मोदी की सरकार बड़े-बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों की समर्थक: मायावती

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मोदी की सरकार बड़े-बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों की समर्थक: मायावतीमायावती (प्रतीकात्मक फोटो)

लखनऊ। गुजरात में खेती के लिए सरकारी खाली ज़मीन के आवंटन की मांग को लेकर आंदोलनरत दलित समाज में से हुई मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। गुजरात सरकार दलितों के आत्मसम्मान के संघर्ष का दमन करने पर उतारू है, जो अति-निन्दनीय है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, मायावती ने कही।

जन कल्याणकारी कार्य का अभियान चलाएं

जारी की गयी एक विज्ञप्ति के माध्यम से मायावती ने यह भी कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दलित हितैशी का छद्म रूप त्याग कर कम से कम भाजपा शासित राज्यों में ख़ाली पड़ी सरकारी ज़मीन दलितों और आदिवासियों में बांटने के जन-कल्याणकारी कार्य का अभियान चलायें।

कड़े शब्दों में निंदा करती है बीएसपी

मायावती ने कहा कि ऊना की बर्बर घटना के बाद ख़ासकर गुजरात राज्य के दलितों में आत्मसम्मान व स्वाभिमान के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए संघर्ष की जो भावना पैदा हुई है, उसे गुजरात की भाजपा सरकार अनेकों प्रकार के हथकण्डे अपनाकर कुचलना चाहती है, जिसकी बीएसपी कड़े शब्दों में निन्दा करती है।

सरकारी दया और सहानुभूति के भूखे नहीं

उन्होंने कहा कि दलित समाज के लोग सरकारी दया व सहानुभूति के भूखे नहीं हैं। वे लोग अपने संवैधानिक व कानूनी हक को ज़मीनी सच्चाई में बदलता हुआ देखना चाहते हैं। इस कार्य में खासकर गुजरात के ऊना के दर्दनाक काण्ड से वहाँ के दलित समाज के लोग अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान के जीवन के लिए संघर्षरत हैं, जिसके अर्न्तगत ही उनकी पहली मांग सरकारी खाली पड़ी जमीन पर खेती करने का अधिकार देने की हैं।

क्योंकि खेती करने की कोशिश की

उन्होंने कहा कि अपनी इसी मांग को लेकर गुजरात के जूनागढ़ जिले के कलेक्ट्रेट के सामने पिछले कई दिनों से वहां शांतिपूर्ण धरना पर बैठे दलित समाज के लोगों में से तीन ने अपनी मांग नहीं माने जाने के विरोध में ज़हर पीकर अपनी जान देने की कोशिश की, जिसमें से एक प्रभात परमार की मौत हो गयी। परमार को सन् 1991 को उसके गाँव सानधा से बेदखल कर दिया गया, क्योंकि उसने वहाँ खेती करके अपना जीवन यापन करने की कोशिश की थी।

ऐसी बीएसपी की मांग है

मायावती जी ने कहा कि सरकार की खाली पड़ी बंजर जमीनों आदि को भूमिहीनों खासकर दलित व आदिवासी समाज के भूमिहीनों में बाँटना गुजरात सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिये, क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, दोनों ही गुजरात राज्य से आते हैं तथा दलितों के प्रति उभरे अपने नये-नये प्रेम को उजागर करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते हैं। वे दोनों ही लोग परमपूज्य बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर को भी याद रखने की कोशिश करते हैं। इसलिये उन्हें दिखावटी व बनावटी दलित प्रेम त्यागकर खासकर भाजपा शासित राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान में एक विशेष अभियान चलाकर दलित समाज के लोगों में खाली व बंजर पड़ी सरकारी ज़मीनों को आवंटित करने का काम शुरू करना चाहिये, ऐसी बीएसपी की माँग है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में अपने शासनकाल दौरान बीएसपी ने ऐसा करके भी दिखाया है।

भाजपा के विकास के दावों की खुल रही पोल

इस प्रकार एक तरफ तो अपने लिये ’’सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति’’ के लिये जबर्दस्त तौर पर संघर्ष करता हुआ देश में काफी बड़ी आबादी रखने वाला दलित समाज है, तो दूसरी तरफ सर्वसमाज के करोड़ों लोगों की एक ऐसी फौज है जो बेरोजगारी, महँगाई की मार झेलने को मजबूर है, जिससे भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहु-प्रचरित ’‘विकास’‘ के दावों की भी पोल खुल रही है। मायावती ने कहा कि उपरोक्त अध्ययनों से बीएसपी का यह आरोप सही साबित होता है कि भाजपा व केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों की समर्थक सरकार है तथा ग़रीबों, किसानों, मज़दूरों, बेरोजगार युवकों आदि की विरोधी सरकार है।

    

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