पुनरीक्षित लागत से लग रही करोड़ों की चपत

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पुनरीक्षित लागत से लग रही करोड़ों की चपतप्रतीकात्मक तस्वीर।

अजय मिश्र

कन्नौज। योजनाओं और परियोजनाओं के लिए पहले अनुमोदित लागत का बजट जारी किया जाता है। बाद में पुनरीक्षित यानि रिवाइज इस्टीमेट भेजकर धनराशि बढ़ाकर डिमांड की जाती है। इससे सरकार को करोड़ों की चपत लगती है। हाल में ही जिले में पांच गांव में पाइप पेयजल योजना का पुनरीक्षित बजट के तहत 237 लाख का बजट जारी कर दिया गया है।

रिवाइज बजट का मुख्य कारण निर्माण कार्य का देरी से होना भी है। सामग्री के रेट बढ़े दिखाकर धनराशि की मांग शासन से और की जाती है। कुछ ही मामलों में कार्य अधिक होना दिखाया जाता है। ज्यादातर रिवाइज फायदे के लिए ही भेजा जाता है। जिले में त्वरित आर्थिक विकास योजना के तहत वर्ष 2013-14 में पांच पाइप पेयजल योजनाएं स्वीकृत हुई थीं। विशेष सचिव अबरार अहमद ने जारी किए अपने पत्र में हवाला दिया है कि छिबरामऊ ब्लॉक क्षेत्र के निगोह खास में 160.73 लाख से पाइप पेयजल योजना स्वीकृत हुई थी। बाद में पुनरीक्षित लागत 177.31 लाख हो गई। इसी तरह ब्राहिमपुर निजामपुर में पहले 201.15 लाख से बढ़ाकर 220.06 लाख, उमर्दा ब्लॉक क्षेत्र के औसेर में 655.23 लाख से बढ़ाकर 730.35 लाख, खैरनगर में 494.37 लाख से बढ़ाकर 549.86 लाख और रामपुर मझिला में 783.91 लाख से बढ़ाकर 855.04 लाख रुपए स्वीकृत हुए। सभी परियोजनाओं की कुल लागत 2,532.62 लाख हो गई है। पहले स्वीकृत लागत 2,295.39 लाख ही थी। इस तरह सरकार से 237.23 लाख रुपए रिवाइज के तहत अधिक जारी कर दिया गया है।

जब दंग रह गए थे अफसर

रिवाइज की हालत यह है कि प्रमुख सचिव अनिल कुमार जब जिले की योजनाओं और परियोजनाओं का हाल जानने के लिए कन्नौज आए थे तो उन्होंने इंजीनियरिंग काॅलेज का भी भ्रमण किया था। यहां प्रोजेक्ट मैनेजर ने जब पूर्व में अनुमोदित लागत और रिवाइज लागत बताई तो प्रमुख सचिव और तत्कालीन डीएम अनुज कुमार झा दंग रह गए थे। यहां भी करोड़ों का अंतर पाया गया था। प्रोजेक्ट मैनेजर ने तर्क दिया था कि कई नए काम रिवाइज बजट में जोड़े गए हैं।

  

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