संदिग्ध हालात में लगी आग से वृद्धा जिंदा जली

गाँव कनेक्शनगाँव कनेक्शन   21 March 2017 10:39 AM GMT

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संदिग्ध हालात में लगी आग से वृद्धा जिंदा जलीरविवार देर रात संदिग्ध हालात में घर में लगी आग से वृद्धा की जलकर मौत हो गई।

उन्नाव। कोतवाली क्षेत्र के बैगांव में रविवार देर रात संदिग्ध हालात में घर में लगी आग से वृद्धा की जलकर मौत हो गई। हादसे के वक्त घर का दरवाजा अंदर से बंद था । एेसे में परिजनों को वृद्धा को बचाने के लिए छत खोदनी पड़ी। हालांकि जब तक परिजन कमरे में दाखिल होते तब तक वृद्धा की सांसे थम चुकी थी। इसके साथ ही पूरी गृहस्थी भी जल गई। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जबकि राजस्व टीम ने मौके पर पहुंचकर आग से हुए नुकसान का जायजा लिया।

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पुरवा कोतवाली के ग्राम बैगांव मे रविवार की पियारा (8५) पत्नी स्व जंगली प्रसाद घर में कमरे के अंदर सो रही थी। कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। इस बीच देर रात संदिग्ध हालात में आग लग गई। आग की जानकारी जैसे ही पियारा के बेटे चंद्रिका को हुई तो वह भागकर मौके पर पहुंचा लेकिन दरवाजा अंदर से बंद होने की वजह से वह कमरे में दाखिल नहीं हो सका। इस बीच पियारा आग की चपेट में आ गई और धू धूकर जलने लगी। तभी परिजन पियारा को बचाने के लिए कमरे की छत पर पहुंच गए और कच्ची छत की मिट्टी को खोदने लगे।

छत के रास्ते कमरे में जब परिजन दाखिल हुए तब वह दरवाजा खोल पाए। हालांकि तब तक पियारा की आग से जलने से मौत हो गई थी। जबकि कमरे में रखा सामान भी जल गया था। परिजनों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। पियारा के बेटे चंद्रिका ने बताया कि उसकी मां अलग कमरे में रहकर जीवन यापन करती थी। उसके दो बेटे हैं। जिसमें चंद्रिका प्रसाद तहसील में लेखपाल हैं। पियारा के पति जंगलीप्रसाद की कई वर्ष पहले ही मौत हो गई थी। घटना के बाद सोमवार सुबह तहसील से पहुंची राजस्व टीमों ने आग से हुए नुकसान का जायजा लिया। टीम मे लेखपाल केसी बाबू, अवनीश कुमार मौके पर मौजूद रहे। राजस्व टीम के अनुसार पचास हजार रुपये का नुकसान हुआ है।

बेटी की मौत से सदमे में थी वृद्धा

बैगांव में रहने वाली वृद्धा पियारा के पति की बीस वर्ष पूर्व मौत हो गई थी। पियारा कच्चे घर में बेटी लक्ष्मीना के साथ रहती थी। बताया जा रहा है कि लक्ष्मीना के पति की मौत के बाद वह अपनी मां के पास रहने आ गई थी। मां बेटी दोनों साथ ही घर में रह रहे थे। इस बीच बीती 17 मार्च को लक्ष्मीना की बीमारी से मौत हो गई। परिजनों ने गांव में ही बाग में लक्ष्मीना का अंतिम संस्कार कर दिया था। बेटी की मौत के बाद से पियारा सदमे में थी।

दरवाजा खुल जाता तो बच जाती जान

पियारा के बेटे चंद्रिका के अनुसार अगर दरवाजा अंदर से बंद न होता तो वह मां की जान बचा लेता। चंद्रिका ने बताया कि जिस वक्त उसे आग की जानकारी हुई तो वह भागकर मां के कमरे के पास पहुंचा। जहां जब उसने दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया तो वह अंदर से बंद था। इस बीच उसने धक्का देकर दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं खुला। चंद्रिका ने बताया कि जब वह मौके पर पहुंचा था तब तक मां आग की चपेट में नहीं आई थी। एेसे में उसने छत के रास्ते कमरे में दाखिल होने की योजना बनाई। लेकिन इस बीच काफी समय लग गया। जिससे मां की आग से जलने से मौत हो गई।

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