बिलासपुर से सामने आया मुज़फ़्फ़रपुर जैसा मामला, शेल्टर होम से भागी तीन पीड़िताओं ने लगाया शारीरिक शोषण का आरोप

छत्तीसगढ़ से बिलासपुर के शेल्टर होम में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर जैसा मामला सामने आया है। बिलासपुर के उज्जवला होम शेल्टर से भागी तीन महिलाओं ने शेल्टर होम के संरक्षक पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। शेल्टर होम के संचालक ने इन आरोपों से इंकार किया है। पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली है।

Neetu SinghNeetu Singh   21 Jan 2021 8:46 AM GMT

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बिलासपुर का शेल्टर होम कर दिया गया सीलतीन पीड़िताओं ने संस्था के संचालक पर लगाया यौन शोषण का आरोप

"मुझे शेल्टर होम आए चार दिन ही हुए थे, एक ग़लती पर मुझे एक दिन बिना कपड़ों के कमरे में बंद कर दिया गया। फिर एक दिन उसने मेरे साथ गलत काम किया।"

ये आरोप उस बीस वर्षीय रचना (बदला हुआ नाम) का है जो बिलासपुर के उज्ज्वला गृह में लगभग डेढ़ दो महीने से रह रही थी। रचना का आरोप है कि तीन महीने पहले उसके साथत गैंगरेप हुआ था जिसके तीनों आरोपी अभी जेल में बंद हैं। रचना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर 'सुरेन्द्र कुञ्ज' स्थिति श्लोक विहार के नज़दीक उसी उज्ज्वला गृह में रहती थीं जो बीते कुछ दिनों से चर्चा में है। 17 जनवरी की रात यहाँ से भागी तीन पीड़ित महिलाओं ने इस शेल्टर होम के संस्थापक जितेन्द्र मौर्या पर आरोप लगाया कि वो उनका यौन शोषण करते हैं, लड़कियों को बाहर भेजते हैं, खाने में नशे की दवाइयाँ मिलाई जाती हैं, कोई ग़लती हो जाए तो उनके साथ मारपीट होती है, उनके कपड़े उतारकर नग्न अवस्था में कमरे में बंद कर दिया जाता है, परिजनों से मिलने नहीं दिया जाता। इस शेल्टर होम के संचालक जितेन्द्र मौर्या और पुलिस इन आरोपों से इंकार कर रहे हैं।

तीन बहन एक भाई में सबसे बड़ी रचना गाँव कनेक्शन को फोन पर बताती हैं, "पुलिस वालों ने ज़बरदस्ती मुझे यहाँ भेज दिया था। मुझे पहले दिन ही इन लोगों ने धमकी दी कि तुम्हें यहीं रहना पड़ेगा जो हम कहेंगे वो करना पड़ेगा, जब मैंने मना किया तो मेरे कपड़े उतारकर एक कमरे में बंद कर दिया। वहां तो लड़कियों को बाहर भी भेजा जाता है पर डर से कोई भी बोलने को तैयार नहीं है, कई तो दिमागी संतुलन भी खो चुकी हैं।"

पीड़ित महिलाओं के आरोपों पर जब गाँव कनेक्शन ने इस मामले की जांच करने गईं सरकंडा सीएसपी निमिषा पाण्डेय से बात की तो उन्होंने बताया, "मेरी अभी तक की जांच में ऐसा कुछ भी निकल कर नहीं आया है। उच्चस्तरीय जांच चल रही है जब जांच पूरी होने पर ही कुछ कहा जा सकता है।"

