गांव कनेक्शन सर्वे: कोविड वैक्सीन के लिए 44% लोग पैसे खर्च करने को तैयार, लेकिन इसमें से 66% चाहते हैं 500 रुपए से ज्यादा न हो कीमत

कोविड वैक्सीन को लेकर ग्रामीण भारत के लोग क्या सोच रहे हैं? यह जानने के लिए देश के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन ने देश के 16 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के 6,040 लोगों के बीच सर्वे किया।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   23 Dec 2020 7:15 AM GMT

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Corona vaccine, survey on corona vaccine, gaon connection survey

पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से अब तक 17 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी ये अब तक 1 लाख 46 हजार से ज्यादा जानें ले चुका है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नई लहर के बीच पूरी दुनिया के लोग वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। भारत सरकार के वैज्ञानिक भी वैक्सीन को अंतिम रूप दे रहे हैं और सरकार की मानें तो बहुत जल्दी वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध भी होगा।

ऐसे में वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल भी हैं, जैसे यह आयेगा तो पहले किसे लगेगा, इसकी कीमत क्या होगी?

कोविड वैक्सीन को लेकर ग्रामीण भारत के लोग क्या सोच रहे हैं? यह जानने के लिए देश के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन ने देश के 16 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के 6,040 लोगों के बीच सर्वे किया। सर्वे में शामिल लोगों से कई तरह के सवाल पूछे गये। इन्हीं में से एक सवाल था कि जब देश में कोविड वैक्सीन आ जायेगा तो क्या वे इसके लिए भुगतान (पैसे खर्च) को तैयार हैं?

इस सवाल के जवाब में 44% (2,658) परिवारों ने हां कहा जबकि लगभग 36% ने ना में जवाब दिया। वहीं 20% ने तो कुछ कहा ही नहीं। जो लोग भुगतान करने के लिए तैयार हैं उनमें से 66% से ज्यादा उत्तरदाता चाहते हैं कि कोविड वैक्सीन की कीमत 500 रुपए से कम होनी चाहिए। एक आबादी ऐसी भी है जो कोविड के वैक्सीन के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है।

इन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर के रामपुर के रहने वाले नीरज पांडेय। 26 अगस्त को मुंबई के अस्पताल में उनके चाचा की मौत कोरोना की वजह से हो गई थी।

वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "मैं तो बस यह सोच रहा हूं कोरोना को खत्म करने वाला टीका जल्द से जल्द आ जाये। अभी मैंने सुना कि सरकार एक टीका के लिए 1,000 रुपए लेगी, इससे कई गुना ज्यादा हमने दवा में खर्च कर दिया। ऐसे में जरूरी है कि हमें वैक्सीन लगे, पैसा जो भी लगेगा आदमी जिंदा रहने के लिए उसकी व्यवस्था करेगा ही।"

हालांकि बहुत सारे लोगों के मुताबिक वैक्सीन की कीमत 500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए तो एक बडी आबादी के मुताबिक टीकाकरण मुफ्त होना चाहिए।

जो 44% (2,658) परिवार वैक्सीन के लिए पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं, उनमें से लगभग 66% चाहते हैं कि कोविड वैक्सीन की दो खुराक की कीमत 500 रुपए से कम ही होनी चाहिए जबकि 25% ने कहा कि वे वैक्सीन की दो खुराक के लिए 500 से 1,000 रुपए खर्च कर सकते हैं।

लगभग 6% ने 1,000 से 1,500 रुपए और 2% लोगों ने 1,500 से 2,000 रुपए तक खर्चने की बात कही। महज आधा फीसदी यानी कि .5% ही ऐसे हैं जो वैक्सीन के लिए 2,000 रुपए से ज्यादा भी खर्च करने के लिए तैयार हैं।


लोग वैक्सीन की कीमत कम रखने की वकालत क्यों कर रहे हैं, इसे उत्तर प्रदेश के जिला हमीरपुर के भरुआ के रहने वाले प्रेम कुमार की बातों से भी समझा जा सकता है।

