जल्लीकट्टू पर अपने अध्यादेश के बचाव में तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की केविएट  

supreme court

नई दिल्ली (भाषा)। राज्य में सांडों को काबू करने वाले खेल को मंजूरी देने वाले अपने अध्यादेश पर मंडराते संकट को भांपते हुए तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय में केविएट दायर की है।तमिलनाडु सरकार के स्थायी वकील योगेश कन्ना ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से यह अनुरोध किया है कि यदि नए अध्यादेश को कोई भी चुनौती दी जाती है तो राज्य के पक्ष की सुनवाई की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने जल्लीकट्टू को मंजूरी देने वाले अध्यादेश के समक्ष कोई भी चुनौती पेश किए जाने के संदर्भ में राज्य सरकार का पक्ष सुने जाने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में केविएट दायर की है।”

तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने कल जल्लीकट्टू अध्यादेश को मंजूरी दी थी। मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने यह घोषणा की थी कि सांडों को काबू करने वाले इस खेल का आयोजन कल मदुरै के अलंगनल्लूर और राज्य के अन्य हिस्सों में होगा।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के इस अभ्यावेदन पर गौर किया कि वह तमिलनाडु के साथ बातचीत करके मामले को हल करने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद न्यायालय शुक्रवार को जल्लीकट्टू मुद्दे पर एक सप्ताह के लिए कोई फैसला न पारित करने पर सहमत हो गया।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने तब यह मामला न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ के समक्ष रखते हुए कहा था कि तमिलनाडु की जनता का जल्लीकट्टू के साथ अत्यधिक ‘जुडाव’ है और केंद्र एवं राज्य इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

रोहतगी ने पीठ को बताया, ‘‘केंद्र और राज्य इस मुद्दे का हल निकालने के लिए बातचीत कर रहे हैं और हमारा अनुरोध यह है कि न्यायालय कम से कम एक सप्ताह तक फैसला न सुनाए।”अटॉर्नी जनरल की इस संक्षिप्त दलील पर सुनवाई करने के बाद पीठ ने कहा, ‘‘ठीक है।”

Recent Posts



More Posts

popular Posts