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत ये उज्ज्वला गृह देशभर में चल रहे हैं। जिसका उद्देश्य है बच्चों और महिलाओं को मानव तस्करी से छुटकारा दिलाना, व्यावसायिक और यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं का बचाव और उनका पुनर्वास कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ना। इन केंद्रों का संचालन ज़िला स्तर पर ग़ैर सरकारी संगठन करते हैं। बिलासपुर में 'शिवमंगल शिक्षण समिति' नाम का एक गैर सरकारी संगठन अप्रैल 2013 से इसका संचालन कर रहा है। इस केंद्र में 2013 से अब तक 1,018 महिलाओं का रजिस्ट्रेशन हुआ है जिसमें 325 महिलाएं दूसरे राज्यों की थी जिन्हें वापस भेज दिया गया है। इस केंद्र पर असम, उड़ीसा, महाराष्ट्र, यूपी, एमपी, झारखंड, बिहार, दिल्ली और पश्चिम बंगाल तक की पीड़िताएं रह चुकी हैं। तीन महिलाओं की शिकायत के बाद पुलिस ने इस शेल्टर होम को बंद करा दिया है और यहां रह रही महिलाओं को उनके घरों या फिर दूसरे शेल्टर होम में भेज दिया गया है। यौन शोषण के आरोपों पर इस शेल्टर होम के संचालक जितेंद्र मौर्या इसे अपने ख़िलाफ़ साज़िश बताते हैं। वो इन लड़कियों के चरित्र पर ही उंगली उठाते हैं।

"यहाँ से निकली तीनों लड़कियाँ मानसिक से रुप से विक्षिप्त हैं। ये सब चरित्र दोष से पीड़ित हैं। कम उम्र में अत्यधिक सेक्स के कारण मानसिक विकार आ जाता है जिससे दुष्कर्म होने की आशंका बनी रहती है तभी पुलिस इनको सुधारने के लिए हमारे यहाँ छोड़ जाती है," जितेंद्र मौर्या ने गांव कनेक्शन से कहा।

इस मामले को उठाने वाली वकील प्रियंका शुक्ला पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाती हैं। "हमने 2017 में भी कहा था कि इस केंद्र में कुछ गलत हो रहा है पर उसपर कोई सुनवाई नहीं हुई। इस केस में संचालक के खिलाफ कार्रवाई न होकर उस व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज हुई है जिसने इन तीनों पीड़िता़ महिलाओं को उस शेल्टर होम से निकालने में मदद की। उज्ज्वला केंद्र की ही एक मैडम के खिलाफ मामूली धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है कि वो मारपीट करती थी, परिजनों से मिलने नहीं देती थी। इस दर्ज रिपोर्ट में उस पीड़ित लड़की का कहीं जिक्र नहीं है जिसने जितेन्द्र मौर्या पर रेप का आरोप लगाया है," प्रियंका शुक्ला ने कहा।

"यहां आने के चार दिन बाद जितेंद्र मौर्या (उज्ज्वला गृह के संस्थापक) ने हमारे साथ गलत काम किया। रात में पता नहीं खाने में क्या मिला देती थीं जैसे ही आठ नौ बजे खाना खाकर सोते सीधे सुबह आँख खुलती। सुबह शरीर में बहुत दर्द होता था। होश में तो उसने मेरे साथ एक ही बार गलत काम (रेप) किया है, बेहोशी में मेरे साथ क्या हुआ, मुझे कुछ पता नहीं," रचना ने बताया। शेल्टर होम से भागी दो और पीड़ित महिलाएं खाने में बेहोशी की दवा मिलाने और बाहर भेजने की बात का समर्थन करती हैं।

17 जनवरी की शाम को आख़िर ऐसा क्या हुआ जिस वजह से इस मामले ने तूल पकड़ा?

