युद्धग्रस्त सोमालिया भीषण सूखे की चपेट में, खतरे में 62 लाख लोगों का जीवन

Mithilesh DharMithilesh Dhar   4 March 2017 8:12 PM GMT

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युद्धग्रस्त सोमालिया भीषण सूखे की चपेट में, खतरे में 62 लाख लोगों का जीवनमदद की उम्मीद में महिलाएं और बच्चे। (फोटो साभार-रेड क्रास सोसायटी)

सोमालिया के राष्ट्रपति ने सूखे की घोषणा की।

सोमालिया। एक सप्ताह पहले सोमालिया के नए राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुलाही ने शपथ लेने के साथ ही देश ही ये घोषणा कर दी थी कि देश भीषण सूखा की चपेट में है और 62 लाख लोगों का जीवन संकट में है।

खाने के अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।

बावजूद इसके यहां अल शबाब के खिलाफ चल रहा युद्ध जारी है और अफ्रीकी संघ बल (AMISOM) को लड़ाई के लिए अभी भी सरकारी मदद दी जा रही है। ये सूखा उन लोगों के लिए परीक्षा की घड़ी साबित होगी जो सोमालिया के इस हालात के लिए जिम्मेदार हैं। यह इंटरनेशनल समुदाय के मदद की भी परीक्षा लेगा, सरकार की क्षमता का भी आकलन होगा। ये हालात अफ्रीकन यूनियन फोर्स के लिए ये संकट लेकर आया है।

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वर्षों पुराने पेड़ भी सूख चुके हैं।

उत्तरी सोमालिया में तीन साल पहले बारिश की थोड़ी बूंदें गिरी थीं। इस क्षेत्र की आबादी सूखे की भयंकर चपेट में है। इस झुलसे हुए क्षेत्र के लोग ऊंट और बकरियों के लिए अनाज पैदा नहीं कर पा रहे हैं। मवेशी मर रहे हैं। जबकि यहां की ज्यादातर आबादी दूध और मांस के करोबार से जीवनयापन करती है।

जहां-तहां मवेशियों के कंकाल पड़े हैं।
पानी के अभाव में भेड़ों की मौत। फोटो टि्वटर से।

पुंटलैंड के एक स्थानीय नेता ने बताया कि यहां के 65 प्रतिशत लोग अपने मवेशी खो चुके हैं। महिलाएं और बच्चे सड़कों पर खाने के लिए भटक रहे हैं। अब तो घरों में भी कुछ खाने को नहीं बचा है। लोग सड़क किनारे टेंट बनाकर इस उम्मीद से रह रहे हैं कि कोई गुजरने वाला उन्हें कुछ खाने को दे देगा। धूल और चिलचिलाती धूप में यहां के बच्चे, बूढ़े और महिलाएं उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनों में दुनिया के लोग सोमालिया की मदद करेंगे। लेकिन अगर सोमालिया के अकाल की बात होगी तो मतलब ये होगा कि यहां कभी मदद नहीं पहुंची।

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