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माओवादियों से संबंध रखने के आरोपी जीएन साईबाबा को उम्र कैद की सजा

जेल

लखनऊ। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में महाराष्ट्र के गडचिरोली जिला और सत्र न्यायालय ने मंगलवार को दोषी करार दिया है। अदालत ने जीएन साईबाबा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

पोलियो के कारण विल्चेयर से चलने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा के साथ में 5 अन्य लोगों को भी दोषी माना है, जिसमें जेएनयू के छात्र हेम मिश्र और प्रशांत राही, आदिवासी पांडु पोरा नारोटे, महेश करमान तिर्की और विजय तिरकी शामिल हैं। साई बाबा सहित चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है, वहीं विजय तिरकी को 10 साल की जेल में सजा सुनाई है।

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पुलिस के अनुसार ‘साईबाबा छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपे माओवादियों को खबरें पहुंचाते थे इसकी जानकारी हमें तब मिली जब जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार साईबाबा छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपे माओवादियों को खबरें पहुंचाते थे।’

जीएन साईबाबा जमानत पर थे बाहर

देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप के कारण जीएन साईबाबा को महाराष्ट्र पुलिस ने मई 2014 में गिरफ्तार किया था। अप्रैल 2016 में साईबाबा को जमानत दी गई थी। साईबाबा 90 प्रतिशत विकलांग है।

साईबाबा की पत्नी वसंत साईबाबा ने एक वेब पोर्टल से बातचीत करते हुए कहा ‘हम निर्दोष होने की अपेक्षा कर रहे थे। यह फैसला चौकाने वाला है। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। अदालत की निर्णय के खिलाफ हम आगे की अदालत जायेगे। उन्हें राज्य के दबाव का दोषी माना गया है।

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