नोटबंदीः शादी-ब्याह में छोटे भुगतान करने में हो रही नकदी की परेशानी

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नोटबंदीः शादी-ब्याह में छोटे भुगतान करने में हो रही नकदी की परेशानीशहरों में तो नकदी का इंतजाम कुछ भाग दौड़ से हो रहा है पर गाँवों में लोग पुराने तरीकों यानी उधार और नाते-रिश्तेदारों के सहयोग का सहारा ले रहे हैं। 

नई दिल्ली (भाषा)। नोटबंदी ने शादी-ब्याह वाले घरों में लोगों के लिए आयोजन से जुड़ी तमाम चिंताओं के बीच एक नई चिंता बढ़ा दी है और वह है नकदी के प्रबंध की।

ऐसे परिवारों और कैटरिंग आदि का कारोबार करने वालों के साथ बातचीत से लगता है कि तम्बू, हलवाई और दूसरे मोटे भुगतान तो चेक और कार्ड से हो रहे हैं पर शगुन और नेग के लेन देन, पुरोहित की दक्षिणा, फल-सब्जी और अन्य छोटी-मोटी खरीद के लिए नकदी की समस्या आड़े आ रही है।

शहरों में तो नकदी का इंतजाम कुछ भाग दौड़ से हो रहा है पर गाँवों में लोग पुराने तरीकों यानी उधार और नाते-रिश्तेदारों के सहयोग का सहारा ले रहे हैं। पूर्वी दिल्ली में पिछले कई सालों से टेंट और हलवाई का काम कर रहे मोहन सिंह ने इस बारे में कहा, ‘‘शादियां तो होनी ही हैं, हम तो चेक से भुगतान ले रहे हैं। कुछ हलवाई ऐसे भी हैं, जिनके बैंक खाते ही नहीं हैं, उनमें कुछ लोग पुराने नोट भी ले रहे हैं। हमारे कारीगर जिनके खाते हैं उन्हें चेक दे रहे हैं, पुराने नोट भी दे रहे हैं, बाकियों को एक-दो महीने में एक साथ भुगतान कर देंगे।''

एक अन्य बड़े कैटर्स ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘‘समस्या वहां हैं जहां कोई चेक अथवा कार्ड से भुगतान नहीं करना चाहता है, कर नहीं चुकाना चाहता है। हम तो हर तरह से काम कर रहे हैं। नये नोट मिल जायें तो अच्छा वरना कुछ राशि चेक में भी लेने को तैयार हैं। हर चीज महंगी हो गई है। आटा, मैदा 30-35 रुपये किलो पर पहुंच गया है। बाजार में आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। नकदी को लेकर परेशानी तो है ही। 50 और 100 के नोट निकालने की भी समस्या है। बैंकों में लाइनें लग रही हैं।''

कैटर्स ने कहा कि कार्तिक, मागशीर्ष :अक्तूबर, नवंबर: में तय कुछ शादियां आगे के लिये टाल दी गई हैं. नकदी की दिक्कत को देखते हुये 10 से 15 प्रतिशत शादियां टलीं हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि माघ (जनवरी-फरवरी) से शुरु होने वाली शादियों के सत्र में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के ग्राम डोबल निवासी मेहरबान सिंह की बेटी की शादी है। उनके मामा ने बताया, ‘‘दिल्ली से रिश्तेदार 100, 50 के कुछ नोट ले आये। 57,000 रुपये का फर्नीचर लिया, चेक में भुगतान किया। सब्जी खरीदने के लिये नकद व्यवस्था की। कुछ लोग न्योता भी चेक से पहुंचा रहे हैं। गाँव में बैंक से केवल 2,000-2,500 रुपये ही मिल पा रहे हैं।''

बैंकों में नकदी की स्थिति में अब कुछ सुधार आया है। मुद्रा प्रवाह पहले से बेहतर हुआ है। लोग 50, 100 रुपये भी बैंकों में जमा करने में लगे हैं और नये नोट भी चलन में आये हैं। कल से या फिर सोमवार से स्थिति में निश्चित रुप से सुधार आ जायेगा।
शैलेश चंद्र ओझा, मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया


शादी का कार्ड दिखाकर बैंकों से ढ़ाई लाख रुपये मिलने के सवाल पर इंडियन ओवरसीज बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक राजेश कुमार ने कहा, वैसे तो जनता का ज्यादा ध्यान पुराने नोट जमा करने और नये नोट लेने पर है। लेकिन आपके खाते में आठ नवंबर को इतनी राशि होनी चाहिये, तभी ढ़ाई लाख रुपये उपलब्ध कराये जा सकते हैं।''

भगत सिंह रावत की भतीजी की शादी है। तैयारियों के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा, ‘‘दिल्ली जैसे शहर में तो कोई खास परेशानी नहीं है। शादी की तमाम तैयारियों में 25 प्रतिशत काम ही ऐसा है, जिसके लिये आपको नगद राशि चाहिये। इलेक्ट्रॉनिक सामान लेना है, फर्नीचर लेना है या फिर साडियां, सूट लेना है सभी कुछ आप चेक अथवा कार्ड से भुगतान कर सकते हैं। आप अगर सुनार का कर भरने को तैयार हो जाते हैं तो वह भी चेक और डेबिट कार्ड से भुगतान ले लेगा।''

गाँवों में दिक्कत हो रही है, शहरों में तो जुगाड़ हो रहा है। गाँवों में नगद राशि नहीं पहुंच पा रही है। बारातियों को टीका लगाना है, पूजा का सामान लाना है, फूल आदि चाहिये इसके लिये आपको नकदी की जरुरत है। ज्यादा समस्या 500 के नोट की है। आपके पास 2,000 रुपये का नोट है या फिर 100 रुपये का बीच में 500 का नोट अभी लोगों के हाथ में ज्यादा नहीं पहुंचा है, जिनके पास है भी तो वह उसे खर्च करने में काफी सोच विचा कर रहा है।
कुंदन सिंह, रानीखेत

बैंक अधिकारी मानते हैं कि स्थिति पहले से काफी सुधरी है। दस नवंबर के बाद से जनता केवल 500, 1,000 रुपये के नोटों को ही बैंकों में जमा कराने या फिर बदलने पर ध्यान दे रही थी। दूसरे नोटों को लोग अपने पास रोके हुये थे। इससे मुद्रा प्रसार का चक्र रक सा गया था, लेकिन अब चक्र चलना शुरु हुआ है और करेंसी चेस्ट से भी प्रवाह बढ़ा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 8 नवंबर को अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से हटाने की घोषणा की। इसके बाद से बैंकों के बाहर लंबी लंबी लाइनें लग गयीं। सरकार ने पहले दो हजार और फिर 500 का नया नोट जारी किया, लेकिन एटीएम नये नोट के अनुरुप नहीं होने की वजह से शुरु में काम नहीं कर पा रहे थे, पिछले एक सप्ताह से कुछ एटीएम से नये नोट मिलने शुरु हुये हैं।

      

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