लॉकडाउन: 26 साल का युवा तीन दिन में 120 किमी पैदल चला, गांव पहुंचते ही हुई मौत, डेढ़ दिन तक बगीचे में पड़ा रहा शव

Mithilesh DharMithilesh Dhar   1 May 2020 6:00 PM GMT

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bengaluru, chittoor, coronavirus, covid-19, Migrant Worker, nationwide lockdown, Ramasamudram, Hari Prasad, migrant workers, Bengaluru, Narendra Modi, Chittoor districtशव लगभग डेढ़ दिनों तक ऐसे ही रखा रहा।

उम्र मात्र 26 साल। घर की स्थिति ठीक नहीं थी। खेतों में मजदूरी करने वाले माता-पिता का दुख दूर करना चाहता था। इसीलिए आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) की पढ़ाई के साथ-साथ गाड़ी चलाने सीखा। फिर दो पैसे कमाने के लिए घर से लगभग 121 किमी दूर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू जा पहुंचा। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो खाने-पीने की दिक्कत होने लगी। पिता ने कहा कि घर लौट आओ, लेकिन उन्हें क्या पता था कि हरि घर पहुंचने से पहले उनसे इतना दूर चला जायेगा जहां से कोई कभी लौटता नहीं।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू से 26 साल के हरि प्रसाद अपने घर आंध्र प्रदेश के रामासम्रुदम मंडल के जिला चित्तूर, ग्राम पंचायत नाडीपल्ली के गांव मीटापल्ले के लिए 27 अप्रैल को पैदल निकले थे। लगभग 121 किलोमीटर की दूरी तय करके वे अपने गांव पहुंचे ही थे कि गिरकर बेहोश हो गये। इलाज के लिए अस्पताल ले जाते वक्त उनकी सांसें थम गईं।

दो भाइयें में बड़े हरि के छोटे भाई मल्लिकार्जुन (23) ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "वह सोमवार 27 अप्रैल को बेंगलुरू से निकले थे। हम लोगों ने कहा कि जब वहां दिक्कत है तो अपने घर आ जाओ। वह तीन दिन लगातार चलते रहे और 121 किमी की यात्रा करके बुधवार 29 अप्रैल की सुबह वह गांव में पहुंचे ही थे कि गिर पड़े। हमने एंबुलेंस बुलाया और अस्पताल ले जाने लगे लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।"

बेंगलेरु से चित्तूर की दूरी।

"वह आईटीआई की पढ़ाई कर रहे थे साथ में गाड़ी चलाने भी सीखा था। पैसे खूब कमाना चाहता था। बेंगलुरु में कभी गाड़ी चलाते तो कभी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम भी करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उसके पास पैसे एक दम नहीं थे।" मल्लिकार्जुन आगे कहते हैं।

जिस गांव, जिस घर तक हरि पहुंचने के लिए पैदल ही चल दिये थे, उस गांव में प्रवेश के लिए उनके शव को भी डेढ़ दिन तक इंतजार करना पड़ा। अस्पताल में मौत के बाद जब परिजन एंबुलेंस से शव लेकर गांव में प्रवेश करने लगे तो ग्रामीणों ने उन्हें रोक दिया, उन्हें शक था यह मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई है।

हरि प्रसाद की एक पुरानी फोटो।

इसके बाद डॉक्टर और पुलिस की टीम पहुंची सैंपल लेने के लिए। गुरुवार 30 अप्रैल शाम तक रिपोर्ट आई जिसमें बताया गया हरि को कोरोना नहीं था, तब जाकर अंतिम संस्कार किया गया। तब तक शव को गांव के बाहर बने एक बगीचे में रखा रहा।

पैदल घर जा रहे हैं प्रवासी मजदूरों की यह कोई पहली मौत नहीं थी। लॉकडाउन में इस तरह की अब तक 40 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो चुकी है।

यह भी पढ़ें- मजदूर दिवस पर कहानी उन मजदूरों की जो लॉकडाउन में घर पहुंचना चाहते थे, लेकिन रास्ते में ही सांसें थम गईं

मल्लिकार्जुन बताते हैं, "हम उन्हें वापस लेकर आने लगे तो गांव वालों ने रोक दिया। फिर शव को गांव के बाहर ही रखना पड़ा। डॉक्टर आये और उन्होंने सैंपल लिया। रिपोर्ट अगले दिन शाम को आई जिसमें कोरोना नहीं होना पाया गया। तब शुक्रवार 30 अप्रैल को हमने उसका दाह संस्कार किया।"

"हमें भी शव के पास जाने से मना कर दिया, जबकि हम बता रहे थे कि मेरे भाई को कोरोना नहीं है, क्योंकि जब वहां से निकला था तब एक दम ठीक था। लेकिन गांव वाले कुछ मानने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि जब तक जांच नहीं होगी हम शव को गांव में नहीं जाने देंगे।"

आंध्र प्रदेश में अभी तक कोरोना के मामले (शुक्रवार रात 11.30 तक)। सोर्स-covid19.org

आंध्र प्रदेश में कोरोना के अब 1,450 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। 33 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 403 लोग इलाज के बाद स्वस्थ्य हो चुके हैं।

रामासुंदरम मंडल की पंचायत अध्यक्ष जरीना बेगम ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "युवक की मौत बुधवार को अस्पताल ले जाते वक्त हो गई थी। में हो गई थी। उसी दिन वह अपने गांव के बाहर गिरकर बेहोश हो गया था। बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई। मामला मंगलवार को तब प्रकाश में आया जब गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। बाद में डॉक्टर्स की टीम ने शव का सैंपल लिया और रिपोर्ट निगेटिव आई। लगभग डेढ़ दिन शव गांव के बाहर ही रखा रहा। युवक के परिवार के ज्यादातर लोग मजदूरी करते हैं।"

हरि के 64 वर्षीय पिता एस अनियप्पा के पास थोड़ी जमीन है जिसमें वे खेती करते हैं और दूसरे के खेतों में काम भी करते हैं।

देश के अलग-अलग हिस्सों से अभी भी कामगारों का घरों की ओर सफर जारी है।

हरि प्रसाद की मौत के बारे में जिले सूचना अधिकारी बीके सुधाकर ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "जब गांव वालों ने शव का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया तब मौके पर डॉक्टर्स और पुलिस की गई थी। उनकी निगरानी में जांच हुई बाद में रिपोर्ट निगेटिव आई उसके बाद गुरुवार को शव घर वालों को सौंप दिया गया, जिसके बाद दाह-संस्कार किया किया। मौत की वजह डिहाईड्रेशन बताई जा रही।"

नाडीपल्ली के सब इंस्पेक्टर रवि कुमार हरि की मौत के बाद गांव पहुंचे थे। वे बताते हैं, "ग्रामीणों ने बताया कि बाहर से आये मजदूर की मौत हो गई है और हमें लग रहा है कि उसे कोरोना है। फिर हम मेडिकल टीम को लेकर पहुंचे। ग्रामीणों ने ही कहा कि जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती शव को यही रहने दीजिये, कोई दिक्कत नहीं है। बाद में जब रिपोर्ट निगेटिव आ गई तक हमने शव परिजन को सौंप दिया।"

  

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