इंटरनेट की घटती कीमतों के कारण गाँव में बढ़ रहे बलात्कार: रक्तरंजित भाग 5

सस्ते दरों पर इंटरनेट की उपलब्धता और हर हाथ में स्मार्ट फोन महिलाओं के साथ बढ़ते यौन अपराधों को बढ़ावा दे रहे है। जहां पहले लोग एक महीने में एक जीबी इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे वहीं अब रोजाना एक से 2 जीबी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे है।

Diti BajpaiDiti Bajpai   6 Dec 2019 8:55 AM GMT

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इंटरनेट की घटती कीमतों के कारण गाँव में बढ़ रहे बलात्कार: रक्तरंजित भाग 5

लखनऊ। सस्ते स्मार्ट फोन और काफी सस्ते इंटरनेट (डाटा) ने महिलाओं और नाबालिगों के साथ बढ़ते यौन शोषण को बढ़ावा दिया है। लगभग हर हाथ में फोन है, महीने का एक जीबी डाटा इस्तेमाल करने वाला युवा और नाबालिग आज रोजाना एक से 2 जीबी इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल कर रहा है।

बलात्कार के ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं जब आरोपियों ने माना कि उन्होंने अश्लील वीडियो (पॉर्न) देखने के बाद किसी महिला या बच्ची से रेप किया। अगर आप के पास स्मार्ट फोन है तो उसके ब्राउजर में आम बोलचाल के प्रचलित शब्द तरीका या इस्तेमाल जैसे शब्द लिखकर देखिए...

मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन पर जो सामने खुलकर आएगा वो बताता है, सेक्स शब्द इंटरनेट पर कितना प्रचलित है और अब इन तक पहुंचना कितना आसान है। गूगल जैसे सर्च इंजन को समझने वाले बताते हैं जो शब्द सबसे ज्यादा सर्च किया जाता है वो ही सबसे ऊपर दिखता है। इंटरनेट के आंकड़े बताते हैं, दुनियाभर में सबसे ज्यादा अश्लील वेबसाइट भारत में देखी जाती हैं।

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"मैंने लगभग 350 से 400 बलात्कार केस ऐसे देखे है, जिसमें पोर्नोग्राफी फिल्म बलात्कार का कारण रही है। चाहे छोटे बच्चे हो या बड़े स्मार्ट फोन का इस्तेमाल सभी कर रहे हैं तो इस तरह के कंटेंट बड़ी ही आसानी से उन्हें देखने को मिल जाता है। जो अपराध को बढ़ावा देते है।" दिल्ली में महिलाओं के मुद्दों पर काम कर रही दि ऑल्टरनेट स्पेस संस्था की कार्यकारी अधिकारी और स्वतंत्र कंसलटेंट खदीजा ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इंटरनेट की कास्ट इतनी सस्ती है कि लोगों रिचार्ज कराने के लिए सोचना नहीं पड़ता है। अगर रिचार्ज नहीं भी करा पा रहा तो हर गाँव में ऐसी दुकानें मिल जाएंगी जो सस्ते दामों में अश्लील वीडियों को बेच अपनी दुकानें चला रहे है।"


एक केस का जिक्र करते हुए खदीजा बताती हैं, "एक बार मैंने एक रेपिस्ट से मिलकर यही पूछा था कि क्यों करते हो ऐसा? तो जवाब था हम चार लोग वीडियो देख रहे थे और वीडियो देखने के बाद सेक्स करने का मन किया तो लड़की को खींच लिया। जबकि और तीन दोस्त चले गए। तो कहीं न कहीं इससे उनकी सोच पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वो ऐसा करते है।" खदीजा ने आगे बताया, "पोर्नोग्राफी के अलावा दूसरा बड़ा कारण यह है कि अभी भी हमारे समाज में पितृसत्तामक सोच है जिसको बदलने की जरूरत है।"

भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या को लेकर इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और केंटार आईएमआरबी ने 'इंटरनेट इन इंडिया 2017' नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में स्मार्टफोन के जरिए इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ रही है। देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की कुल संख्या दिसंबर 2017 के आखिर तक लगभग 48.1 करोड़ थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक 918 मिलियन यानी 91.8 करोड़ की ग्रामीण आबादी में से 18.6 करोड़ लोग इंटरनेट यूज करते हैं, वहीं 455 मिलियन (45.5 करोड़) की शहरी आबादी में से 295 मिलियन (29.5 करोड़) लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

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रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि शहरी भारत का 77 फीसदी और ग्रामीण भारत का 92 हिस्सा इंटरनेट का उपयोग करने के लिए मोबाइल फोन को प्राथमिक उपकरण मानता है। शहरी भारत में जहां ऑनलाइन संचार व सोशल नेटवर्किंग के लिए इंटरनेट का उपयोग होता है वहीं पर ग्रामीण भारत में वीडियो व ऑडियो जैसे मनोरंजन के साधनों के लिए इंटरनेट का अधिक उपयोग किया जाता है।

