गुजरात में मालगाड़ी की चपेट में आने से तीन शेरों की मौत, तीन महीने में 35 शेर गंवा चुके हैं अपनी जान

Mithilesh DharMithilesh Dhar   18 Dec 2018 12:15 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
lions killed, lions dead, lion accident, lion gujarat, gujarat lionगिर के जंगलों में बैठे शेर। (File photo-indianexpress)

लखनऊ। गुजरात के अमरेली जिले में गिर वन के निकट मालगाड़ी की चपेट में आकर तीन शेरों की मौत हो गई। यह घटना अहमदाबाद से तकरीबन 250 किलोमीटर दूर अमरेली जिले के सावरकुंडला तालुका में बोराला गांव के निकट उस वक्त हुई जब छह शेरों का झुंड गांव से गुजरने वाली पटरी से गुजर रहा था। यह गांव गिर के जंगलों के नजदीक स्थित है।

जूनागढ़ वन्यजीव सर्किल के मुख्य वन संरक्षक डी टी वसवाडा ने भाषा को बताया "बोटाड से पिपावाव बंदरगाह जा रही एक मालगाड़ी ने मध्यरात्रि के समय छह शेरों के झुंड में से तीन को टक्कर मार दी, जिसमें दो शेरों और एक शेरनी की मौत हो गई।" उन्होंने कहा कि गुजरात वन विभाग ने जांच के आदेश दिये हैं। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच करेंगे कि क्या ट्रेन काफी तेज गति से जा रही थी जिससे यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। हम इस बात की भी जांच करेंगे कि क्या वनकर्मी या शेरों पर नजर रखने वाले कर्मचारियों की तरफ से कर्तव्य निर्वहन में चूक हुई। दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

ये भी पढ़ें-11 महीने में 85 बाघों की मौत, कहीं बाघों के लिए कब्रगाह न बन जाए भारत

इस घटना के साथ ही इस साल सितंबर से गिर के जंगल और उसके आस-पास शेर के बच्चों समेत कुल 35 शेरों की मौत हुई है। उनमें से कुछ की प्राकृतिक मौत हुई है जबकि कई अन्य केनाइन डिस्टेंपर वाइरस (सीडीवी) और प्रोटोजोआ संक्रमण के शिकार हुए। गिर वन राष्ट्रीय उद्यान एशियाई बब्बर शेरों का एकमात्र निवास स्थान है।

गिर (ईस्ट) जूनागढ़ वाइल्ड लाइफ सर्कल में आता है। बोराला गांव सावरकुंडला तालुका में में आता है जो अमरेली जिले में है। अमरेली जिले का सूरेंद्रनगर जंक्शन यहां से नजदीक ही लगता है। पीपावाव रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड और इंडियन रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड के साझेदारी में यहां का ट्रैक संचालित होता है। पीपावाव रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड एक निजी कंपनी है। यहां से लगभग 21 ट्रेन प्रतिदिन संचालित होती है।

2014-2015 के बीच इस ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से छह शेरों की मौत हुई थी। 2015 में जब शेरों की गणना हुई थी तब गुजरात में कुल 523 शेर थे, इसमें से 174 की संख्या तो अकेले अमरेली जिले में गिनी गई थी। पिछले दिनों गुजरात हाईकोर्ट में प्राणी प्रेमियों के जरिए पीआईएल फाइल की गयी थी, जिसके जवाब में जून 2018 में गुजरात सरकार ने कहा था कि 2016-17 के बीच 184 शेरों की मौत हुई थी। इनमें से 158 शेर प्राकृतिक मौत मरे थे, जबकि 32 शेरों की अप्राकृतिक मौत हुई थी।

यह भी पढ़ें-देश में हर महीने औसतन सात हाथियों की हो रही मौत, 10 फीसदी की दर से कम हो रही संख्या

साल 2017 में पिपावव-सुरेंद्रनगर के बीच चलने वाली मालगाड़ी से कटकर दो मादा शेर की मौत हो गई थी। इन मौतों के बाद प्रशासन ने कुछ हिस्सों की घेराबंदी कर दी थी लेकिन एक बड़ा हिस्सा अब भी वैसा ही है और अक्सर शेर इन रास्तों को पार करते देखे जाते हैं। शेर की संख्या को लेकर अंतिम गणना साल 2015 में की गई थी और यह संख्या अनुमानित संख्या से 27 फीसदी ज्यादा थी।

गुजरात में गीर नेशनल पार्क, गीर सेंक्चुरी, गिरनार सेंक्चुरी, मितियाला सेंक्चुरी और पनिया सेंक्चुरी शेरों के लिए संरक्षित क्षेत्र हैं और यहां इलाकों में कम से कम कम से कम 323 शेरों का आवास है।

2015 में जब शेरों की संख्या गिनी गई थी तब सवरकुंडला, लिलिया, राजुला और इसके आस-पास के इलाकों में 80 शेर होने का अनुमान लगाया था। इसके अलावा भावनगर में भी 37 शेरों के होने की उम्मीद जताई गई थी। गुजराज हाईकोर्ट में राज्य वन विभाग की ओर से दायर एक याचिका के अनुसार गुजरात में 523 शेरों में से 200 असुरक्षित क्षेत्रों में रहते हैं।


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.