वादे पूरे नहीं करना आदत बना ली है बिल्डरों ने:सुप्रीम कोर्ट

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वादे पूरे नहीं करना आदत बना ली है बिल्डरों ने:सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार।

नई दिल्ली (भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने बड़े-बड़े वादे कर उन पर खरे नहीं उतरने के लिए रीयल एस्टेट कंपनियों को मंगलवार को आडे़ हाथ लिया। न्यायालय ने कहा कि बिल्डरों ने वादे पूरे नहीं करने की आदत बना ली है।

न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘इस देश में बिल्डरों ने यह आदत बना ली है कि वे ग्राहकों से बड़े-बड़े वादे करेंगे और परियोजनाओं में देरी कर उन पर खरा नहीं उतरेंगे। रीयल एस्टेट कंपनी पार्श्वनाथ बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि वह अपने उन 70 ग्राहकों को फ्लैट 17 दिसंबर तक दे देगी जो न्यायालय में हाजिर हुए हैं।

न्यायालय ने कहा,‘उन (घर खरीदने वाले ग्राहकों) में धैर्य नहीं है और वे आप पर भरोसा नहीं करते और उन्हें रिफंड चाहिए। उन्हें पैसा वापस मिलना चाहिए और वे पीड़ित नहीं होने चाहिए। इस पीठ में न्यायाधीश अमिताव राय व न्यायाधीश ए एम खानविल्कर भी शामिल हैं। न्यायालय ने 10 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा कराए जाने के लिए और समय मांगने पर भी रीयल्टी कंपनी की खिंचाई की। न्यायालय ने पूछा,‘अगर आप पैसा नहीं लौटा सकते थे आपने यह कारोबार ही क्यों किया? आपको ग्राहकों को उनका पैसा लौटाना होगा।

कंपनी की ओर से वकील ने कहा कि न्यायालय के निर्देश पर कंपनी ने 12 करोड़ रुपये रजिस्टरी में जमा करा दिए हैं। पीठ ने न्यायालय की रजिस्टरी से कहा कि वह उक्त 12 करोड़ रपये की राशि 70 ग्राहकों यानी मकान खरीदने वालों को उचित पहचान के बाद यथानुपात में बांटे।

न्यायालय ने ग्राहकों की ओर से अदालत में हाजिर हुए वकील एम एल लाहोटी के इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि मूल धन 22 करोड़ रुपये है न कि 15 करोड़ रुपये जैसा कि पिछली सुनवाई के दौरान बताने की कोशिश क जा रही थी।

     

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