बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को सुमित्रा चरत राम अवार्ड 

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बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को सुमित्रा चरत राम अवार्ड बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया।

नई दिल्ली (भाषा)। प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को प्रतिष्ठित सुमित्रा चरत राम अवार्ड-2016 से सम्मानित किया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने कमानी सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को प्रशस्ति पत्र, शॉल और रजत पदक देकर इस अवार्ड से सम्मानित किया।

जंग ने कहा, ‘‘कला जगत का यह प्रतिष्ठित सम्मान देश के सबसे प्रतिष्ठित बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी को सौंपना मेरा सौभाग्य है।'' श्रीराम भारतीय कला केंद्र की निदेशक और उपाध्यक्ष श्रीमति शोभा दीपक सिंह ने कहा, ‘‘2011 में श्रीराम भारतीय कला केंद्र ने इस अवार्ड के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य विधा में उच्चतम स्तर की उपलब्धियों और योगदान के मानक की स्थापना की है। इस वर्ष भी केंद्र ने बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का इस सम्मान के लिए चयन करके उसी परंपरा का निर्वाह किया है।''

श्रीराम भारतीय कला केंद्र प्रतिवर्ष सुमित्रा चरत राम के जन्मदिवस 17 नवंबर को भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य से जुड़े शीर्षतम कलाकारों को कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए इस अवार्ड से सम्मानित करता है। इस पुरस्कार के तहत प्रशस्ति पत्र, शॉल, एक रजत पदक और एक पर्स प्रदान किया जाता है।

इससे पहले सुमित्रा चरत राम अवार्ड से पंडित बिरजू महाराज (कथक) किशोरी अमोनकर (हिन्दुस्तानी गायन) मायाधर राउत (ओडिसी नृत्य), पंडित जसराज (हिन्दुस्तानी गायन) और कुमुदिनी लाखिया (कथक) को सम्मानित किया जा चुका है।

पद्म विभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म एक जुलाई 1938 को इलाहाबाद में हुआ था। चौरसिया उत्तर भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ भारतीय शास्त्रीय बांसुरी वादक हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र में पंडित राजाराम से गायन कला सीखनी शुरु की थी। बाद में उन्होंने आठ साल तक वाराणसी के पंडित भोलानाथ प्रसन्ना के संरक्षण में बांसुरी वादन सीखा। वह 1957 में ऑल इंडिया रेडियो, कटक, ओडिशा से संगीतकार और कलाकार के रुप में जुड़ गये। बाद में उन्होंने बाबा अलाउद्दीन खान की बेटी अन्नपूर्णा देवी से मार्गदर्शन प्राप्त किया।

शास्त्रीय संगीत के अलावा उन्होंने, शिव हरि नामक एक समूह बनाकर शिवकुमार शर्मा के साथ भारतीय फिल्मों के लिए एक संगीत निर्देशक के रुप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने फ्यूजन ग्रुप शक्ति सहित दुनिया भर के संगीतकारों के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने नीदरलैंड में रोत्रदाम म्यूजिक कंजरवेटरी में विश्व संगीत विभाग के कलात्मक निदेशक के रुप में कार्य किया। वह मुंबई और भुवनेश्वर स्थित वृंदावन गुरुकुलों के संस्थापकों में से एक हैं। यह दोनों संस्थान गुरु-शिष्य परंपरा में हिन्दुस्तानी बांसुरी विधा में छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए समर्पित विद्यालय हैं।

चौरसिया ने जॉन मैकलौगालिन, जैन गरबरेक और केन लाउबर सहित पश्चिम के कई संगीतकारों के साथ काम किया। उन्होंने जार्ज हैरिसन द्वारा लिखे बीटल्स के ‘दि इनर लाइट' पर भी प्रस्तुति दी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 2013 में पंडित हरिप्रसाद चौरसिया पर एक वृत्तचित्र भी बनाया है।

    

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