उत्तर प्रदेश: निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर विद्युत कर्मचारी, पूर्वांचल के कई जिलों में बिजली गुल

बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सोमवार को बिजली नहीं आयी। सरकार के साथ हुई बातचीत भी बेनतीजा रही। ऐसे में अब कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   6 Oct 2020 2:23 AM GMT

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Up, strike, powerगोरखपुर में हड़ताल पर बैठे बिजली कमर्चारी।

उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनी (DISCOM) पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारी सोमवार को हड़ताल पर चले गये। इस कारण वाराणसी, देवरिया, चंदौली, बाराबंकी, प्रयागराज, मिर्ज़ापुर, गाजीपुर, आजमगढ़, भदोही सहित कई जिलों में पिछले 24 घंटे से बिजली गुल है।

पूर्वांचल के कई जिलों में सोमवार को पॉवर हाउस में ताला लगा दिया गया। ऐसे में गांव पूरी तरह से अंधेरे में डूबे रहे। यही नहीं, पावर हाउस में कमर्चारियों के लिखे नंबरों को स्याही से पोत दिया ताकि आम लोग उस पर फोन न कर सकें।

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने वाराणसी में भी विरोध प्रदर्शन किया।

सोमवार पांच अक्टूबर को हड़ताल कर रही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और सरकार के बीच बातचीत भी हुई, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में अब समिति ने ऐलान किया है कि वे मंगलवार को प्रदेशभर में आंदोलन करेंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया है कि सरकार का रवैया तानाशाही है। उन्होंने कहा, "सरकार को कर्मचारी संगठनों के साथ पांच अप्रैल 2018 को निजीकरण पर हुए समझौतों का पालन करना चाहिए। तब सरकार ने कहा था बिना कर्मचारियों को विश्वास में लिए सरकार निजीकरण का कोई फैसला नहीं लेगी।"

पूर्वांचल के ज्यादातर जिलों में सोमवार सुबह 9 बजे से बिजली कट गयी। ओबरा और अनपरा की छह यूनिट से बिजली उत्पादन बंद है। कई जिलों में तो प्रशासन ने बिजली व्यवस्था संभालने के लिए लेखपालों की ड्यूटी लगायी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति चंदौली के संयोजक नरेंद्र गोपाल शुक्ला ने कहा कि इन सबके लिए सरकार जिम्मेदार है। वे सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, "सरकार कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना चाहती है। निजीकरण का आदेश वापस लिए जाने तक हम कार्य बहिष्कार करेंगे।"

इस हड़ताल को कुछ छात्र संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है।

उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में बिजली विभाग में कार्यरत जूनियर इंजीनियर रमन चतुर्वेदी बताते हैं, "इस समय पूरे यूपी में UPPCL बिजली वितरण करती है। ये पांच भागों में बंटी हुई है। पूर्वांचल जिसमें 21 जिले हैं, मध्यांचल जिसमें 20 जिले हैं। फिर पश्चिमांचल और दक्षिणांचल है। कानपुर अलग है। अभी सरकार ने फैसला किया है कि वे पूर्वांचल के सभी जिलों में बिजली वितरण का काम निजी कंपनी को सौंपेंगे।"

"हम लोग एक सितंबर से हड़ताल कर रहे हैं। ऐसे में अगर काम निजी कम्पनी को दिया जाएगा तो हम उनके कर्मचारी होंगे, न कि सरकारी। 28 सितंबर को मसाला जुलूस था। लखनऊ में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। अभी हमने पूरे पूर्वांचल में काम बंद किया है।" वे आगे बताते हैं।

"पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के पूर्वांचल में 35 हजार सरकारी कर्मचारी हैं और लगभग 70 हजार कमर्चारी कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहे हैं। ये सभी हड़ताल पर हैं।" रमन बताते हैं।

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