पर्रिकर ने ममता से कहा: सेना के खिलाफ आरोपों से बेहद व्यथित हूं 

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पर्रिकर ने ममता से कहा: सेना के खिलाफ आरोपों से बेहद व्यथित हूं मनोहर पर्रिकर, रक्षामंत्री

नई दिल्ली (भाषा)। पश्चिम बंगाल के टोल द्वारों पर सेना की हालिया कार्रवाई के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सेना पर लगाए गए आरोपों पर गहरा दुख जाहिर करते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें पत्र लिखकर कहा है कि ये आरोप सैन्य बलों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

पर्रिकर ने इस पत्र में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि राजनीतिक दलों और नेताओं को भले ही एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगाने की छूट हो सकती है लेकिन सैन्य बलों का संदर्भ देते हुए बेहद सावधान रहना चाहिए।

रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में आपकी ओर से लगाए गए आरोपों को लेकर सैन्यबलों के मनोबल पर प्रतिकूल असर होने का खतरा है। सार्वजनिक जीवन का अनुभव रखने वाले आपके जैसे कद के व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं थी।'' केंद्र के नोटबंदी के कदम का विरोध करने वाली ममता ने केंद्र पर आरोप लगाया था कि उसने पश्चिम बंगाल के टोल प्लाजा पर राज्य सरकार को सूचित किए बिना ही सेना तैनात कर दी थी। ममता ने इसे एक ‘अभूतपूर्व' कदम बताया था और इसे ‘‘आपातकाल से भी गंभीर स्थिति'' करार दिया था।

तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता स्थित अपने दफ्तर को छोडने से तब तक के लिए इनकार कर दिया था, जब तक सैनिकों को टोल प्लाजा से हटा नहीं लिया जाता। पार्टी ने केंद्र से पूछा था कि क्या यह ‘सैन्य तख्तापलट' का प्रयास था? तृणमूल कांग्रेस के इस सवाल पर केंद्र की ओर से कडी प्रतिक्रिया आई।

पर्रिकर ने इसे पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में पूर्वी कमान की कार्रवाई पर बेवजह का विवाद करार देते हुए बनर्जी को पत्र लिखा और उसमें कहा कि इस कार्रवाई को देशभर में सेना द्वारा कई साल से अंजाम दिया जाता रहा है। पर्रिकर ने यह पत्र आठ दिसंबर को लिखा था। उन्होंने कहा कि इन अभ्यासों को राज्य की एजेंसियों के साथ चर्चा के बाद सेना की सहूलियत वाले दिनों में अंजाम दिया जाता है।

पर्रिकर ने बनर्जी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मीडिया में आए आपके आरोपों को देखकर मैं बेहद व्यथित हूं। आपने यदि राज्य सरकार की एजेंसियों से ही पूछ लिया होता, तो आपको पता चल गया होता कि सेना और राज्य की एजेंसियों के बीच कितना अधिक संवाद हुआ था। इसमें इनके द्वारा स्थानों का साझा मुआयना भी शामिल था।''

भारतीय सेना को देश का सबसे ज्यादा अनुशासित संस्थान करार देते हुए पर्रिकर ने कहा कि देश को उनके पेशेवर रुख और गैर राजनीतिक आचरण पर गर्व है। उन्होंने कहा कि सैन्य अधिकारी राज्य की एजेंसियों को जवाब देने के लिए सीधे सीधे रिकॉर्ड रखने के लिए मजबूर हो गए। इसके लिए उन्हें आंकड़ा संग्रह अभियानों के कार्यक्रम में बदलाव सहित राज्य की संबद्ध एजेंसियों के साथ अपने संवाद के साक्ष्य देने पड़े।

    

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