रक्तरंजित भाग-4 'मेरा बलात्कार कभी भी हो सकता है'

Diti BajpaiDiti Bajpai   12 May 2018 5:40 AM GMT

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रक्तरंजित भाग-4  मेरा बलात्कार कभी भी हो सकता है

नाबलिगों का यौन शोषण हमारे समाज का एक ऐसा राज़ है जिसे छुपाने में अक्सर परिवारों का ही सबसे बड़ा हाथ होता है। ये कड़वी सच्चाई आपके और हमारे आसपास कैंसर की तरह फैलती जा रही है। ये मामले सुर्खियों से चाहे हट गए हों लेकिन खेतों में, स्कूल के रास्ते में, शौच के लिए जाते वक्त बलात्कार ग्रामीण भारत की रोजमर्रा की सच्चाई है। गाँव कनेक्शन इस विशेष सीरीज के माध्यम से इस मुद्दे को सुर्खियों के परे भी जिंदा रखेगा। हमें ऐसे मामलों के बारे में बताइये, हम पीड़िताओं को न्याय दिलाने का भरसक प्रयास करेंगे।

बाराबंकी। सोलह वर्षीय शबनम (बदला हुआ नाम) पिछले पांच महीने से इसी डर में जी रही है कि उसका बलात्कार कभी भी हो सकता है। पीड़िता ने गाँव कनेक्शन की संवाददाता से अपना नाम न छुपाने की बात कही। लेकिन नियम के अनुसार उसके नाम को छुपाया गया है।

"शरीर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है जहां पर उन लोगों ने मुझे नोचा नहीं। वो उस दिन कुछ कर नहीं पाए तो अब धमकी देते है। कि तुम्हारा बलात्कार कर के रहेंगे।" शबनम ने गाँव कनेक्शन को बताया।


उत्तर प्रदेश की राजधानी से महज 80 किलोमीटर दूर बाराबंकी जिले के एक गाँव में शबनम अपने मां और भाई-बहनों के साथ रहती है। "11 जनवरी 2018 की बात है मैं और मेरी छोटी बहन घर में थे तभी गाँव के दो लड़के बलात्कार करने घर में घुस आए। उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए थे। बस गलत काम नहीं कर पाए।" शबनम ने कहा, "मेरे साथ गलत होता देख मेरी छोटी बहन बहुत चिल्लाई तभी गाँव के कुछ लोग आ गए और वो दोनों लड़के भाग गए। अगर गाँव वाले नहीं आते तो नहीं बचते उन लोगों ने मेरे मुंह पर हाथ रखा हुआ था।"
शबनम के साथ दंरिदगी करने वाले आरोपी उसी के घर के पीछे रहते है। बलात्कार में नाकाम रहे दोनों युवक शबनम को अभी डराते धमकाते है और अश्लील फफतियां कसते है। "कहीं भी दिख जाते हैं तो गंदी-गंदी बातें करते है। तुमको उठा कर कहीं बेच देंगे। ऐसा बोलते है। उन लोगों की बाते कानों में गूंजती ही रहती है।" शबनम ने बताया।
शबनम की मां घर का खर्चा चलाने के लिए खेतों में मजदूरी करती है। "थाने में केस दर्ज कराया, बयान लिया, डॉक्टरी भी कराई लेकिन उनके खिलाफ कुछ नहीं किया। तब कचहरी में केस दर्ज कराया। हम चाहते है उसको सजा हो जाए।" अपनी बेटी की बात को बीच में रोकते हुए पीड़िता की मां किस्मतुल ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मजदूरी के लिए घर बाहर जाना पड़ता है दिन भर तीनों बेटियों की ही चिंता लगी रहती है कि कहीं कुछ हो न जाए। वो दोनों धमकाते रहते है थाने में रूपए देकर मुकदमा हटवा देंगे। तुम्हारा कुछ नहीं होगा।"
शबमन के मुताबिक उसके साथ हुई घटना ये गाँव की पहली घटना नहीं थी वो दोनों युवक गाँव की महिलाओं साथ दंरिदगी करते है। पर उन पर गाँव के एक दबंग व्यक्ति का सहयोग है, जिसकी वजह से उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता, लेकिन शबनम ने हिम्मत जुटाकर उसके खिलाफ आवाज उठाई।
महिलाओं को कानूनी अधिकार दिलाने वाली संस्था "आली" की कार्यकारी निदेशक रेनू मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया, " पिछले दस वर्षों की बात करे तो बच्चों के ऊपर होने वाले अपराध के मामलों में 500 गुना की वृद्धि हुई है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराध अब ज्यादा दर्ज हो रहे है, लेकिन इनके जो न्याय हैं इनमे किसी भी प्रकार का सुधार सामने नहीं आया है।"
रेनू आगे बताती हैं, "ज्यादातर मामलों में पुलिस एफआईआर दर्ज ही नहीं करती है वो सुलह समझौता कराने की कोशिश करती है, जबकि पोक्सो का सेक्शन 21 बी कहता है आपीसी का सेक्शन 166 ए कहता हैं कि अगर पुलिस एफआईआर में लापरवाही करे छानबीन में लापरवाही करे तो उसके खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए।"
शबनम के साथ हुई घटना को पांच महीने हो चुके है। उसके साथ आगे बुरा न इसके लिए शबनम और उसकी मां कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रही है लेकिन शबनम के साथ गलत काम करने वाले दोनों युवक गाँव में खुलेआम घूम रहे हैं। "जब कचहरी आना होता है तो गाँव में किसी को बोलना पड़ता है अकेले जाने की हिम्मत ही नहीं पड़ती है। अपने ही घर में डर लगता है अब कोई न कोई भाई घर में रहता है।" शबनम ने गाँव कनेक्शन को बताया।

न्याय दिलाने के लिए शबनम की मां उसका पूरा साथ दे रही है। "जो मेरी बेटी के साथ हुआ गाँव में किसी भी लड़की के साथ हो सकता है। इसलिए हम चाहते है कि उसको न्याय मिल जाए।"
11 जनवरी 2018 को शबनम के साथ घटना होने के बाद तुंरत केस दर्ज कराया गया। थाने से कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने मामला कचहरी में दर्ज हुआ। इस मामले की पैरवी कर रहे बाराबकी जिले के वकील किस्मत अली बताते हैं, "पुलिस अगर ठीक तरह से कार्रवाई करे तो आरोपी को सजा हो जाए लेकिन पुलिस सुलह समझौता कराने में लग जाती है। शबनम के मामले में आरोपी महीने भर जेल में रहे उसके बाद गाँव के ही दंबग पंडित ने उनकी जमानत करा ली। अभी केस चल रहा है।"




   

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