मजबूर होनहारों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए छोड़ी आरजे की नौकरी
गाँव कनेक्शन 20 Dec 2016 9:06 PM GMT
रोहित अम्बाती
रांची। पिछले आठ बरस से पूनम महानंद समाज की अत्यंत पिछड़े वर्ग के लोगों और बच्चों में शिक्षा की लौ जला रही हैं। इसके लिए उन्होंने अपना रेडियो जॉकी का बुलंदी की ओरी बढ़ता करियर भी छोड़ दिया।
पूनम अपने सफर के बारे में बताती हैं, "मैंने ज़िंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव देखे। मेरी मां की तबियत खराब रहती थी। मैं चाहकर भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। यही कारण है कि मैंने असुविधाओं से जूझते होनहारों को मुफ्त शिक्षा देने का लक्ष्य बनाया। आज जब मेरा कोई छात्र या छात्रा सफल होता है तो मुझे उसकी सफलता में अपना सपना नज़र आता है।"
एक शिक्षिका के साथ-साथ रेडियो जॉकी रहीं पूनम ने रेडियो की नौकरी सिर्फ इस वजह से छोड़ दी क्योंकि अपने शिक्षण संस्थान को वह समय नहीं दे पा रही थीं। पूनम का मकसद सिर्फ बच्चों को शिक्षा देना ही नहीं बल्कि समाज में इस लायक बनाना भी है कि वे औरों के लिए मार्गदर्शक बन सकें।
अपने अनुभव के बारे में पूछने पर पूनम कहती हैं, "मैं पूरी तरह नेल्सन मंडेला के कथन से ताल्लुक रखती हूं कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है। परिवर्तन का साक्षर होना और शिक्षित होना दोनों में बहुत अंतर है। साक्षरता अगर हमारी जरूरत है तो शिक्षित होना हमारा उद्देश्य होना चाहिए।"
वह आगे कहती हैं, "मेरा मानना है कि हम सब अपने समाज और परिवेश के ऋणी हैं। युवा वर्ग को यह ऋण उतारना है तो उस समाज को अपनी शिक्षा केअ माध्यम से सशक्त करना होगा।
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