इनके दम पर है कुंभ की सफाई, लेकिन इनका दर्द कौन जाने

जिनके दम पर सरकार कुंभ मेला का नाम गिनीज बुक में दर्ज करवाने का दावा कर रही है, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है

Mithilesh DharMithilesh Dhar   9 Jan 2019 7:00 AM GMT

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इनके दम पर है कुंभ की सफाई, लेकिन इनका दर्द कौन जाने

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉफ्रेंस में दावा किया था कि सफाई व्यवस्था के लिए कुंभ का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड दर्ज होगा। लेकिन जिन कर्मचारियों के कंधों पर इसकी जिम्मेदारी है, उनमें से बहुत से लोगों को इस बार की तो छोड़िए, माघ मेले की भी मजदूरी नहीं मिली है।

जिला बांदा से अपने दो साल के बच्चे को लेकर मजदूरी करने आईं रेखा कहती हैं "मैं नवंबर में यहां आई थी, डेढ़ महीने हो गया, लेकिन अभी तक एक नया नहीं मिला है। ठेकेदार ने कहा था कि पैसा बैंक खाते में आएगा। मैं अपने छोटे बच्चे को लेकर यहां आई हूं। पिछले साल माघ मेले में भी आई थी, उसका भी 20 दिनों का पैसा नहीं मिला है।"

रेखा आगे कहती हैं " पैसे न मिल पाने के कारण यहां खाने-पीने की बहुत दिक्कत हो रही है। मैं तो बांदा बार-बार जा भी नहीं सकती इसलिए जो लोग उधर जाते हैं राशन का सामान उन्हीं से मंगवा लेती हूं।"

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उत्तर प्रदेश सरकार की मानें तो मेले में सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए प्रदेश भर से ठेके पर लगभग 20 हजार सफाई कर्मियों को प्रयागराज में काम पर लगाया गया है। इनके रहने के लिए मेला क्षेत्र में ही कैंप बनाये गये हैं, लेकिन इस भीषण ठंड में उनमें रात कैसे कटती होगी, इसका हम और आप अनुमान भी नहीं लगा सकते।

कुंभ की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार कुंभ मेला 2019 में करीब एक लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हो रहा है जो अपने आखिरी दौर में है, इसके लिए बीस हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी लगाए गए हैं। 15 जनवरी को पहला शाही स्नान है। एक अनुमान के मुताबिक प्रयागराज में हो रहे इस कुंभ में 12 से 15 करोड़ लोगों के आने का अनुमान जताया जा रहा है। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने दावा किया है कि सफाई व्यवस्था के लिए कुंभ मेले का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होगा, लेकिन जिनके दम पर यह दावा खेला जा रहा है, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

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उत्तर प्रदेश के जिला बांदा से आये 25 साल के राजेश पहले गुजरात में मजदूरी करने जाते थे, लेकिन ठेकेदार ने बताया कि कुंभ मेले में चलो, वहां बहुत काम है। घर से नजदीक होने के कारण राजेश यहां आ तो गये लेकिन अब उन्हें पछतावा हो रहा है।


राजेश कहते हैं "285 रुपए डेली के हिसाब से पैसे मिलने की बात ठेकेदार ने की थी। लगभग डेढ़ महीना बीत गया, लेकिन अभी तक एक दिन का भी पैसा नहीं मिला है। ऐसे में अब मुझे लग रहा है कि गुजरात ही चला गया होता तो अच्छा रहता है।"

राजेश अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहते हैं "हम जो काम करते हैं वो सब कर भी नहीं सकते। हर तरह की गंदगी साफ करते हैं, लेकिन हमें यहां ठीक से रहने तक व्यवस्था नहीं दी गई। जब से आया हूं तब से दो बार घर जा चुका राशन लाने के लिए, अब तो सोच रहा हूं कि एक बार पैसा मिल जाये, फिर किसी और काम के बारे में सोचूंगा।"

गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए फाइबर के कम्युनिटी टॉयलेट पूरे मेला क्षेत्र में बनाये गये हैं। मेला शुरू होने में अभी वक्त है लेकिन चूंकि साधु-संत आ रहे हैं, पेशवाई शुरू है इसलिए शौचालयों की सफाई अभी से प्रतिदिन की जा रही है। पिछले दिनों मेला क्षेत्र में ही एक मजदूर की मौत भी गयी थी। लोगों का आरोप था कि ठंड लगने से उसकी मौत हुई, लेकिन प्रशासन ने ठंड लगने की पुष्टि नहीं की है।

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इस बारे में सफाई मजदूर एकता मंच प्रयागराज के अध्यक्ष रामसिया कहते हैं "सरकार स्वच्छ कुंभ का नारा दे रही है लेकिन जिनके दम पर सफाई व्यवस्था टिकी है उनके हित की कोई बात ही नहीं करने वाला है। उनकी जान से खिलवाड़ा किया जा रहा है। एक मजदूर की तो लापरवाही के कारण मौत भी गयी। पैसा भी समय से नहीं मिल रहा, कई मजदूरों को तो पिछले साल माघ मेले का भी पैसा नहीं मिला है।"

कुंभ मेला क्षेत्र सेक्टर 16 के मेठ पप्पू कहते हैं "मैं तो पूरे परिवार के साथ यहां काम कर रहा हूं, पिछले साल माघ मेले सब का मिलाकर 10 हजार रुपये से ज्यादा का बकाया है। इस बार 16 नवंबर से आया था, लेकिन कुछ दिनों का ही पैसा मिला, लगभग डेढ़ महीने का पैसा रुका है। मैं मेठ हूं और मेरी टीम में कई लोग हैं, सब मुझसे तकादा करते हैं, लेकिन अधिकारी कुछ बताने को राजी ही नहीं हैं। हमारा तो खाता भी खुला है।"

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से आये नीलू की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। नीलू जब हमसे मिले तो वे बैंक से लौट रहे थे। अपना पासबुक दिखाते हुए नीलू कहते हैं " पिछले साल माघ मेले का पांच हजार रुपए नहीं मिला है। इस साल ठेकेदार ने कहा था कि 15 दिन के हिसाब से खाते में पैसा आता रहेगा, लेकिन डेढ़ महीन बाद भी पैसा नहीं मिला है।"

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वहीं इस पूरे मामले पर अशोक कुमार पालीवाल, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य, कुंभ मेला कहते हैं " हर 15 दिन में मजदूरों को पैसे देने का प्रावधान है। ज्यादातर लोगों के पैसे 31 दिसंबर तक दे दिये गये हैं। कुछ लोगों का जिनका खाता बाहर का है और जो पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं उनके लिए व्यवस्था की जा रही है। कुछ लोग जो एटीएम भी नहीं चला पाते उनके लिए एयरटेल बैंकिंग की सुविधा भी कराई जा रही है।"


  

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