गुस्से में आडवाणी ने कहा, अगर नोटबंदी पर चर्चा नहीं हुई तो हम सब की बहुत बदनामी होगी 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   15 Dec 2016 2:17 PM GMT

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गुस्से में आडवाणी ने कहा, अगर नोटबंदी पर चर्चा नहीं हुई तो   हम सब की बहुत बदनामी होगी आक्रोश में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा मेरा मन कहता है कि मैं इस्तीफा दे दूं।

नई दिल्ली (भाषा)। लोकसभा में पिछले करीब तीन सप्ताह से जारी गतिरोध पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी (89 वर्ष) का आक्रोश फिर से फूट पड़ा और उन्होंने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा किए बिना यदि कल लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई तो ‘‘संसद हार जाएगी और हम सब की बहुत बदनामी होगी।''

मेरा मन कर रहा है कि इस्तीफा दे दूं

आडवाणी ने हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद आक्रोश जताते हुए कुछ अन्य दलों के सदस्यों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ मेरा तो मन कर रहा है कि इस्तीफा दे दूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘सदन में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा जरूर होनी चाहिए।''

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘ चर्चा जरूर करें और कल चर्चा कर शांति से सदन को स्थगित कर दें बिना किसी जीत हार के।'' उन्होंने कहा, ‘‘सब को लगी है, मैं जीतू, मैं जीतू लेकिन यदि कल भी ऐसे ही हंगामे के बीच सदन स्थगित हो गया तो संसद हार जाएगी और हम सब की बहुत बदनामी होगी।''

विमुद्रीकरण के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही करीब सवा 12 बजे स्थगित होने के बाद भी आडवाणी सदन में करीब 20 मिनट तक गंभीर चिंतन की मुद्रा में बैठे रहे।

सदन स्थगित होने पर तृणमूल कांग्रेस के इदरिस अली उनकी सीट पर गए और उन्हें प्रणाम किया। इस बीच विपक्ष के कुछ ओर सदस्य भी आडवाणी की सीट के पास आ गए। पत्रकार गैलरी में मौजूद पत्रकारों ने इदरिस अली के साथ बातचीत में आडवाणी को यह कहते हुए सुना कि उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कहा था कि मेरा नाम लेकर लोकसभा अध्यक्ष से कहिए कि सत्ता पक्ष और कांग्रेस की ओर से किसी एक नेता को आज बुला लें और यह तय कर लें कि कल सदन चले।

स्पीकर को दोनों पक्षों को बुलाकर आज ही यह तय कर लेना चाहिए था कि सदन कल कैसे चलेगा। उन्होंने कहा कि कल भी ऐसे ही बिना चर्चा किए हंगामे के बीच सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया तो सबकी बदनामी होगी।
लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा संसद सदस्य

उन्होंने नोटबंदी को लेकर सदन में पिछले करीब तीन सप्ताह से जारी गतिरोध के संबंध में कहा कि ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आयी थी। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि इस सत्र में एक दिन भी सदन ठीक से नहीं चला। इदरिस के अलावा महाराष्ट्र के भंडारा गोंडिया सीट से भाजपा के सांसद नाना पटोले भी खड़े थे।

सदन की कार्यवाही करीब सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद सबसे पहले कपडा मंत्री स्मृति ईरानी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कुछ और मंत्री आडवाणी की सीट के पास आकर खड़े हो गए। लेकिन कुछ देर बाद ये सभी सदन से चले गए और आडवाणी कुछ क्षण अकेले बैठे रहे। इसके बाद इदरिस ने उनकी सीट के पास आकर उन्हें प्रणाम किया।

करीब 20 मिनट तक इदरिस से अपने मन की व्यथा साझा करने के बाद आडवाणी लोकसभा की कार्यवाही का एजेंडा पेपर हाथ में लेकर धीमे कदमों से सदन से बाहर चले गए। उनके पीछे पीछे तीन चार भाजपा सदस्य भी थे।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह भी इसी मसले को लेकर आडवाणी ने गहरा क्षोभ प्रकट किया था और उन्हें यह कहते सुना गया था कि न तो स्पीकर और न ही संसदीय कार्य मंत्री सदन को चला पा रहे हैं।

आडवाणी को यह कहते सुना गया था कि वह स्पीकर से कहने जा रहे हैं कि वह सदन नहीं चला रही हैं... मैं सार्वजनिक तौर पर यह कहने जा रहा हूं। दोनों इसके पक्ष हैं।''

सात दिसंबर की इस घटना में सदन स्थगित होने के बाद आडवाणी ने लोकसभा के एक अधिकारी से पूछा था कि सदन की बैठक कितने बजे तक के लिए स्थगित की गई है। जब अधिकारी ने बताया कि दो बजे तक के लिए स्थगित की गयी है, तब उन्होंने आक्रोश में कहा था कि अनिश्चितकाल के लिए क्यों नहीं ?

    

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