सात साल किया सबूतों का इंतजार, उम्मीदें हुईं बेकार

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   21 Dec 2017 7:53 PM GMT

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सात साल किया सबूतों का इंतजार, उम्मीदें हुईं बेकार

2 जी मामले पर सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने दी प्रतिक्रिया।

2जी मामले में गुरूवार को फैसला सुनाते हुए सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने मुकदमे की पैरवी को लेकर अपना अफसोस खुलकर जाहिर किया। अपने लगभग 1552 पन्नों के फैसले में सैनी ने इस बारे में लिखा :

“ पिछले सात बरसों से मैं गर्मियों की छुट्टियों समेत हर कार्यदिवस पर सुबह 10 से शाम 5 बजे तक कोर्ट में नियमपूर्वक इस इंतजार में बैठता रहा कि कोई आए और कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूतों को पेश करे। लेकिन सब बेकार रहा। कोई नहीं आया। इससे पता चलता है कि सभी अफवाह, गपबाजी और अटकलों पर आधारित सार्वजनिक धारणा पर भरोसा कर रहे थे। हालांकि, न्यायिक कार्यवाही में सार्वजनिक धारणा की कोई जगह नहीं है।

शुरू में अभियोजन पक्ष ने बड़े उत्साह के साथ केस शुरू किया था। लेकिन जैसे-जैसे केस आगे बढ़ा वह अपने रवैये में और सर्तक होता गया, इससे यह समझना मुश्किल हो गया कि आखिर वह साबित क्या करना चाहता है। हालांकि, अंत तक आते-आते अभियोजन की गुणवत्ता खराब हो गई, वह दिशाहीन और अंतर्विरोधी लगने लगा।

अभियोजन पक्ष की ओर से कई एप्लीकेशन और जवाब दाखिल किए गए। लेकिन मुकदमे के कुछ समय बाद और आखिर दौर में कोई वरिष्ठ अधिकारी या वकील इन एप्लीकेशनों और जवाबों पर हस्ताक्षर करने का इच्छुक नहीं था।

इसलिए श्री ए. राजा के कृत्य तात्कालिक मामले के जन्म के लिए इतने उत्तरदायी नहीं हैं जितने उपरोक्त अन्य व्यक्तियों के कृत्य या निष्क्रियता।

अदालत के सामने इस बात के कोई सबूत नहीं हैं जिनसे इस बात का संकेत मिलता हो कि दोषी व्यक्तियों द्वारा कथित तौर पर किए गए कृत्य आपराधिक थे। तात्कालिक मामले की एफआईआर मुख्यत: आधिकारिक रिकॉर्ड की गलत व्याख्या, चयनात्मक व्याख्या, व्याख्या नहीं करने और संदर्भ से बाहर व्याख्या पर आधारित थी। यह चार्जशीट गवाहों से पूछताछ के दौरान दिए गए ऐसे मौखिक बयानों पर आधारित है, जिनसे बाद में ये गवाह खुद मुकर गए।

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आखिर में मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे श्री ए. राजा और (ऊपर बताए गए) कलैगनार टीवी प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए 200 करोड़ रुपये के बीच कोई संबंध स्थापित हो पाए।

अंत में मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि दस्तावेज पर्याप्त नहीं हैं और सरकारी वकील दोषियों के खिलाफ जुर्म साबित करने में बुरी तरह असफल रहे।“

कौन हैं ओपी सैनी

ओ पी सैनी न्यायिक सेवा में आने से पहले 1981 में दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। पुलिस में 6 साल सेवाएं देने के बाद उन्होंने न्यायिक सेवा पास की। मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले सैनी मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उनकी छवि सख्त और ईमानदार जज की रही है। 2011 में सैनी उस समय चर्चा में आए जब उनकी नियुक्ति 2जी मामले में सीबीआई स्पेशल अदालत के जज के रूप में हुई। इसी साल उन्होंने तमिलनाडु के पूर्व सीएम करूणानिधि की बेटी कनिमोझी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उनका कहना था कि कनिमोझी बाहर आकर साक्ष्यों को प्रभावित कर सकती हैं।

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