आरएसएस मुख्यमंत्री के चुनाव में कभी दखल नहीं देती, योगी को विधायकों ने चुना: नायडू

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आरएसएस मुख्यमंत्री के चुनाव में कभी दखल नहीं देती, योगी को विधायकों ने चुना: नायडूपत्रकारों से बात करते वेंकैया नायडू।

नई दिल्ली (भाषा)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए योगी आदित्यनाथ के चुनाव में कोई हस्तक्षेप नहीं किया था।

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर कट्टर हिंदुत्ववादी चेहरा पेश करने के लिए चौतरफा हो रही पार्टी की आलोचनाओं के बीच नायडू ने कहा कि विधायकों ने नेता को चुना है और यही पार्टी की प्रणाली है। उन्होंने विपक्ष से ‘‘पराजय को विनम्रता के साथ'' स्वीकार करने, जनादेश को स्वीकार करने और नए मुख्यमंत्री को ‘‘उचित अवसर'' देने के लिए कहा। नायडू ने कहा,‘‘विधायक पार्टी संसदीय बोर्ड के तहत नेता को चुनते हैं।

भाजपा में यही तरीका है। आरएसएस कभी हस्तक्षेप नहीं करता ओैर किसी नाम का सुझाव नहीं रखता है।'' उन्होंने कहा कि निर्वाचित विधायकों से विचार विमर्श के बाद, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को विधायकों की राय से अवगत करा दिया था। नायडू ने कहा,‘‘ मैंने विधायकों के साथ बैठक की और उस बैठक में सुरेश खन्ना ने योगी आदित्यनाथ के नाम का प्रस्ताव रखा तथा नौ अन्य ने उनका समर्थन किया। सभी विधायक खडे हो गए और सर्वसम्मति से उनके नाम पर सहमत हो गए। तो यह विधायकों का निर्णय है जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने मंजूरी दी थी।'' नायडू का यह बयान विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों के बाद आया है कि भाजपा 2019 के चुनाव विकास के नाम पर नहीं बल्कि मतदाताओं का ध्रुवीकरण करके लड़ना चाहती है।

बसपा सुप्रीमो ने मायावती ने रविवार को कहा था,‘‘ इसीलिए उन्होंने आरएसएस के आदमी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया है। भाजपा की शानदार जीत के बाद आदित्यनाथ ने कल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली नायडू ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह बिना किसी भेद भाव के समाज के सभी तबकों के साथ काम करेंगे। विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह भाजपा को मिले शानदार जनादेश को पचा नहीं पा रहे हैं, ‘‘मैं उनसे ‘पराजय को विनम्रता के साथ '' स्वीकार करने, जनादेश को स्वीकार करने और नए मुख्यमंत्री को ‘‘उचित अवसर'' देने का अनुरोध करता हूं।'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश का विकास होगा तभी भारत का विकास होगा और ‘‘सबका साथ सबका विकास'' उनका लक्ष्य हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आदित्यनाथ प्रधानमंत्री के बयान की भावना को समझते हैं। वह जाति से ऊपर हैं लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग उन्हें जाति से जोड़ रहे हैं।'' नायडू ने कहा, ‘‘नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री को अवसर दिए बिना उनकी आलोचना करना राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों समेत किसी भी व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है।'' उन्होंने ने जोर देते हुए कहा कि आदित्यनाथ अपने ‘‘आलोचकों को गलत साबित करेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘राज्य चुनाव में जो हुआ उसे देखते हुए मुझे लगता है कि जाति और धर्म पर आधारित राजनीति बीते जमाने की बात हो जाएगी। अब जनता विकास चाहती है, समग्र विकास।'' आदित्यनाथ को आरएसएस के इशारे पर मुख्यमंत्री बनाए जाने वाली रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने जवाबी हमला करते हुए कहा, ‘‘ये लोग कौन होते हैं ये कहने वाले? उत्तर प्रदेश की जनता ने जनादेश दिया है। जनादेश भाजपा के लिए है और भाजपा विधायकों ने योगी आदित्यनाथ को चुना है।

उन्होंने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे विरोधियों को थोड़ा संयम बरतना चाहिए। 325 विधायक चुना जाना भाजपा के लिए लिए ऐतिहासिक क्षण है। हमारे विरोधी इसे हजम नहीं कर पा रहे हैं।'' नायडू ने कहा, ‘‘वे भाजपा की आलोचना करके जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, ‘इसमें आरएसएस कहा हैं? इसमें विहिप कहां हैं? यहां तक कि आरएसएस ने भी स्पष्टीकरण दे दिया है।'

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उन्होंने दोहराया कि आरएसएस मुख्यमंत्री के चुनाव में दखल नहीं देता और कहा, ‘मैं पार्टी अध्यक्ष रह चुका हूं और मेरे कार्यकाल में राज्य सरकारों के लिए नौ से 10 नेता चुने गए थे।'' नायडू ने कहा, ‘हमेशा विधायक और संसदीय बोर्ड ही नेता का चुनाव करते हैं।पार्टी अध्यक्ष होने के नाते मेरे भी कुछ अनुभव हैं।' उन्होंने कहा,‘‘आरएसएस ने कभी दखल नहीं दिया न कोई तानाशाही की। जी के नाम का प्रस्ताव दिया गया और सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से उन्हें नेता चुना। इसलिए आरएसएस की तानाशाही का प्रश्न ही कहा हैं?'' योगी को चुने जाने का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘वह पांच बार के सांसद हैं। ह बार वह ज्यादा वोटों से जीतते हैं। सके अलावा वह सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ मुख्यमंत्री बने हैं।'

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