मतभेदों के बावजूद संसद में सुचारू रूप से काम होना चाहिए: मोदी

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मतभेदों के बावजूद संसद में सुचारू रूप से काम होना चाहिए: मोदीप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

नई दिल्ली (भाषा)। बजट सत्र के दौरान संसद के सुचारू संचालन में सभी दलों से सहयोग मांगते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि संसद ‘महापंचायत’ है और चुनाव के समय में मतभेद उभरने के बावजूद इसे सुचारू रूप से काम करना चाहिए।

सरकार ने कल से शुरू हो रहे बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर सभी दलों ने हिस्सा लिया क्योंकि समझा जाता है कि वह नोटबंदी और चिटफंड मामलों में अपने कुछ सांसदों की गिरफ्तारी को लेकर नाराज है। इससे पहले नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्षी दलों के विरोध और शोरशराबे के कारण संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज नहीं हो सका था।

सरकार ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि बजट निर्धारित समय पर पेश किया जाएगा और इस बारे में विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि इससे कुछ राज्यों में होने वाले चुनाव प्रभावित होंगे। बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सभी दलों का सहयोग मांगा और कहा कि चुनाव के समय में हमारे बीच कुछ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं लेकिन संसद महापंचायत है और इसे सुचारू रूप से काम करना चाहिए।

कुमार ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि सरकार को केंद्रीय बजट समय से पूर्व नहीं बुलाना चाहिए क्योंकि इससे आसन्न विधानसभा चुनाव में समान अवसर प्रदान करने की पहल प्रभावित होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और चुनाव आयोग ने इस विषय पर पहले ही अपना फैसला सुना दिया है।

बजट इस साल भी वैसे की पेश किया जाएगा जैसे पूर्व के वर्षों में किया जाता था। सरकार का प्रयास होगा कि बजट का सभी को लाभ मिले और देश आगे बढ़े।
अनंत कुमार, संसदीय कार्य मंत्री

गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता।

हमने सरकार से कहा है कि उन्हें बजट सत्र बुलाने के बारे में ऐसी घोषणा से बचना चाहिए था जो पांच राज्यों में चुनाव के दौरान समान अवसर उपलब्ध कराने को प्रभावित करता हो।
गुलाम नबी आजाद, राज्यसभा में विपक्ष के नेता

सीताराम येचुरी

हमने सरकार को बताया है कि नोटबंदी के मुद्दे पर दो दिनों तक चर्चा करायी जानी चाहिए क्योंकि सरकार के इस कदम के कारण पूरे भारत के लोग प्रभावित हुए हैं। एक फरवरी को बजट पेश करना अवैज्ञानिक है क्योंकि इसमें तीसरी तिमाही के आंकड़ों पर विचार नहीं किया जा सकेगा जो फरवरी के मध्य तक आती है।
सीताराम येचूरी, माकपा महासचिव

   

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