कुमार कहते हैं, "पिछले पांच महीने से बेरोजगार हूं। दोनों भाई की नौकरी लॉकडाउन के समय मई में चली गई थी। घर पर न खेत और न ही कमाई। बुजुर्ग माता-पिता समेत कुछ छह लोग हैं। अखबार में रोज कोरोना वैक्सीन की खबर आती है तो पढ़कर अचछा लगता है, लेकिन कोई कह रहा है कि वैक्सीन के दो हजार रुपए लगेगा तो कोई कह रहा है कि 500 से 1,000 रुपए। सरकार को तो फ्री में लगाना चाहिए। इतना पैसा लगेगा तो मुश्किल है कि ऐसे में समय हम सभी लोग टीका लगवा पाएं।"

प्रेम लॉकडाउन से पहले अपने छोटे भाई के साथ दिल्ली के एक कॉल सेंटर में काम करते थे, घर आये तो कुछ दिनों तक आधी सैलरी मिली फिर नौकरी ही चली गई। सबकी तरह उन्हें भी कोविड वैक्सीन का इंतजार है, लेकिन वे यह नहीं चाहते की टीका के बदले सरकार पैसा ले।

कोविड महामारी और कोरोना वैक्सीन को लेकर अपने तरह का ये अनूठा सर्वे देश से सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया हाउस गांव कनेक्शन की सर्वे विंग "गांव कनेक्शन इनसाइट्स" के द्वारा 16 राज्यों और 1 केंद्र शाषित प्रदेश के 60 जिलों के 6040 लोगों के बीच फेस टू फेस किया गया। एक दिसंबर से 10 दिसंबर 2020 के बीच हुए इस सर्वे में क्षेत्रों का चुनाव केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा कोविड-19 के असर के आधार पर किया गया। सर्वे में मार्जिन ऑफ इरर 5 फीसदी है।

सर्वे में शामिल 41 फीसदी लोगों की मासिक आय 5 हजार से कम थी तो 37 फीसदी लोग 5000 से 1000 के बीच कमाई करने वाले थे। वहीं एक लाख से ज्यादा प्रति माह कमाई करने वालों का प्रतिशत दशमलव एक (.1) फीसदी था। सर्वे में लोगों से कोरोना वैक्सीन की जरूरत, उस पर भरोसा, कोरोना की गंभीरता, उनके आसपास के कोविड मरीज निकलने, उनके इलाज, खानपान, कोरोना से बचने के लिए आजमाए गए उनके उपायों पर सवाल किए है। इस सर्वे के सभी नतीजों को आप द रुरल रिपोर्ट-3 नाम से जारी किया है, जिसे आप www.ruraldata.in पर पढ़ सकते हैं।

सर्वे में देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए सभी जाति, धर्म, लिंग, आय-वर्ग, समुदाय और क्षेत्र के लोगों को शामिल किया गया। जहां उत्तरी क्षेत्र से जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य शामिल किए गए। वहीं दक्षिणी क्षेत्र से कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश शामिल हुए।

पश्चिमी राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश को शामिल किया गया, जबकि पूर्वी व पूर्वोत्तर राज्यों में असम, अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल इस राष्ट्रव्यापी सर्वे में शामिल हुए। राज्यों की जनसंख्या और कोविड से प्रभावित सरकारी आंकड़ों के अनुसार अलग-अलग राज्यों से सैंपल का चुनाव किया गया ताकि कोरोना और वैक्सीन को लेकर देश की सही राय को उचित ढंग से जाना जा सके।

इस सर्वे में कोरोना मरीजों की संख्या के आधार पर सभी 17 राज्यों को तीन जोन- कोरोना से बहुत अधिक प्रभावित, कोरोना से प्रभावित और कोरोना से कम प्रभावित राज्यों में बांटा गया। यह संख्या देश के स्वास्थ्य विभाग के मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर ली गई थी और उसके अनुसार आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, ओडिशा, पंजाब और पश्चिम बंगाल प्रभावित राज्यों में और बिहार, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश कम प्रभावित राज्यों में आते हैं।

जिन राज्यों में कोरोना का प्रसार ज्यादा रहा (High) जैसे- महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश के 39% ने लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन के लिए पैसे खर्च करने को तैयार हैं, जबकि मध्यम (Medium) प्रसार वाले राज्यों- ओडिशा, असम, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल पंजाब और जम्मू कश्मीर के 50% से ज्यादा और कम (Low) प्रसार राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश गुजरात और झारखंड के 44% लोग भी वैक्सीन के बदले पैसे देने के लिए तैयार हैं।

