बजट की तारीख पर सियासत तेज, विरोध में चुनाव आयोग पहुंचे छह विपक्षी दल  

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   5 Jan 2017 5:39 PM GMT

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बजट की तारीख पर सियासत तेज, विरोध में चुनाव आयोग पहुंचे छह विपक्षी दल  मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने गए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, बसपा के ए राजन, सपा (अखिलेश धडे) के नरेश अग्रवाल, द्रमुक के टी शिवा और जदयू के केसी त्यागी।

नई दिल्ली (भाषा)। छह विपक्षी दलों ने गुरुवार को चुनाव आयोग से आग्रह किया कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव 2017 की प्रक्रिया पूरी होने तक आम बजट को टालने का निर्देश दिया जाए। केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश किए जाने वाला है।

छह विपक्षी दलों ने आज चुनाव आयोग से मांग की कि वह केन्द्र सरकार से आठ मार्च को होने वाले अंतिम चरण के मतदान तक इस वार्षिक प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्देश दे। विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बजट की प्रस्तुति को आठ मार्च तक स्थगित करने के लिए सरकार को निर्देश देने की अपनी मांग को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से मुलाकात की।

11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल-युनाइटेड, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य थे।

गौरतलब है कि पंजाब और गोवा में चार फरवरी को चुनाव होना है और उत्तर प्रदेश और मणिपुर में आखिरी चरण का चुनाव आठ मार्च को होगा।

वर्ष 2012 में इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की आपत्ति के बाद कांग्रेस ने केंद्रीय बजट 28 फरवरी की बजाय 16 मार्च को पेश किया था। हम चाहते हैं कि चुनावों के खत्म होने तक बजट नहीं पेश किया जाना चाहिए।
गुलाम नबी आजाद कांग्रेस नेता व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष (चुनाव आयुक्त से भेंट के बाद )

कांग्रेस नेता आनन्द शर्मा ने कहा कि अतीत में किसी भी सरकार ने चुनाव के बीच में बजट का इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए नहीं किया है। आजाद ने कहा कि चुनावी कानूनी स्पष्ट तौर पर कहता है कि सत्तारुढ़ दल को चुनाव के दौरान कोई लाभ नहीं मिलना चाहिए और विपक्षी दल और सत्ता पक्ष दोनों समान स्थिति में होने चाहिए।

कांग्रेस नेता आजाद ने कहा कि एक फरवरी को बजट पेश किए जाने से संतुलन भाजपा की तरफ झुक सकता है क्योंकि वह रियायत देकर मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है।

मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने वालों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, बसपा के ए राजन, सपा (अखिलेश धडे) के नरेश अग्रवाल, द्रमुक के टी शिवा और जदयू के केसी त्यागी शामिल रहे। आयोग के सूत्रों ने बताया विपक्षी दलों द्वारा रखी गयी बातों पर सरकार का पक्ष मांगा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव से पहले एक फरवरी को बजट पेश किया जाना है।

तृणमूल के लोकसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने उम्मीद जताई कि निर्वाचन आयोग उनकी मांग पर ध्यान देगा। उन्होंने कहा, "आठ मार्च के बाद बजट पेश किए जाने का पर्याप्त समय है। यही उचित तरीका है।"

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष के इस कदम की आलोचना की है।

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, "बजट सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है। इसका किसी राज्य से कोई संबंध नहीं है। बजट (1 फरवरी को) पेश किए जाने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया है।" उन्होंने कहा, "विपक्षी दलों के पास मुद्दों का अकाल पड़ गया है। इसलिए वे इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने बजट पेश करने के लिए एक फरवरी का दिन तय किया है। विपक्ष चाहे जो भी कहे, बजट उसी दिन पेश किया जाएगा।"

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि बजट का विरोध कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की हताशा को दिखाता है। उन्होंने कहा, "बजट एक संवैधानिक अनिवार्यता है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। देश में चुनाव होते रहे हैं। उनकी वजह से कभी बजट को स्थगित नहीं किया जाता।"

इस मुद्दे को लेकर आयोग का कहना है कि वह एक फरवरी को बजट पेश किये जाने को लेकर विपक्ष की आपत्ति पर गौर करेगी वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह कहते हुए इस कदम का बचाव किया कि विपक्षी दल इसको लेकर क्यों भयभीत हैं, जबकि उनका दावा है कि नोटबंदी बहुत ही अलोकप्रिय फैसला है।

बजट सत्र को समय से पहले बुलाए जाने (31 जनवरी से शुरू) के विरोध में 16 राजनीतिक दल पहले ही राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को पत्र लिख चुके हैं।

      

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