जानें आर्थिक समीक्षा 2016-17 की मुख्य बातें 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   31 Jan 2017 3:27 PM GMT

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जानें आर्थिक समीक्षा 2016-17 की मुख्य बातें वित्त मंत्री अरुण जेटली।

नई दिल्ली (भाषा)। संसद में आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक समीक्षा लोकसभा में पेश की। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की रफ्तार अच्छी है और यह 4.1 फीसदी रहेगी।

पेश आर्थिक समीक्षा 2016-17 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं।

  • वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर 6.75-7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी।
  • व्यक्तिगत आयकर की दरों, जमीन जायदाद पर स्टाम्प (पंजीकरण) शुल्क में कटौती की सिफारिश।
  • ऊंची आमदनी वाले सभी व्यक्तियों को धीरेधीरे आयकर दायरे में लाकर आयकर का दायरा बढ़ाने का सुझाव।
  • कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती की रफ्तार तेज हो।
  • मनमर्जी पर रोक तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए कर प्रशासन में सुधार किया जाएगा।
  • नए नोटों की आपूर्ति बढ़ने से वृद्धि दर सामान्य होगी।
  • नोटबंदी का वृद्धि दर पर 0.25 से 0.50 प्रतिशत का असर होगा, लेकिन दीर्घावधि में इससे लाभ होगा।
  • जीएसटी तथा अन्य बुनियादी सुधारों से वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत पर पहुंचेगी।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना तथा कच्चे तेल की निचली कीमतों से राजकोषीय मोर्चे पर अप्रत्याशित लाभ होगा।
  • चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रहेगी। पिछले साल यह 1.2 प्रतिशत रही थी।
  • जीएसटी से वित्तीय लाभ मिलने में समय लगेगा।
  • चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत पर आएगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत पर थी।
  • खुलासे वाली और बेहिसाबी संपत्ति पर कर संग्रहण के प्रयासों के दौरान लोगों को परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
  • गरीबी उन्मूलन के लिए सब्सिडी का एक अच्छा विकल्प सार्वभौमिक मूल आय योजना साबित हो सकती है।
  • नोटबंदी के बाद मांग आधारित और तेज रफ्तार से करंेसी प्रणाली में डाली जाए। साथ ही कर सुधार, जीएसटी तथा निचली कर दरों को लागू किया जाए।
  • रीयल एस्टेट कीमतों में गिरावट से मध्यम वर्ग को सस्ते मकान उपलब्ध होंगे।
  • अप्रैल, 2017 तक नकदी संकट दूर होगा।
  • अधिक ऋण के बोझ से दबी कंपनियों तथा डूबे कर्ज से दबे बैंकों की बही खाते की समस्या कायम।
  • ऋण के बोझ को कम करने के लिए एक केंद्रीयकृत संपत्ति पुनर्गठन एजेंसी को बड़े और मुश्किल मामले देखने चाहिए।
  • बैंकों और कंपनियों की बैलेसशीट की दोहरी समस्या को हल करना जरूरी।
  • अच्छा वित्तीय प्रदर्शन करने वाले राज्यों को प्रोत्साहन दिया जाए।
  • युवा आबादी का लाभ अगले पांच साल में अपने उच्चमत स्तर पर होगा।
  • विकसित अर्थव्यवस्था द्वारा अपनायी जा रही अत्यक्षिक राजकोषीय पहरेदारी भारत के लिए प्रासंगिक नहीं।
  • स्वच्छ भारत से महिलाओं की निजता के बुनियादी अधिकार को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • 2016-17 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान।




          

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