महाराष्ट्र के इस प्रधान ने बदल दी गांव की तस्वीर, अब मिलेगा पद्म श्री पुरस्कार
Ranvijay Singh 27 Jan 2020 11:00 AM GMT
''मैं 1989 में हिवरे बाजार गांव का सरपंच बना। उस वक्त गांव की स्थिति ऐसी थी कि यह गांव पुलिस डायरी में ब्लैक लिस्टेड था। गांव में शराब बनाने और बेचने का काम होता था। एक शराब की बोतल में लड़की की शादी होती थी। अगर किसी सरकारी कर्मचारी को सजा देनी होती थी तो उसे गांव में भेज दिया जाता था, ये हालात थे।'' यह बात महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हिवरे बाजार गांव के सरपंच पोपटराव पवार कहते हैं।
पोपटराव पवार को समाज सेवा के लिए पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्होंने अपने गांव की तस्वीर बदलने का जो काम किया वो देश के अन्य ग्राम प्रधानों के लिए एक नज़ीर है। अपने इसी काम की बदौलत पोपटराव महाराष्ट्र सरकार के आदर्श ग्राम कार्यक्रम के निदेशक हैं और अब महाराष्ट्र के हर जिले के पांच गांव को आदर्श गांव बनाने के मिशन में जुटे हैं।
पोपटराव बताते हैं, ''हिवरे बाजार गांव सूखाग्रस्त गांव था। बारिश भी बहुत कम होती थी। दिसंबर खत्म होते ही पीने का पानी खत्म हो जाता था। हरे भरे पहाड़ बंजर हो चुके थे। ऐसे में जब मैं प्रधान बना तो पहली समस्या पानी की ही खड़ी हुई। मैंने तय किया कि हम लोग ग्राउंड वॉटर रिचार्ज करने की दिशा में काम करेंगे।''
पानी की समस्या को देखते हुए पोपटराव के नेतृत्व में हिवरे बाजार गांव के लोगों ने जल संरक्षण को लेकर काम शुरू किया। पोपटराव ने सरकारी योजनाओं के फंड से गांव में कुएं खोदवाए और पेड़ लगाने का काम कराया। साथ ही पहाड़ियों से नीचे बह रहे पानी को रोकने के लिए जगह-जगह छोटे-छोटे नाले खोदे गये और बांध बनाए गए। इसके साथ बारिश के पानी का भी संरक्षण करना शुरू किया गया और देखते ही दिखते वॉटर लेवल सही हो गया।
पोपटराव बताते हैं, ''इस तरह पिछले तीस साल में हमने ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने का काम किया है। इस तरह इलाके का वॉटर लेवल अच्छा हुआ। इसके साथ ही हमने पानी को सही तरीके से इस्तेमाल करने के प्रति लोगों को जागरूक किया। गांव के लोगों को समझाया कि ग्राउंड वॉटर से पैसे कमाने की बात नहीं होनी चाहिए। पानी से ही हमार भविष्य है। किसानों को सिखाया कि ऐसी फसलों को उगाएं जिसमें ज्यादा पानी न लगे। कुल मिलाकर पानी को सही तरीके से लोगों को इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया।'' - पोपटराव बताते हैं
पोपटराव ने एम कॉम तक की पढ़ाई की है। उन्होंने स्टेट लेवल तक क्रिकेट भी खेला है। बचपन में ही गांव से निकल चुके पोपटराव के जीवन का एक बड़ा हिस्सा अहमदनगर, पुणे और मुंबई में बीता। सन 1989 में जब वो गांव आए तो यहां की बदहाली देख दंग रह गए। गांव के लोगों ने पोपटराव को गांव की स्थिति को सुधारने के लिए कुछ करने को कहा। इसके बाद वो चुनाव लड़े और सरपंच बन गए।
पोपटराव बताते हैं, ''राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था चलो गांव की ओर। मैं भी उसी बात से प्रेरित होकर गांव में आया था। जब गांव आया तो यहां कुछ नहीं था। लोग माइग्रेट करके शहर की ओर चले जाते थे। तब से लेकर अब तक बहुत कुछ बदल गया है और यह सब पंचायत से जुड़े लोगों की सूझबूझ से हो सका।''
सन 1989 के बाद से पोपटराव करीब 20 साल हिवरे बाजार गांव के प्रधान रहे हैं। रिजर्वेशन की वजह से बीच में सरपंच कोई और था तब भी पोपटराव गांव में समाजसेवा के काम में जुटे रहे। अब पद्म श्री मिलने पर पोपटराव कहते हैं, ''यह बहुत खुशी की बात है जो मुझे यह सम्मान दिया गया। मैंने पानी को लेकर काम किया है तो यह पानी का गौरव है, ग्राउंड वॉटर का गौरव है।''
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