जन्मदिन मुबारक: रेत से जिंदगी की कहानियां गढ़ते सुदर्शन पटनायक

Anusha MishraAnusha Mishra   15 April 2017 1:31 PM GMT

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जन्मदिन मुबारक: रेत से जिंदगी की कहानियां गढ़ते सुदर्शन पटनायकअपनी एक कलाकृति के साथ सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक

लखनऊ। 15 अप्रैल 1977 को दुनिया के बेहतरीन सैंड आर्टिस्ट‍‍्स में से एक सुदर्शन पटनायक का जन्म ओडिशा के पुरी मेें हुआ था। सुदर्शन पटनायक को उनकी कमाल की कलाकृतियों के लिए साल 2014 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से नावाजा गया था।

सुदर्शन ने सात साल की उम्र से ही रेत पर कलाकृतियों को उकेरना शुरू कर दिया था और अभी तक वह रेत की सैकड़ों प्रतिमाएं बना चुके हैं। पटनायक ने द गोल्डन सैंड आर्ट इंस्टीट्यूट के नाम से भारत का ऐसा पहला स्कूल खोला है जो रेत से मूर्तियां बनाने की कला सिखाता है। उनकी ज्यादातर कलाकृतियां पर्यावरण संकट, प्रमुख त्योहारों, राष्ट्रीय एकता और धार्मिक सहिष्णुता पर केंद्रित होती हैं।

पेंटिंग में रुचि और पैसे की कमी लाई इस कला के करीब

फोन पर सुदर्शन पटनायक से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मेरा बचपन बहुत गरीबी में बीता। जब मैं छोटा था तो कभी चाय की दुकान, कभी पान की दुकान पर काम करता था। कुछ दिन मैंने अपने पड़ोसी के घर में भी काम किया। मुझे पेंटिंग बनाने का बहुत शौक था लेकिन इतने रुपये नहीं थी कि इस शौक को पूरा करने के लिए रंग, कूची और कैनवास खरीद पाता लेकिन वो कहते हैं न कि जहां चाह वहां राह। मेरी किस्मत थी कि मैं पुरी में रहता था। पुरी के विशाल समुद्र तट का पूरा रेत मेरा था। मैं उस पर कोई भी कलाकृति उकेर सकता था और वह भी बिना किसी खर्च के।

पुरी का रेत मेरे लिए सबसे खास

सुदर्शन कहते हैं कि मेरे लिए पुरी का रेत सबसे खास है। यही वह रेत है और यही वह समुद्र का किनारा है जिसने मुझे जिंदगी में इस मुकाम तक पहुंचाया। भगवान जगन्नाथ का अशीर्वाद और इस रेत का प्यार है कि आज मेरे जन्मदिन के अवसर पर भुवनेश्वर में आयोजित बीजेपी की नेशनल एक्जीक्यूटिव मीट के दौरान देश के प्रधानमंत्री मोदी मेरे द्वारा बनाई गई 50 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

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सुदर्शन भारत को 50 अंतर्राष्ट्रीय रेत मूर्तिकला चैंपियनशिप में रिप्रजेंट कर चुके हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 27 प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। उन्होंने साल 2013 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित 12वीं अंतर्राष्ट्रीय रेत मूर्तिकला प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार (गोल्ड मेडल) जीता था। इसके अलावा इसी वर्ष उन्होंने डेनमार्क में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय रेत मूर्तिकला प्रतियोगिता में डैनिश ग्रांड प्राइज और रूस में मॉस्को म्यूजियम प्राइज भी जीता। कुछ दिन पहले सुदर्शन ने पुरी के समंदर के किनारे सबसे बड़ा रेत सांता क्लॉज बनाया और उसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में जगह मिली है। सुदर्शन रेत-कलाकारी में 9 बार लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। इसके अलावा और भी सैकड़ों अवॉर्ड हैं जो पटनायक अपने नाम कर चुके हैं।

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