सांगली का मुनक्का, बनारस का स्वर्ण शिल्प सहित 272 उत्पाद अब तक जीआई में पंजीकृत

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   15 Nov 2016 12:59 PM GMT

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सांगली का मुनक्का, बनारस का स्वर्ण शिल्प सहित 272 उत्पाद अब तक जीआई में पंजीकृतअब तक 272 उत्पादों को भौगोलिक संकेतक की विशिष्ट श्रेणी में पंजीकृत किया गया है। 

नई दिल्ली (भाषा)। सांगली का मुनक्का, बनारस का स्वर्ण शिल्प और बीड के कस्टर्ड सेब सहित सितंबर 2003 से अब तक कुल मिलाकर 272 भारतीय उत्पादों को भौगोलिक संकेतक के तहत पंजीकृत किया गया है। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

भौगोलिक संकेतक कानून के तहत किसी उत्पाद की पहचान किसी खास क्षेत्र में विनिर्मित अथवा पैदा होने वाले उत्पाद के तौर पर स्थापित होती है. ऐसे उत्पाद को क्षेत्र विशेष के साथ विशिष्ट पहचान दी जाती है। भौगोलिक संकेतक (जीआई) कानून के तहत बनने अथवा पैदा होने वाले उत्पादों का नाम कोई दूसरा अपने उत्पादों के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है, यह एक तरह से उनकी विशिष्ट पहचान होती है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले पेटेंट, डिजाइन और ट्रेड मार्क महानियंत्रक कार्यालय के आंकडों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अब तक 11 उत्पादों को भौगोलिक संकेतक के तहत पंजीकृत किया गया है। ये उत्पाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश से हैं। वर्ष 2015-16 में कुल मिलाकर 26 उत्पादों को यह संकेतक दिया गया।

विशेष भौगोलिक परिस्थितियों में पैदा होने वाले ऐसे उत्पादों में बासमती चावल, दार्जलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगडा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद का सुरखा, फरर्खाबाद की छपाई, लखनऊ के जारदोजी और कश्मीर के अखरोट की लकड़ी पर की गई नक्काशी प्रमुख हैं।


    

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