सर्वे के अनुसार वैक्सीन के लिए जो लोग पैसे खर्च करना चाहते हैं, उनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। अगर राशन कार्ड की स्थिति को ध्यान में रखकर देखें तो गरीबी रेखा के ऊपर (Above Poverty Line) वाले लगभग 53% लोग (कुल 6,040 लोगों में से) वैक्सीन के लिए पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं, जबकि 32% लोगों ने ना और 15% लोगों ने कुछ नहीं कहा।

वहीं गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line) वाले 37% लोग वैक्सीन के लिए पैसे खर्चे करने को तैयार हैं जबकि 39% से ज्यादा लोगों ने ना में जवाब दिया। 23% ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। अंत्योदय अन्न योजना का राशन कार्ड रखने वाले 33% लोगों ने हां, 34% ने ना और 32% ने इस पर अभी कुछ भी कहने मना कर दिया।


इस रिपोर्ट को अगर क्षेत्रानुसार देखें तो सबसे ज्यादा उत्तर भारत के राज्यों के लगभग 15% लोग ही वैक्सीन के लिए 500 रुपए से ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार हैं। इसकी तुलना में पूर्व के राज्यों के सबसे ज्यादा लगभग 41% लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन के लिए 500 रुपए से ज्यादा खर्च कर सकते हैं।

2,658 (44%) वे लोग जो टीके के लिए पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं, उनमें गरीबी रेखा के ऊपर (Above Poverty Line) यानी एपीएल राशन कार्ड धारकों की संख्या सबसे अधिक 27% से ज्यादा है। अंत्योदय अन्न योजना कार्डधारकों में 16% से भी कम लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि वैक्सीन की दो खुराक कीमत 500 से ज्यादा हो।

सर्वे में शामिल कुल 6,040 लोगों से यह भी पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि कोविड वैक्सीन की दो खुराक की कीमत 1,000 रुपए ज्यादा है या बजट में हैं?


इस सवाल के जवाब में 48% से ज्यादा लोगों ने कहा कि 1,000 रुपए बहुत ज्यादा है और लगभग 29% लोगों ने इस कीमत को ज्यादा बताया। 16% लोगों ने ही इसे बजट (मतलब वे 1,000 रुपए तक खर्च कर सकते हैं) में बताया और 5% लोग तो ऐसे भी रहे जिन्होंने कहा कि वे कोविड वैक्सीन के लिए कोई भी कीमत चुका सकते हैं।

अगर क्षेत्र के हिसाब से देखें तो पश्चिम भारत के सबसे ज्यादा लगभग 23% को लोगों ने कहा कि कोविड वैक्सीन के लिए 1,000 रुपए बजट में है, जबकि सबसे ज्यादा 57% उत्तर भारतीयों को लगता है कि 1,00 रुपए बहुत ज्यादा है।

राशन कार्ड धारकों के हिसाब से देखें तो 63% अंत्योदय अन्न योजना कार्डधारक परिवारों को लगता है कि कोविड वैक्सीन की दो खुराक के लिए 1,000 रुपए बहुत ज्यादा है जबकि 18% गरीबी रेखा के ऊपर यानी एपीएल राशन कार्डधारक परिवारों को लगता है कि टीके के लिए 1,000 रुपए बजट में है, जो कि गरीबी रेखो के नीचे और अंत्योदय अन्न योजना कार्डधारकों से काफी ज्यादा है।


जन स्वास्थ्य अभियान मध्य प्रदेश से जुड़े और स्वास्थ्य अधिकार पर लंबे समय से काम कर रहे हैं अमूल्य निधि गांव कनेक्शन से फोन पर कहते हैं, "कोविड वैक्सीन के लिए पैसे लगने ही नहीं चाहिए। सरकार के पास इतना पैसा है। पीएम केयर फंड का पैसा है, और राज्य सरकारों के पास महामारी से निपटने का बजट होता है उन्हें उसका टीके लिए प्रयोग करना चाहिए।"

अमूल्य आगे जोडते हैं, "कोरोना महामारी की वजह से सबकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। ऐसे में सरकार को पैसे के लिए बात ही नहीं करनी चाहिए। स्वस्थ्य रहना सबका अधिकार और सरकार की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में वैक्सीन जब भी आये, सबको फ्री में लगे।"

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