राज्य अब कर सकेंगे आठवीं कक्षा तक के बच्चों को फेल-पास  

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राज्य अब कर सकेंगे आठवीं कक्षा तक के बच्चों को फेल-पास  केंद्र ने कहा कि नो डिटेंशन पर अब राज्य फैसला करेंगे।

नई दिल्ली (भाषा)। देश में आठवीं कक्षा तक किसी भी छात्र को अनुत्तीर्ण नहीं करने से जुड़ी ‘नो डिटेंशन' नीति को अब शायद राज्य सरकार जल्द ही बदल सकें क्योंकि शिक्षा से संबंधित एक शीर्ष सलाहकार निकाय ने इस बारे में निर्णय राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया। दूसरी तरफ, मानव संसाधन विकास मंत्रालय सीबीएसई की 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य बनाने को लेकर जल्द फैसला करेगा।

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 64वीं बैठक में कई फैसले किए गए।

बोर्ड की बैठक में अधिकतर राज्यों की यह शिकायत थी कि ‘नो डिटेंशन' नीति के कारण पढ़ाई के नतीजों में गिरावट आ रही है और उन्होंने राय दी कि कक्षा पांच से कक्षा आठ तक परीक्षाएं कराई जानी चाहिए।

बैठक के बाद जावडेकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सहमति बनी कि केंद्र सरकार उपयुक्त संशोधन ला सकती है जिससे राज्यों को ‘नो डिटेंशनल' नीति की समीक्षा करने की आजादी मिल जाएगी।''

इससे पहले, सलाहकार बोर्ड द्वारा गठित की गई समितियों ने भी अनुशंसा की थी कि ‘नो डिटेंशन' प्रावधान की समीक्षा होनी चाहिए। यह बोर्ड शिक्षा से जुड़ा देश का सबसे बड़ा सलाहकार बोर्ड हैं और इसमें केंद्र एवं राज्यों की सहभागिता है, हालांकि इस बोर्ड के फैसले सिफारिशी होते हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय सीबीएसई स्कूलों के छात्रों के लिए 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य बनाने के संदर्भ में जल्द फैसला करेगा। कई राज्यों के बोर्ड 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा कराने पर पहले से ही विचार कर रहे हैं।
प्रकाश जावडेकर मानव संसाधन विकास मंत्री

मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शायद ‘नो डिटेंशन' नीति की समीक्षा से जुड़े मामले को कैबिनेट के पास भेजे।

उन्होंने कहा, ‘‘सीबीएसई की कक्षा 10 की परीक्षा का मामला मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ा हुआ है, ऐसे में हम इस संदर्भ में जल्द ही अलग से फैसला करेंगे।'' ऐसी खबरें थी कि सीबीएसई की 10वीं कक्षा की अनिवार्य बोर्ड परीक्षा को फिर से शुरू किया जा सकता है। छात्रों पर दबाव को कम करने के लिए इस परीक्षा को 2010 में हटा दिया गया था।

जावडेकर ने कहा कि अगर बोर्ड परीक्षा को फिर से आरंभ किया जाता है तो इसे अगले सत्र से ही लागू किया जा सकेगा।

बोर्ड की बैठक में केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी, विजय गोयल, महेंद्र नाथ पांडेय और उपेंद्र कुशवाहा तथा 21 राज्यों के शिक्षा मंत्री तथा अन्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

जावडेकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण फैसला भी किया गया कि पढ़ाई के नतीजों को परिभाषित किया जाएगा और इसे शिक्षा के अधिकार कानून का हिस्सा बनाया जाएगा। बैठक में यह फैसला किया गया कि पढ़ाई के स्तर में सुधार के लिए शिक्षकों सहित सभी संबंधित पक्षों की जवाबदेही होनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि एक फैसला यह भी किया गया कि अप्रशिक्षित शिक्षकों का प्रशिक्षण अगले पांच वर्षों में पूरा किया जाए।

लड़कियों की शिक्षा से जुडे मुद्दों पर विचार के लिए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तेलंगाना के शिक्षा मंत्री कदियाम श्रीहरि के नेतृत्व में एक उप समिति का भी गठन किया गया।



      

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