यूपी में एक महिला ने पांच बच्चों को दिया जन्म, लेकिन मां के गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे आते कैसे?

यूपी के बाराबंकी जिले में 29 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक महिला ने तीन बेटी दो बेटों सहित पांच बच्चों को जन्म दिया। एक महिला किन परिस्थतियों में पांच बच्चों को जन्म देती है ये जानने के लिए गाँव कनेक्शन ने दिल्ली के मैक्स अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार डॉ उषा एम कुमार से विशेष बातचीत के कुछ अंश ...

Neetu SinghNeetu Singh   29 April 2020 2:45 PM GMT

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यूपी में एक महिला ने पांच बच्चों को दिया जन्म, लेकिन मां के गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे आते कैसे?

गर्भवती महिला के प्रसव पूर्व जांच के शुरुआती डेढ़ महीने के दौरान हुए अल्ट्रासाउंड में यह पता चल जाता है कि उस महिला के गर्भ में पल रहे नवजात बच्चों की संख्या कितनी है।

एक गर्भवती महिला किन परिस्थतियों में पांच बच्चों को जन्म देती है? प्रसव के बाद कब पता चलता है कि महिला के गर्भ में कितने नवजात हैं? महिला और शिशु के लिए क्या मुश्किलें आ सकती हैं? जन्म के बाद महिला औरनवजात शिशु के लिए किन बातों का ध्यान रखा जाए जिससे कोई मुश्किल न आये?

इन सभी सवालों के जबाव के लिए गाँव कनेक्शन ने दिल्ली के मैक्स अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार डॉ उषा एम कुमार (स्त्री रोग विशेषज्ञ) से ख़ास बातचीत की है। बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं ...

सवाल- एक गर्भवती महिला किन परिस्थतियों में पांच बच्चों को जन्म देती है?

जबाव- जब कोई माँ पांच बच्चों को जन्म देती है तो उसे मल्टीपल प्रेग्नेंसी कहते हैं। एक बच्चे के लिए सिंगल, दो के लिए ट्विन्स, चार के लिए क्वारेडबल, पांच के लिए क्विटिप्लिट और छह के लिए सेक्स प्लेट कहते हैं। पहली वजह तो ये कि ये बच्चे नेचुरल हो जाएं दूसरा टेस्ट ट्यूब बेबी के ट्रीटटमेंट के द्वारा हो सकते हैं। अगर किसी महिला के जेनेटिक बैकग्राउंड जैसे उसकी माँ या नानी ने एक साथ कई बच्चों को जन्म दिया है तो संभावना बढ़ सकती है। दूसरा यदि महिला ओल्डर एज यानि 35 से 42 साल तक की महिला में भी यह संभावना रहती है। अगर महिला चार-पांच बार पहले भी माँ बन चुकी है तो भी मल्टीपल प्रेग्नेंसी की संभावना हो सकती है।

एक से ज्यादा बच्चे कई बार एक अंडे से भ्रूण बनकर वो पांच भागो में बट जाता है तो कई बार अण्डों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है। अगर एक ही अंडे से वो पांच भ्रूण बने है तो ऐसे बच्चे आइटेंटीकल होते हैं जिनकी शक्ल और व्यवहार बिलकुल एक जैसा होता है, अगर ऐसा नहीं है तो वो बच्चे अनआइटेंटीकल होते हैं जिनकी शक्ल व्यवहार में अंतर होता है।

पांच बच्चों के साथ खड़ी बच्चों की बड़ी माँ.

सवाल- गर्भवती महिला को क्या-मुश्किलें आ सकती हैं?

जबाव- एक बच्चे जे जन्म के हिसाब से किसी महिला के गर्भाशय का साइज होता है। अगर बच्चों की संख्या ज्यादा है तो इसका साइज बढ़ जाएगा। एक साथ ज्यादा बच्चे होना माँ और बच्चे दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है। बच्चों के पोषण के लिए उन्हें पर्याप्त आहार मिलता रहे। महिला को अपना हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेसर चेक कराते रहना है। ऐसी महिलाओं में एनीमिक होने की संभावना ज्यादा रहती है ऐसे में खानपान में पोषण का ख़ास ध्यान रखना है। सामान्य ब्लड प्रेसर की तुलना में ऐसे समय में पांच गुना बढ़ने की संभावना रहती है।

