो, अदा करने का दंडनीय प्रावधान है।

विधेयक के अनुसार, अंकित मूल्य का विचार किए बिना कुल दस नोटों से अधिक नहीं रखने वालों और अध्ययन, अनुसंधान या मुद्राशास्त्र के लिए प्रयोजनों के लिए 25 नोटों से अधिक नहीं रखने वालों पर, यह दंडनीय प्रावधान लागू नहीं होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी की अधिसूचना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) के तहत जारी की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के उस समय तक प्रचलित नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी।

सदन में विधेयक पेश किए जाने के दौरान सौगत राय ने कहा कि आठ नवंबर को संसद को संज्ञान में लिए बिना प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा कर दी जो ‘‘अवैध'' थी। उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना भारतीय रिजर्व बैंक को जारी करनी थी, सरकार को नहीं। राय ने कहा कि यह विधेयक मंत्री की क्षमता के दायरे में नहीं आता है और इससे संबंधित अध्यादेश अवैध है जिसके स्थान पर विधेयक लाया जा रहा है।

वित्त मंत्री कभी इस सदन के सदस्य निर्वाचित नहीं हुए इसलिए उन्हें यहां के नियमों की जानकारी नहीं है।
सौगत राय सांसद तृणमूल (विधेयक पर विरोध दर्ज कराते हुए)

इस पर भाजपा के कुछ सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया।

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने इस पर कहा कि वित्त मंत्री इस सरकार के मंत्रिमंडल में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हैं. वह एक अनुभवी सांसद हैं और उन्हें उत्कृष्ट सांसद के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सौगत राय ने जो बात उठाई है, उनमें वे कई पहलुओं पर गलत हैं। तृणमूल सदस्य की चिंताओं पर जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि वह जो बात बता रहे हैं, उनसे राय के संसदीय अनुभव में इजाफा होगा जो वह सीख रहे हैं।

विधेयक में यह उपबंध है कि भारत का कोई नागरिक अगर घोषणा करता है कि वह नौ नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच भारत से बाहर था और जो आठ नवंबर 2016 को या उससे पहले 500 और 1000 रुपए के अमान्य किए गए नोट रखे हुए था उसे अनुग्रह अवधि (ग्रेस पीरियड) के भीतर ऐसी घोषणाओं या कथनों के साथ रिजर्व बैंक के कार्यालयों में या उसके द्वारा निर्धारित तरीके से जमा करने का अधिकार होगा।

विधेयक में ‘अनुग्रह अवधि' से आशय केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से निर्दिष्ट उस अवधि से है जिसमें कानून के मुताबिक पुराने नोट जमा किए जा सकते हैं।

विधेयक की धारा 4 की उपधारा। के खंड 2 में कहा गया है कि केंद्र सरकार की अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट किसी श्रेणी में या कारण के दायरे में आने वाले लोग भी अनुग्रह अवधि में अपने पुराने नोट जमा कर सकेंगे।

धारा 4 के खंड 2 के अनुसार यदि रिजर्व बैंक जरूरी सत्यापन करने के पश्चात इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि अधिसूचना में निर्दिष्ट अवधि के भीतर नोट जमा नहीं करने के किसी व्यक्ति के कारण वास्तविक हैं तो वह नोटों के मूल्य को उसके अपने ‘केवाईसी' (ग्राहक को जानिए) वाले बैंक खाते में ऐसे तरीके से जमा कर सकेगा जिसे उसने निर्दिष्ट किया हो।

धारा 6 के अनुसार यदि धारा 4 की उपधारा। के अधीन कोई घोषणा जानबूझकर की जाती है और असत्य है तो उस पर 50,000 रुपए तक का जुर्माना या दिए गए बैंक नोटों के अंकित मूल्य की रकम का पांच गुना, जो भी अधिक है, दंड के तौर पर देना होगा।

विधेयक के अनुसार प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली यदि कोई कंपनी है तो उल्लंघन किए जाते समय या कंपनी के कारोबार के संचालन के लिए कंपनी के प्रति उत्तरदायी प्रत्येक व्यक्ति के साथ ही कंपनी को उल्लंघन का दोषी समझा जाएगा और उस अनुसार उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी और वे दंडित किए जाने के लिए उत्तरदायी होंगे।

हालांकि यदि कोई सिद्ध कर दे कि उल्लंघन उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने उल्लंघन को रोकने के लिए हरसंभव तत्परता दिखाई तो वह दंड का पात्र नहीं होगा।

            

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