समान नागरिक संहिता, तीन तलाक पर मुहिम तेज करेगा पर्सनल लॉ बोर्ड    

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   6 Nov 2016 4:27 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
समान नागरिक संहिता, तीन तलाक पर मुहिम तेज करेगा पर्सनल लॉ बोर्ड     प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली (भाषा)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आगामी 18 और 19 नवंबर को कोलकाता में बोर्ड के शीर्ष पदाधिकारियों संग समान नागरिक संहिता और तीन तलाक मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करेगा तथा अपने पक्ष में मुस्लिम समुदाय को लामबंद करने की मुहिम तेज करेगा। बोर्ड 20 नवंबर को शहर के पार्क सर्कस मैदान में एक रैली भी करेगा।

पर्सनल लॉ बोर्ड की इस महत्वपूर्ण बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत होगी। समान नागरिक संहिता और तीन तलाक के मुद्दे खासे अहम हैं। बोर्ड ने इन पर सरकार के रुख का पहले भी पुरजोर विरोध किया है तथा इस बैठक में दोनों मुद्दों पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
सुलतान अहमद सांसद तृणमूल कांग्रेस व बैठक की आयोजन समिति के प्रमुख

पिछले महीने विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता सहित कुछ मुद्दों पर एक प्रश्नावली जारी की थी और इसके बाद पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका बहिष्कार करने का ऐलान किया था।

बोर्ड ने आरोप लगाया था कि सरकार समान नागरिक संहिता थोपकर पूरे देश को एक रंग में रंगने की कोशिश कर रही है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता को थोपा नहीं जाएगा और इस पर विधि आयोग ने फिलहाल लोगों की राय मांगी है।

बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी का कहना है, ‘‘हम सरकार, विधि आयोग या अदालत किसी के खिलाफ नहीं हैं. हम राजनीतिक संगठन नहीं हैं. हमारा सिर्फ यह कहना है कि देश के संविधान में जो धार्मिक आजादी मिली हुई है उसी के तहत हम अपने पर्सनल लॉ की आजादी चाहते हैं। पर्सनल लॉ के मामलों में सरकार की ओर से दखल देना उचित नहीं हैं।''

पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक और समान नागरिक संहिता को लेकर अपने पक्ष में मुस्लिम समुदाय के भीतर हस्ताक्षर अभियान चला रहा है। अब उसकी कोशिश अपनी मुहिम को और तेज करने की होगी।

बोर्ड के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कहा, ‘‘हस्ताक्षर अभियान को पूरे देश में भरपूर समर्थन मिल रहा है. बैठक में इस मुहिम को तेज करने की रणनीति बनाई जाएगी। हमारी कोशिश होगी कि हम अपने समाज को इन दोनों मुद्दों पर ज्यादा से ज्यादा जागरुक करें और यह समझाएं कि ये मामले महिला अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि देश में एक कानून थोपने की कोशिश के तहत उठाए जा रहे हैं।''

कुछ महिलाओं ने मुस्लिम समाज में तीन तलाक की व्यवस्था को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है और इसी पर शीर्ष अदालत ने सरकार से उसका पक्ष मांगा था। सरकार ने तीन तलाक का विरोध करते हुए कहा कि यह महिला विरोधी है और दुनिया के कई मुस्लिम देशों में इस प्रथा को खत्म किया जा चुका है। देश की मुस्लिम महिला कार्यकर्ता एक साथ तीन तलाक व्यवस्था को खत्म करने के लिए सरकार और अदालत से दखल देने की मांग लंबे समय से करती आ रही हैं।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.