अगर एक साथ ज्यादा बच्चों की डिलीवरी नॉर्मल होती है, बच्चों का सेल 800-900 ग्राम भी है तो अगर ये वजन कुल पांच किलो का हो गया तो महिला के गर्भाशय का साइज बहुत बड़ा हो जाता है जिससे उसके सिकुड़ने की गति में बहुत समय लगता है। कई बार ये मसाज और दवा से कण्ट्रोल हो जाता है पर कई बार ब्लीडिंग बंद नहीं होती तब महिला के लिए जान का खतरा भी हो सकता है।

जब महिला केवल एक बच्चे को जन्म देती है तब बच्चे का सर गर्भ में नीचे की तरफ होता है जिससे गर्भाशय जल्दी खुल जाता है। जब ज्यादा बच्चे होते हैं तब कोई जरूरी नहीं कि बच्चे का सर नीचे की तरफ हो ऐसे में अगर गर्भाशय की तरफ बच्चे के पैर होंगे तब क्रिटिकल अवस्था होती हैं ऐसे में ऑपरेशन से बच्चों को पैदा कराया जाता है।


सवाल- इस महिला की डिलीवरी सात या आठ महीने में हुई है यह बच्चों के कितनी नुकसानदायक है?

जबाव- नार्मल प्रेग्नेंसी 40 सप्ताह की होती है। अगर इससे पहले 28, 32, 37 हफ्ते में महिला के पेट में दर्द शुरू हो रहा है तो समझ लें की समय पहले महिला की डिलीवरी होने वाली है। जब बच्चे कम समय में पैदा होते हैं तो उनके फेफड़ों का पूरा विकास नहीं होता है। शरीर के अंगों का विकास नहीं होता, सांस लेने में दिक्कत होती है। कई बार गर्भ में पल रहे सभी बच्चों को पोषण एक सामान नहीं मिल रहा होता है जिससे कुछ बच्चे बहुत ज्यादा मोटे तो कुछ बहुत दुबले पैदा हो जाते हैं।

एक बच्चे का सामान्य वजन ढाई किलो होना चाहिए इससे जितना कम वजन होगा बच्चे के लिए उतना ही खतरा है। जब बच्चों का वजन कम होगा तो उनमें इन्फेक्शन होने की संभावना ज्यादा होगी। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होगी, निमोनिया होनी के संभावना ज्यादा रहेगी। जन्म के तुरंत बाद लगने वाले टीका बच्चों को जरुर लगने चाहिए।

अगर महिला डिलीवरी के दौरान समय से अस्पताल आ जाती है तब उसे 12-12 घंटे में दो इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे बच्चों के सांस लेने की क्षमता बढ़ जाती है।

ये हैं 29 अप्रैल को जन्में पांच बच्चे जो प्री मेच्योर हैं.

सवाल- क्या सावधानियां बरती जाएँ जिससे माँ और बेटे दोनों का ख्याल रखा जा सके?

जबाव- बच्चों को टाइम से फीडिंग (स्तनपान) कराना। हो सकता है माँ को पर्याप्त दूध न निकले तो बच्चों को ऊपर से दूध पिलाना पड़े। बच्चों को भूखे नहीं रखना है। साफ़-सफाई का बहुत ध्यान रखना है नहीं तो बच्चों में इन्फेक्शन फैलेगा। महिला को पर्याप्त मात्रा में पोषण लेना है। खाना समय से दिन में जितनी बार भूख लगे खाएं।

उबले अंडे, हरी साग-सब्जियां, दूध-दही से बनी प्रोटीन वाली चीजें खाना है। मान का पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है ऐसे में घर का कोई व्यक्ति महिला की बच्चों को संभालने में तबतक मदद करे जबतक बच्चे थोड़े बड़े न हो जाएं।

सवाल- किस महीने में एक गर्भवती महिला को यह पता चल जाता है कि उसके गर्भ में कितने बच्चे पल रहे हैं?

जबाव- शुरुआत के डेढ़ महीने के दौरान हुए अल्ट्रासाउंड से यह पता चल जाता है कि कितने बच्चे हैं।

इनपुट--वीरेन्द्र सिंह, कम्युनिटी जर्नलिस्ट, बाराबंकी.


  

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