डीएम की छापेमारी में खुली समाज कल्याण विभाग के गड़बड़झाले की पोल

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डीएम की छापेमारी में खुली समाज कल्याण विभाग के गड़बड़झाले की पोललिपिकों से प्रपत्रों की जांच कराते जिलाधिकारी।

गाँव कनेक्शन संवाददाता

उन्नाव। भ्रष्टाचार की भट्टी में तप रहे जिले में विधवाओं के नाम पर सरकारी योजना में घालमेल का मामला सामने आया है। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना अंतर्गत दिए जाने वाली लाभ राशि में जिले में जमकर बंदरबांट की गई है। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की इस मिलीभगत पर डीएम सुरेन्द्र सिंह गंभीर हो गए हैं। एक सप्ताह पहले पारिवारिक लाभ योजना के 28 मामले फर्जी पाए जाने के बाद से ही जिलाधिकारी गंभीर हो गए थे।

उस मामले में पुलिस अभी जांच शुरू भी नहीं कर पायी थी कि गुरुवार को डीएम ने समाज कल्याण विभाग में अचानक छापा मार दिया। यहां उन्होंने स्वीकृत आवेदन पत्रों की जांच शुरू कराकर उन्हें खंगालना शुरू कर दिया। जिलाधिकारी ने कुछ आवेदनों की जांच कराई गई। इन आवेदनों में जाति, आय व मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के साथ ही एसडीएम के डिजिटल साइन तक फर्जी पाए गए। इस पर उन्होंने संबंधित लिपिकों को सभी आवेदनों की जांच फिर से करके रिपोर्ट लगाने का फरमान जारी किया है। वहीं, बिना सूचना के गायब चल रहे समाज कल्याण अधिकारी और एक लिपिक की भूमिका भी संदिग्ध होने की आशंका जताते हुए उन्हें भी जांच की जद में लेने के निर्देश सीडीओ को दिए।

बीते दिनों पारिवारिक लाभ योजना में घालमेल सामने आने पर 28 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मामले में जांच शुरू हो पाती इससे पूर्व विभाग पर जिलाधिकारी की गाज गिर गई। दरअसल, हुआ यह की गुरुवार को डीएम सुरेन्द्र सिंह कांशीराम योजना के लाभार्थियों को आवंटन पत्र सौंपने के लिए विकास भवन पहुंचे थे। जहां अचानक उनके सामने गंजमुरादाबाद और बीघापुर के कुछ लोग आ गए। उन्होंने बताया की पारिवारिक लाभ योजना में घालमेल किया गया है। इस पर डीएम को फिर सब याद आ गया और वह सभी अधिकारियों को लेकर नीचे तल पर बने समाज कल्याण विभाग कार्यालय आ धमके।

इसके बाद डीएम ने तत्काल पारिवारिक लाभ योजना से जुड़े दस्तावेज मंगाए। जिलाधिकारी ने एक-एक कर आवेदनों में लगे आय और मृत्यु प्रमाण पत्र की ऑनलाइन जांच करानी शुरू की। इस बीच डीएम ने जिन प्रमाण पत्रों की जांच कराई उनका मिलान नहीं हो सका। कार्यालय के स्टाफ से उन्होंने पूछताछ शुरू की तो लोग खामोश हो गए। फिर डीएम ने तत्काल आवेदन पत्रों की जांच शुरू करने के निर्देश देने के साथ ही कहा, "जब तक यहां रखे आवेदन पत्रों की जांच पूरी नहीं हो जाती है कोई घर नहीं जाएगा।" उन्होंने जांच का तरीका बताते हुए तीनों कम्प्यूटर पर लिपिकों को बैठा दिया।

एसडीएम के दस्तखत तक फर्जी

परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने के बाद सरकार द्वारा दी जाने वाली राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के आवेदन पत्रों की जांच के दौरान पता चला कि उसमें लगने वाली तहसील की रिपोर्ट में मोहर से लेकर एसडीएम के हस्ताक्षर तक फर्जी हैं। एक ही तारीख में कई आय व निवास प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। जो शंका पैदा कर रहे हैं। एक ही तहसील के एसडीएम, तहसीलदार के हस्ताक्षर आवेदनों में अलग-अलग हैं।

लिपिक का नाम भी विवेचना में शामिल होगा

समाज कल्याण अधिकारी और लिपिक के गायब होने की जानकारी डीएम को लग गयी। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए इनके भी घोटाले में शामिल होने की आशंका जताई। उन्होंने सीडीओ से कहा, "पारिवारिक लाभ के फर्जी पाए गए जिस मामले में एफआईआर दर्ज है। उसमें विवेचक को बुलाकर इन अधिकारी और कर्मचारी की भी जानकारी दी जाए। जांच में इनके नाम भी शामिल होने चाहिए।

सीडीओ की स्वीकृति के बाद होगी जांच

अब पारिवारिक लाभ योजना का आवेदन सीधे समाज कल्याण अधिकारी के पास नहीं जाएगा। डीएम ने व्यापक घोटाला मिलने की आशंका पर नए निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि अब नए सिरे से आने वाले आवेदन पत्रों को जांच के लिए भी तभी भेजा जाएगा जब उनकी स्वीकृति सीडीओ से ले ली जाएगी। इतना ही नहीं जांच पूरी होने के बाद भी उसका एक बार रैंडम सत्यापन किया जाएगा। तभी लाभार्थी की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "सीडीओ साहब आपकी नजर के नीचे से आवेदन आएंगे तो घोटाले की गुंजाइश न के बराबर हो जाएगी।"

घोटाले का ऑनलाइन खेल

घोटाले का यह पूरा खेल, लाभार्थियों के ऑनलाइन पंजीकरण से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के तहत गरीबी के रेखा से नीचे वाली महिलाओं को 3 हजार रुपये की धनराशि मिलती है। किसी महिला के पति की असमय मृत्यु हो जाने की दशा में ऑनलाइन आवेदन करने पर 3 हजार रुपए की सहायता राशि विधवा के खाते में देती है। ऑनलाइन आवेदन के बाद जनसेवा केंद्र व लोकवाणी केंद्र उसे समाज कल्याण अधिकारी की आईडी पर फॉरवर्ड कर देते हैं। इसके बाद वह आवेदन समाज कल्याण से संबंधित उपजिलाधिकारी की आइडी पर संस्तुति के लिए जाता है। उपजिलाधिकारी की संस्तुति मिलते ही समाज कल्याण लाभार्थी के खाते में धन अवमुक्त कर देता है।

   

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