यूपी के गाँव से निकला एक युवा कटहल से बनाता है 25 से ज्यादा प्रकार के व्यंजन
कटहल से कई प्रकार के व्यंजन बनाने का पीछे इनका मकसद है कि शाकाहारी लोगों के खाने में बाजार में व्यंजन उपलब्ध हों और लोग सेहत के लिए नुकसानदायक फास्ड फूड से बचें।
Neetu Singh 8 Feb 2021 3:08 PM GMT
अगर आप शाकाहारी हैं तो ये खबर आपके काम की है क्योंकि एक युवक ने आपके लिए कटहल से नाना प्रकार के व्यंजन बनाने शुरु कर दिए हैं। छब्बीस वर्षीय आलोक अवस्थी ने कटहल के व्यंजनों पर एक रिसर्च करने के बाद, लखनऊ के गोमतीनगर में 'द कटहल पाइंट' के नाम से एक रेस्टोरेंट खोला है। इन्होंने कुछ ज़रूरतमंद लड़कियों को रोज़गार से भी जोड़ा है।
मूल रूप से यूपी के सीतापुर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर रामपुर मथुरा ब्लॉक के शुक्लनपुरवा गाँव के रहने वाले आलोक अवस्थी बताते हैं, "मुझे लगता था बाजार में शाकाहारी लोगों के लिए व्यंजनों के बहुत कम विकल्प हैं इसलिए कटहल से कई तरह के व्यंजन बनाने का ख्याल मेरे दिमाग में आया। दूसरा बाजार में जो फास्ड फ़ूड मिल रहे हैं वो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक हैं लेकिन जो हमारी पुरानी पारंपरिक सब्जियां हैं वो सेहत के लिए काफी फ़ायदेमंद है पर बाजार में ज़्यादा उपलब्ध नहीं हैं।"
आलोक अवस्थी कटहल की खूबियां गिनाते हैं, "मैंने कटहल पर दो साल रिसर्च किया है इसके बाद ये काम शुरु किया है। कटहल में फाइबर और ज़िंक पाया जाता है जो सेहत के लिए काफी उपयोगी है। मैं कटहल से मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजन बनता हूँ। कटहल बिरयानी, कटहल चाप, कटहल कबाब, पापड़, बर्गर ग्राहकों को खूब पसंद आते हैं। मीठे में कटहल खीर, हलवा और केक भी कस्टमर की पहली पसंद है। ढाई लाख से मैंने ये बिज़नेस शुरु किया था अभी बहुत ज्यादा लाभ तो नहीं है पर इस बात की खुशी है कि लोगों को ये खाना बहुत पसंद आ रहा है।"
एक छोटे से गाँव से निकलकर कटहल मैन बनने तक का सफर आलोक के लिए इतना आसान नहीं था। स्नातक की डिग्री हासिल किए आलोक की माँ का बचपन में ही देहांत हो गया था, पिता जी बीमार हो गए तो परिवार की ज़िम्मेदारी आलोक पर 11 साल की उम्र में ही आ गई थी। आलोक लखनऊ मज़दूरी करने आ गए।
"माँ के देहांत के बाद छह महीने घर के हालात ऐसे थे कि पेट भर खाना नहीं मिलता था। छोटा था देखकर बुरा लगता था तभी लखनऊ मज़दूरी करने आ गया। मज़दूरी करके ही मैंने 9वीं तक की पढ़ाई की। दसवीं की पढ़ाई के लिए पैसा नहीं था, तीन हजार रुपए महीने की नौकरी एक साइबर कैफ़े में करनी शुरु कर दी। कई छोटी-छोटी नौकरी करके स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की," ये बताते हुए आलोक भावुक हो गये, "बचपन से मैं खाने का बहुत शौकीन था पर छह साल की उम्र में जब माँ का देहांत हो गया तो मेरा ये शौक भी अधूरा रह गया। इंटर के बाद मैंने के हॉस्टल में डेढ़ साल तक खाना भी बनाया।"
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कटहल से इतने सारे व्यंजन बनाने का ख्याल आपके दिमाग में कैसे आया? इस पर आलोक कहते हैं, "मैं पढ़ाई और मज़दूरी के साथ कई छोटे-छोटे आंदोलनों में हिस्सा लेता था। लखनऊ में एक जगह है मैत्रीय आश्रम जहाँ अलग-अलग राज्यों से सामाजिक कार्यकर्ता आते हैं। जब भी वो लखनऊ आते थे तो सब स्ट्रीट फ़ूड खाने जाते थे मैं शाकाहारी था कुछ और दोस्त भी थे, हम लोगों के पास खाने के ज्यादा ऑप्शन नहीं होते थे। तभी मुझे लगा क्यों न कुछ ऐसा शुरू करूं जिससे शाकाहारी लोगों को भी कुछ टेस्टी सा खाने को मिले तभी ये शुरु किया।"
लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लखनऊ में रेड ब्रिगेड नाम की एक गैर सरकारी संस्था काम करती है। इस संस्था के सहयोग से आलोक ने वर्ष 2019 में 'द कटहल पॉइंट' के नाम से लखनऊ के गोमतीनगर में मनोज पाण्डेय चौराहे पर रेस्टोरेंट खोलने में सफल हुए। यहाँ से जुड़ी पांच लड़कियों को इन्होंने अपने साथ काम पर रख लिया।
यहाँ काम करने वाली कविता भारती (23 वर्ष) कहती हैं, "कभी सोचा नहीं था कि कटहल से बने व्यंजन लोगों को इतना पसंद आएंगे पर अब बहुत खुशी होती है कि लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं। राज्यपाल जी ने भी हमारे व्यंजनों की खूब तारीफ़ की है।"
यूपी के राजभवन लॉन में 6 से 8 फरवरी तक चली तीन दिवसीय प्रादेशिक फल, शाक-भाजी और पुष्प प्रदर्शनी में आलोक का स्टॉल लगा हुआ है। पहले दिन यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस स्टॉल पर जाकर कटहल के बने व्यंजनों की खूब सराहना की।
आलोक कहते हैं, "कभी नहीं सोचा था कि एक रेस्टोरेंट का मालिक बन जाऊंगा और दूसरों को रोज़गार भी दे पाऊंगा। बहुत खुशी होती है जब लोग हमारे व्यंजनों की तारीफ करते हैं। मैंने सोचा है कि मैं लखनऊ में ऐसे पांच और सेंटर खोलूँगा जिससे कटहल जैसी हमारी पारंपरिक सब्जियों के व्यंजन लोगों की पहली पसंद बन जाएं।"
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