अमर्त्य सेन के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो का इस्तीफा 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   25 Nov 2016 2:50 PM GMT

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अमर्त्य सेन के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो का इस्तीफा नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो।

नई दिल्ली (भाषा)। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो ने आज यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित किया जा रहा है क्योंकि उन्हें संस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर ‘‘नोटिस तक नहीं दिया गया।''

उन्होंने विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती बोर्ड के सदस्यों को भेजे एक बयान में कहा, ‘‘जिन परिस्थितियों में नालंदा विश्वविद्यालय में नेतृत्व परिवर्तन अचानक और तुरंत क्रियान्वित किया गया, वह विश्वविद्यालय के विकास के लिए परेशानी पैदा करने वाला तथा संभवत: नुकसानदायक है।''

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालय के विजिटर के रूप में 21 नवंबर को बोर्ड का पुनर्गठन किया था, जिससे प्रतिष्ठित संस्थान की संचालन इकाई का सरकार द्वारा पुनर्गठन किए जाने के बाद संस्थान के साथ अमर्त्य सेन का लगभग एक दशक पुरान संबंध खत्म हो गया था।

यह समझ से परे है कि मुझे चांसलर के रूप में इसका नोटिस क्यों नहीं दिया गया। जब मुझे पिछले साल अमर्त्य सेन से जिम्मेदारी लेने को आमंत्रित किया गया था तो मुझे बार-बार आश्वासन दिया गया था कि विश्वविद्यालय को स्वायत्तता रहेगी, अब ऐसा प्रतीत नहीं होता।तदनुसार, और गहरे दुख के साथ मैंने विजिटर को चांसलर के रुप में अपना त्यागपत्र भेज दिया है।
जॉर्ज यो दूसरे चांसलर नालंदा विश्वविद्यालय

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के विजिटर के रुप में अपनी क्षमता के तहत नालंदा विश्वविद्यालय कानून 2010 के प्रावधानों के अनुरुप संचालन बोर्ड के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी।

उन्होंने वाइस चांसलर का अस्थाई प्रभार विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ डीन को दिए जाने को भी मंजूरी दे दी क्योंकि वर्तमान वाइस चांसलर गोपा सबरवाल का एक साल का विस्तार कल पूरा हो गया, नए वाइस चांसलर की नियुक्ति होने तक यह व्यवस्था होगी।

नए संचालन बोर्ड में 14 सदस्य होंगे, जिसकी अध्यक्षता चांसलर करेंगे, इसमें वाइस चांसलर, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, लाओस पीडीआर और थाईलैंड द्वारा नामांकित पांच सदस्य भी होंगे। पूर्व राजस्व सचिव एनके सिंह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, वह नालंदा मेंटर्स ग्रुप के सदस्य भी थे।

मोदी के आलोचक रहे अमर्त्य सेन का नालंदा विश्वविद्यालय में कार्यकाल समाप्त होगा

सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री यो ने कहा, ‘‘कुछ कारणों से जो मुझे पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, भारत सरकार ने कानून में संशोधन होने से पहले तत्काल प्रभाव से नए संचालन बोर्ड के गठन का फैसला किया है, नि:संदेह यह पूरी तरह भारत सरकार का विशेषाधिकार है।''

उन्होंने कहा कि नए वाइस चांसलर की नियुक्ति लंबित रहने तक गोपा सबरवाल (जिनका कार्यकाल कल खत्म हो गया), को पद पर बरकरार रहना था, ताकि ‘‘यह सुनिश्चित हो सके कि विश्वविद्यालय के नेतृत्व में कोई खाली जगह न रहे।'' यो ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के अधिनियम में भी उपलब्ध कराया गया और ‘‘संचालन बोर्ड द्वारा इसका पूरा समर्थन किया गया।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, 22 नवंबर को विजिटर ने संचालन के विरद्ध निर्णय किया और इसकी जगह सबसे वरिष्ठ डीन को नियुक्त करने का निर्देश दिया।''

यो ने कहा कि जब इस साल जुलाई में उन्हें चांसलर नियुक्त किया गया था तो ‘‘मुझे कहा गया था कि संशोधित कानून के तहत एक नया संचालन बोर्ड बनाया जाएगा, जिसके मुख्य पहलुओं पर विदेश मंत्रालय ने मेरे विचार मांगे।'' उन्होंने कहा कि संशोधित कानून ‘‘एक बड़ी त्रुटि'' को दूर करता, जिसने ‘‘पिछले तीन साल में सर्वाधिक वित्तीय योगदान देने वाले पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन देशों को संचालन बोर्ड की सीटें प्रस्तावित कीं।''

यो ने कहा, ‘‘यह प्रावधान, जो नालंदा मेंटर्स ग्रुप (एनएमजी) ने कभी अनुमोदित नहीं किया, संचालन बोर्ड के गठन के लिए अच्छा तरीका नहीं होता और यही कारण था कि भारत सरकार ने एनएमजी से संचालन बोर्ड के रुप में कानून में संशोधन होने तक कई साल तक काम करते रहने का आग्रह किया था।''

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दशक में नालंदा को पुनर्जीवित करने के काम से जुड़ना, अमर्त्य सेन के नेतृत्व में एनएमजी और संचालन बोर्ड के सदस्य के रूप में सेवा देना तथा विश्वविद्यालय का दूसरा चांसलर नियुक्त होना मेरे लिए सम्मान और गौरव की बात रहा है।''

यो ने कहा, ‘‘कठिन परिस्थितियों के बावजूद विश्वविद्यालय ने डॉ. गोपा सभरवाल और उनके सहकर्मियों के अथक प्रयास के जरिए उल्लेखनीय प्रगति की है नालंदा एक विचार है जिसका समय आ चुका है और यह हममें से हर किसी से बड़ा है।''





      

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