नोटबंदी पर बहस इंदिरा के समय की अमीर-गरीब जैसी

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नोटबंदी पर बहस इंदिरा के समय की अमीर-गरीब जैसीभारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्स

नई दिल्ली (भाषा)। नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार को लेकर छिड़ी बहस को पुराने दिनों की अमीर और गरीब की लडाई के रुप में बदलने पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्स ने क्षोभ जताया है। उन्होंने कहा कि अमीरी और बेईमानी को जोड़ा नहीं जाना चाहिए और हमें ‘ईमानदार अमीरों' का सम्मान करना चाहिए।

फोर्ब्स ने कहा कि नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार पर बहस अमीर गरीब की लड़ाई में बदल गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह गलत है। इसे अमीर गरीब की बहस के रुप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह ईमानदार और बेईमान की बहस होनी चाहिए। ईमानदार-बेईमान की बहस अमीर-गरीब की बहस नहीं है।''

उन्होंने कहा कि अमीरी और बेईमानी को जोड़ना काफी परेशान करने वाला है और यह 1970 के दशक में इंदिरा गांधी के दौर की याद दिलाता है। फोर्ब्स ने कहा कि पिछले 25 साल में भारत काफी तेजी से आगे बढ़ा है। उन्होंने आगाह किया कि उसे 1970 के दशक में नहीं लौटना चाहिए।

फोर्ब्स ने इस दलील को खारिज कर दिया कि अमीर लोग गरीबों की तुलना में अधिक बेईमान होते हैं। हमें ईमानदार अमीरों का उसी तरीके से सम्मान करना चाहिए जैसे गरीबों का करते हैं।

     

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