अब लेखपाल और पटवारी का नहीं चलेगा खेल

Rishi MishraRishi Mishra   30 Nov 2016 7:52 PM GMT

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अब लेखपाल और पटवारी का नहीं चलेगा खेलप्रतीकात्मक फोटो (साभार: गूगल)।

लखनऊ। कहते हैं कि गांव में जमीन की पैमाइश करने वाले लेखपाल और पटवारी लोगों की किस्मत बदल दिया करते हैं। किसी की जमीन किसके हिस्से में आ जाएगी पता नहीं चलता है। जिसके बाद में शुरू होता है, लंबे चलने वाले राजस्व मुकदमों का दौर। मगर अब ऐसा नहीं होगा। सालों से फीता लेकर और पुराने भू अभिलेखों के जरिये जमीन की पैमाइश और लैंडयूज को तय करने का समय अब निकल गया। बदलते दौर में अब राजस्व परिषद भी खुद को बदलने जा रहा है। इलेक्ट्रानिक टोटल स्टेशन मशीन नाम की एक नई डिवाइस से अब जीपीएस के जरिये जमीन की बेहतर और सटीक पैमाइश की जा सकेगी। प्रदेश भर में इस मशीन को बहुत जल्द ही राजस्व परिषद काम में लाएगा।

अब भू-सर्वेक्षण होगा बेहतर

राजस्व परिषद के परिसर में अध्यक्ष राजस्व परिषद प्रवीर कुमार, सदस्य राजस्व परिषद चन्द्र प्रकाश, प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग अरविन्द कुमार, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद धीरज साहू के सामने इस मशीन का डेमो किया जा चुका है। मशीन को राजा टोडरमल सर्वेक्षण एवं भू-लेख प्रशिक्षण संस्थान, हरदोई ने विकसित किया है। संस्थान के सहायक निदेशक विजय सिंह ने बताया कि इलेक्ट्रानिक टोटल स्टेशन मशीन के माध्यम से भू-सर्वेक्षण बेहतर होगा। इस मशीन के माध्यम से किसी भी क्षेत्र (भूखण्ड खेतों) की पैमाइश जीपीएस की सहायता से बहुत सरल तरीके से कम समय में और सटीक रूप से की जा सकती है।

कम समय में सही आकलन

इसमें क्षेत्र विशेष के कोनों के लांगीट्यूट और लैटीट्यूट, उसकी ऊँचाई का भी अंकन मशीन से किया जाता है। जिसमें मशीन के माध्यम से ही नक्शा तैयार किया जा सकता है। उसमें खेत की भुजाओं की लम्बाई-चौड़ाई खुद ही अंकित हो जाती है। जिससे मानवीय त्रुटि की सम्भावना नहीं रहती है। इस प्रकार त्रुटि रहित पैमाइश कम समय में की जा सकती है।

मील का पत्थर साबित होगी यह तकनीक

इस कार्य के लिए सम्बन्धित स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे भविष्य में इस आधुनिक तकनीकि का इस्तेमल करके सुविधाजनक ढंग से सर्वेक्षण एवं पैमाइश का कार्य किया जा सके। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सीमा सम्बन्धी विवादों व खेतों की पैमाइश से होने वाले झगड़ों एवं राजस्व के मुकदमों में कमी आयेगी। यह तकनीकि राजस्व विभाग के लिए मील का पत्थर साबित होगी। प्रवीर कुमार, अध्यक्ष राजस्व परिषद, उप्र

   

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