90% दिव्यांग बच्चे ने मुंह से लिखकर दी थी परीक्षा, चौंकाने वाला था रिजल्ट
Mithilesh Dhar 3 Dec 2017 12:54 PM GMT
लखनऊ। ऐसे छात्र उन लोगों लिए रोल माॅडल हैं जो हिम्मत हार जाते हैं। तुहिन डे जैसे छात्र हमें सिखाते हैं कि अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो तो समस्याएं हमारे सामने कमजोर पड़ सकती हैं तुहिन डे जैसे छात्र ने हम लोगों के लिए ‘नामुमकिन’ जैसे शब्द को ही खत्म कर दिया है। तुहिन मात्र 17 साल के हैं। इसी साल 3 जून को जारी सीबीएसई 10वीं के परिणाम घोषित किए गए जिसमें तुहिन ने 88 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे।
तुहिन आर्थोंग्रेपोसिस मल्टिप्लेक्स कोनजूनिटा (Arthrogryposis Multiplex Congenita) से पीड़ित हैं। इसकी वजह से तुहिन का शरीर 90 प्रतिशत काम नहीं करता है। तुहिन को सहारे के लिए व्हीलचेयर की जरूरत पड़ती है। इसके बावजूद उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। तुहिन का शरीर भले ही उनके साथ नहीं है पर उनका सपना बहुत बड़ा है। तुहिन स्टीफेन हाकिंग को अपना आदर्श मानते हैं और बड़े होकर उन्हीं की तरह वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। तुहिन ने अपनी परीक्षा पश्चिम बंगाल के आईआईटी खड़गपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय में दी थी।
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तुहिन ने 9वीं कक्षा में तुहीन ने 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे बल्कि उन्हें 95 प्रतिशत की उम्मीद थी। तुहिन के 10वीं के अंक प्रेरणा का स्त्रोत है। तुहिन का स्कूल घर से 14 किलोमीटर दूर था और एक्जाम में भी किसी की मदद के बिना अपने ही मुंह से बिना कोई अतिरिक्त समय लिए खुद लिखा था।
तुहिन को भारत सरकार द्वारा बेस्ट क्रिएटिव चाइल्ड अवार्ड 2012 और ऐक्सप्शनल अचीवमेंट अवार्ड 2013 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार तुहिन को पश्चिम बंगाल की सरकार द्वारा भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। तुहिन अभी राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद का छात्र भी हैं।
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तुहिन के पिता समीर के मुताबिक, "हमने तुहिन के इलाज में भी कोई कमी नहीं छोड़ी है. उसका कोलकाता और वैल्लूर में कई सालों तक इलाज करवाया। अब तक 20 ऑपरेशन हो चुके हैं। हड्डियों को सीधा रखने के लिए उसके शरीर में प्लेट्स तक डाली गई हैं।" तुहिन अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। पिता समीरन डे प्रोपर्टी का छोटा-सा व्यवसाय करते हैं। मां सुजाता डे गृहिणी हैं। तुहिन को स्कूल छोड़ने के लिए दोनों को रोजाना करीब 50 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है।
तुहिन को क्या समस्या है
तुहिन सेरीब्रल पाल्सी से ग्रस्त हैं। इनके शरीर में ओर्थो ग्रिपोसिस मल्टीप्लेक्स कॉन्जीनेटा विकार है, जिसका मतलब मांसपेशियां इतनी कमजोर हैं कि वो शरीर का भार नहीं उठा सकतीं। तुहिन न हाथ हिला सकते हैं और न ही अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं। इसके बावजूद सामान्य विद्यार्थियों के साथ पढ़ते हैं, मोबाइल और कम्प्यूटर ऑपरेट करते हैं। तुहिन का अर्थ बर्फ होता है और यह बालक अपने हौसले की बर्फ को पिघलने नहीं देता।
क्या करना चाहते हैं तुहिन
तुहिन विश्वविख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स की तरह खुद को विकसित करना चाहते हैं। एस्ट्रो फिजिक्स में रिसर्च करना चाहते हैं। वहां तक पहुंचने के लिए ही कोचिंग सिटी कोटा में कोचिंग करने गए हैं। तुहिन ने कोटा जाने का निर्णय इंटरनेट पर रिसर्च करके लिया।
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