पीलीभीत: बांसुरी बनाने ही नहीं बजाने में भी माहिर है यह कारीगर परिवार
'कमर फ्ल्यूट्स' नाम से बांसुरी बनाने की फर्म चलाने वाले मोहम्मद कमर का पूरा परिवार बांसुरी बनाने के कारोबार में है। वह बताते हैं कि उनका यह पुश्तैनी काम है। उनसे पहले उनके दादा और पिता जी यह काम करते थे। इनके फर्म की बांसुरी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में भी भेजी जाती है।
Daya Sagar 12 April 2019 6:57 AM GMT
दया सागर/ रणविजय सिंह
पीलीभीत (उत्तर प्रदेश)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तराई में बसा पीलीभीत बांसुरी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। आजादी के पहले से यहां बांसुरी का कारोबार चलता आ रहा है। शहर के बीचों-बीच स्थित लाल रोड की तंग गलियों से गुजरते हुए आपको कई ऐसे घर मिलेंगे जहां बांसुरी बनाने का काम चलता है। यहां की बनाई गई बांसुरी दुनिया के कोने-कोने तक जाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में भी जो बांसुरी जाती है, वह भी पीलीभीत से ही जाती है।
'कमर फ्ल्यूट्स' नाम से बांसुरी बनाने की फर्म चलाने वाले मोहम्मद कमर का पूरा परिवार बांसुरी बनाने के कारोबार में है। वह बताते हैं कि उनका यह पुश्तैनी काम है। उनसे पहले उनके दादा और पिता जी यह काम करते थे। अब उनके साथ उनका भाई और बेटा यह विरासत संभाले हुए है। मोहम्मद कमर का परिवार सिर्फ बांसुरी बनाना ही नहीं जानता बल्कि उन्हें इसे बजाना भी बखूबी आता है। ये लोग कुल 24 प्रकार की बांसुरी बनाते हैं।
मोहम्मद कमर के बेटे राशिद मानवी ने बकायदा बांसुरी बनाने और बजाने की ट्रेनिंग ली है। उन्होंने बताया कि शुरूआती शिक्षा घर पर लेने के बाद वह गुरूग्राम (हरियाणा) स्थित एक संगीत एकेडमी में चले गए थे। जहां उन्होंने बांसुरी बनाने और बजाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
राशिद बताते हैं कि अगर आप किसी वाद्य यंत्र को बजाने की कला जानते हैं, तो आप उसे बेहतर तरीके से बना भी पाएंगे। राशिद कहते हैं कि पीलीभीत में बांसुरी का कारोबार इसलिए भी दम तोड़ने लगा है क्योंकि लोग अब इसे सिर्फ एक उद्योग के रूप में देखने लगे हैं। जबकि पहले के लोगों को इसे बजाने की कला में भी महारत हासिल था।
राशिद कहते हैं, "हम सिर्फ बांसुरी के कारीगर नहीं बल्कि इसके कीड़े हैं। हम इसके सुर को समझते हैं, इसलिए हम इसे बेहतर बना पाते हैं। जिन लोगों को सुर की समझ नहीं है, उनके लिए यह सिर्फ एक उद्योग है। बांसुरी उनके लिए बस एक लकड़ी का डंडा है।" राशिद को उनकी इस कला के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
आरएसएस की बांसुरी यहीं बनती है
'कमर फ्ल्यूट्स' के मालिक और राशिद मानवी के पिता मोहम्मद कमर बताते हैं कि उनके वहां से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में भी बांसुरी जाती है। वह कहते हैं, "आरएसएस के साथ हमारा कारोबार पांच साल पहले शुरू हुआ। आरएसएस में दो तरह की बांसुरी जाती है। एक बांसुरी तो सामान्य बांसुरी की तरह ही लकड़ी से बनती है, जो कि वेल ट्यून्ड रहती है। जबकि दूसरी बांसुरी पीवीसी (प्लास्टिक) की बनती है, जो कि बी फ्लैट स्केल पर बनती है।"
राशिद मानवी कहते हैं कि आरएसएस उनके काम से खुश है, तो वे भी आरएसएस के साथ काम करके खुश हैं। उन्हें अच्छे से बनाई गई वेल ट्यून्ड बांसुरी चाहिए होती है जो कि हम उन्हें बनाकर देते हैं। हमें उसका भुगतान भी समय से मिल जाता है। इसके बाद राशिद नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद की तरफ निकल जाते हैं।
पीलीभीत के बांसुरी उद्योग पर पढ़ें रिपोर्ट - पीलीभीत जहां बनती है 'कन्हैया' की बांसुरी
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