लखनऊ के पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र कुमार मिश्रा पोर्न को रेप का जिम्मेदार नहीं मानते बताते हैं, "यौन अपराधों के लिए पूरी तरह से पोर्नोग्राफी ही जिम्मेदार है। इंटरनेट का बढ़ते दायरे मे कुछ सकरात्मक तथ्य है तो कुछ नकारात्मक भी है। घर बैठे आप इंटरनेट के इस्तेमाल से कई कामों को कर करके पैसा और समय बचा सकते है।" सुरेंद्र ने गाँव कनेक्शन को आगे बताया, " इंटरनेट के युग में पोर्नोग्राफी अब हर किसी को बहुत आसानी से उपलब्‍ध है इसकी भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।"

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह देश में रेप होने का मुख्य कारण पोर्नोग्राफी को मानते है। उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पोर्न साइट्स को बैन लगाने की मांग की है। गृहमंत्री के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार अब तक 25 पोर्न साइट्स को बैन कर चुकी है। गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने एक कार्यक्रम में बताया था कि राज्य के गृह मंत्रालय ने एक अध्ययन किया है, जिसमें पता चला है कि पोर्नोग्राफी बच्चों पर बुरा असर डाल रही है। लड़के और लड़कियों इन पोर्न साइट्स से जल्दी प्रभावित हो जाती है, जिससे बलात्कार जैसे अपराधों को बढ़ावा मिलता है। इन पोर्न साइट्स पर बच्चों की भी पहुंच बहुत आसान है। इससे बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है।

"इंटरनेट के जरिए पोर्न वीडियों की पहुंच एक तरह से काफी हद तक लोगों के पास बढ़ गया है। मैंने खुद देखा है कि 14 से लेकर 18 साल के ये जो बच्चे हैं इनमें इसका ज्यादा यूज और ज्यादा एक्सेस बढ़ने की वजह से भी इनके द्वारा इस तरह की घटना की जा रही है।" सीतापुर जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद कुलकर्णी ने बताया, " ऐसे कई मामले में मैने देखा जो 377 या 376 माइनर के रेप मामले थे उसमें जो एक्यूज है उसकी उम्र 16 साल 15 साल 17 साल है। एक पटिकुलर उम्र में जिसमें इन सब चीजों के बारे में उसको विशेष जानकारी भी नहीं है वो कुछ इंटरनेट पर टीवी पर देखकर अपनी कुछ मीनिंग उसके साथ अटैच करके इस तरह के अटेम्ट करता है।"


हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी और मानसिक सहायता मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने देशभर में 'वन स्टॉप सेंटर' खोले गए है। इन सेंटर के राज्यों में अपने अपने नाम है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 181 महिला हेल्पलाइन के नाम से इस सेंटर को शुरू किया गया है। इस सेंटर की कार्यकर्ता रूचि दीक्षित बताती हैं, " तीन महीने पहले ही एक मामला आया था जहां एक पति अश्लील और हिंसक वीडियों देखता था और वैसा ही अपनी पत्नी को करने के लिए बोलता था न करने पर उसे मारता था।" रूचि आगे बताती हैं, "जब वो महिला हमारे पास आई थी तब उसकी हालत काफी खराब थी। हम लोगों ने उसके पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई आज मामला कोर्ट में चल रहा है। तो बहुत ऐसे मामले है जो सामने नहीं आते है।"

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गूगल एडवर्ड के मुताबिक, दिसंबर 2012 में निर्भया गैंगरेप और हत्या की घटना के बाद से एक महीने में लगभग 4.1 मिलियन बार मोबाइल फोन का इस्तेमाल "बलात्कार" कीवर्ड खोजने के लिए किया गया था। सर्च कीवर्ड में "भारतीय लड़कियों के साथ बलात्कार", "रेपिंग वीडियो", "रेपिंग स्टोरी", "पब्लिक में रेप", "छोटी लड़की से बलात्कार", "माँ से बलात्कार", "बेटी का बलात्कार करने वाला पिता" और "रेप्ड टू डेथ" शामिल थे।

लखनऊ में मनोचिकित्सक डॉ साजिया सिद्दीकी बताते हैं, "आज इंटरनेट के जरिए एक क्लिक पर अश्लील साम्रगी देखने को मिल जाती है जिससे किशोरावस्था में पोर्न की लत विकसित हो रही है और अपराध बढ़ रहा है। पॉर्न देखने की लत किशोरों में धीरे-धीरे यह बीमारी का रूप ले रही है जो कि चिंताजनक है।" साजिया आगे बताती हैं, "पोर्न देखने वाला अगर व्यस्क है तो वह इसका आनंद उठाता है लेकिन वहीं अगर पोर्न देखने वाले की सोच विकसित नहीं है तो कई बार वो अपराध के रूप में लोगों के समाने आता है।"

सुझाव के बारे में डॉ साजिया ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अभी कई साइट्स को बैन कर दिया है। लेकिन इसके अभिभावकों को नजर रखना बहुत जरूरी है। कि बच्चे इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल कम से कम करे। स्कूल में पांचवी कक्षा से सेक्स ऐजुकेशन को का पाठ्यक्रम होना चाहिए ताकि बच्चो में जो पोर्न लत बढ़ रही है इसकों रोका जा सके।"

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