सीमा (बदला हुआ नाम) नाम की महिला, जिसने अपने घरवालों की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाकर शादी की थी, उसने पति से झगड़े के बाद 16 जनवरी की शाम को घर छोड़ दिया। किसी व्यक्ति की मदद से वह उज्ज्वला गृह पहुंच गयी। बीस वर्षीय सीमा बताती हैं, "जिस दिन मैं गई मैंने उसी दिन रात में करीब नौ साढ़े नौ बजे जितेन्द्र मौर्या को फोन पर बात करते हुए यह सुना कि कल तीन लड़कियाँ हमारे से ले जाना, एक आज नई आई है। मैं तभी डर गयी, मैंने सोच लिया था कि हम कैसे भी करके सुबह यहाँ से भाग जायेंगे।"

सीमा ने बताया कि 17 जनवरी की सुबह उसने अपने पति को फोन किया कि वो उसे यहाँ से ले जाए। उसकी छह सात महीने की छोटी बच्ची घर पर थी। जब उसके पति सुबह करीब 11 बजे सीमा को लेने पहुंचे तब कुछ कागज़ात लाने के लिए कहा गया। जब वो कागज़ात लेकर पहुंचे तो वहां कहा गया कि आज सब लोग व्यस्त हैं कार्रवाई में तो तीन दिन का समय लगेगा अगर बच्ची छोटी है तो उसे यहीं छोड़ जाओ।

"मैं थाने गया पुलिस को इस मामले की सूचना दी। पुलिस ने कहा शेल्टर होम की कार्रवाई का फैसला हम नहीं ले सकते वही लोग कुछ करेंगे। दिन भर मैंने पुलिस, घर, शेल्टर होम के कई चक्कर लगाए। जब मैं सुबह 11 बजे पहुंचा तभी खिड़की से झांक रही कुछ लड़कियों ने आवाज़ दी भैया हमें यहाँ से निकलवा दो, हमारे साथ बहुत गलत हो रहा है, ये बात मेरी पत्नी ने भी बताई। मैं कैसे भी करके इन सबको शाम तक बाहर निकालना चाहता था," सीमा के पति ने बताया।

"सब मैंने सारे डाक्यूमेंट दे दिए तो डेढ़ दो घंटे पूछताछ की। इसके बाद भी छोड़ने को तैयार नहीं थे मेरे घरवाले बाहर खड़े थे तो उन लोगों ने दरवाज़े से अंदर आने के लिए धक्का दिया। दरवाज़ा खोलकर, ऊपर चढ़कर जल्दी से मैं इन तीनों को लेकर भागा। मैं सबको लेकर थाने गया, सभी ने अपनी आपबीती बताई। जो बताया उसका कोई जिक्र नहीं बल्कि मेरे खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर दी गयी कि मैं ज़बरदस्ती अंदर घुसकर इन लड़कियों को भगाकर लाया। मेरे पास इस घटना के सारे वीडियो हैं।"

"मैंने वहां एक से डेढ़ महीने ही पढ़ाया हैं फिर नौकरी छोड़ दी, वहां का माहौल बहुत खराब था। जेंट्स भी आते थे। यहाँ आई पीड़िताओं से गंदे तरीके से बात करना, उन्हें घूरना, प्राईवेट पार्ट को टच करना जैसी कई बातें मुझे पता चली थीं। यहाँ रहने वाली ज्यादातर महिलाएं मानसिक विक्षिप्त होती हैं वो कभी बोलती हैं कभी एकदम चुप रहती हैं। कई तो डर की वजह से कुछ नहीं बोलतीं," उज्ज्वला गृह में पढ़ा चुकी एक शिक्षिका ने नाम न बताने की शर्त पर बताया।

सरकंडा थाने के थाना प्रभारी जय प्रकाश गुप्ता ने कहा, "पीड़िताओं ने जो बताया हमने वही लिखा है, उनमें से किसी ने नहीं बताया कि उनके साथ यौन शोषण हुआ है। जितेंद्र मौर्या जी ने सीमा के पति और पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई कि लोग रात में ज़बरदस्ती ताला तोड़कर उज्ज्वला गृह में घुस गये जहाँ से अपनी पत्नी के अलावा दो और लड़कियों को ले गये जिनमें से एक गैंगरेप पीड़ित थी। जांच चल रही है पर अभी तक कुछ सामने नहीं आया।"

   

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