देश के चर्चित आरुषि मर्डर मिस्ट्री पर आज आएगा इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला  

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   12 Oct 2017 1:54 PM GMT

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देश के चर्चित आरुषि मर्डर मिस्ट्री पर आज आएगा इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला  आज आएगा इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला।

लखनऊ। देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री में आखिरकार इंसाफ का वक्त आ ही गया। कौन है आरुषि का कातिल, कैसे हुई आरुषि की हत्या, किसने हेमराज को मारा, कौन हेमराज की लाश राजेश तलवार के घर की छत पर ले गया और सबसे बड़ा सवाल कि आरुषि-हेमराज के कत्ल का मकसद क्या था? इन सारे सवालों का जवाब अब दुनिया के सामने आ जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 सितम्बर 2017 को बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट आज ये तय कर देगा कि, आरुषि-हेमराज की हत्या राजेश और नूपुर तलवार ने की या फिर वो बेगुनाह हैं। बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में आरुषि की मां नूपुर तलवार और पिता राजेश तलवार को सीबीआई कोर्ट ने 2013 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। तलवार दंपत्ति फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। लेकिन सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ तलवार दंपत्ति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस बी के नारायण और जस्टिस ए के मिश्रा की पीठ कर रही थी।

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क्या था मामला

यूपी के नोएडा जिले का एल-32 फ्लैट 15 मई 2008 देश भर में चर्चा का विषय बन गया था। इसकी वजह आरुषि-हेमराज की रहस्मय हत्या थी। ये हत्याकांड इतना उलझा हुआ था कि देश की नजर लगातार इस केस पर बनी रही। पहले नोएडा पुलिस और फिर सीबीआई की दो-दो टीमों ने इस केस की जांच की। मामले में सनसनीखेज मोड़ उस वक्त आया जब सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को सीबीआई कोर्ट ने राजेश और नूपुर के खिलाफ चार्जशीट में बदल दिया। इसके बाद सीबीआई कोर्ट में बहस का लंबा दौर शुरू हुआ। सीबीआई ने कोर्ट के सामने दलीलें देकर ये साबित करने की कोशिश की कि इस दोहरे हत्याकांड को तलवार दंपति ने ही अंजाम दिया था। जबकि राजेश और नूपुर सीबीआई की हर दलील को गलत साबित करने में जुटे रहे। फिर भी कोर्ट ने सीबीआई की दलील को सही ठहराते हुए तलवार दंपति को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

ये दी सीबीआई ने दलील

1. सीबीआई ने पहली दलील दी कि- वारदात की रात घर में सिर्फ चार लोग थे। आरुषि-हेमराज-राजेश और नूपुर तलवार। इन चार में से दो की हत्या हो गई और दो बच गए। सीबीआई ने कहा कि घर में कोई बाहरी शख्स नहीं आया और ना ही उसके सबूत मिले हैं। इस आधार पर सीबीआई ने तलवार दंपति पर आरोप लगाया कि उन्होंने ही आरुषि-हेमराज की हत्या की और फिर घर से सबूत मिटाए।

सीबीआई की इस दलील के खिलाफ तलवार दंपति ने कहा कि कत्ल की रात हेमराज कमरे में था ही नहीं, क्योंकि आरुषि के बिस्तर और तकिए से हेमराज के खून का निशान नहीं मिला। तलवार दंपति के तर्क दिया कि मौके से कुल 24 फिंगर प्रिंट उठाए गए थे। लेकिन उसमें से कोई भी फिंगर प्रिंट हेमराज का नहीं था।

2.सीबीआई ने दूसरा अहम दावा किया कि आरुषि के कमरे से आवाज आने पर राजेश तलवार उठे और हेमराज के कमरे में गए। वहां हेमराज के नहीं होने पर वो आरुषि के कमरे में गए और दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख कर गॉल्फ स्टिक से उस पर वार किया। पहला वार हेमराज के सिर के पिछले हिस्से पर लगा, दूसरे हमले के दौरान हेमराज का सिर दूर हो गया और गॉल्फ स्टिक आरुषि के सिर पर लगी।

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सीबीआई के इस दावे पर तलवार दंपति ने कहा कि अगर आरुषि के कमरे से आवाज आती तो वो सबसे पहले आरुषि के कमरे में जाते ना कि हेमराज के कमरे में जो कि 40 से 50 फीट की दूरी पर था। सीबीआई के गॉल्फ स्टिक के दावे को खारिज करते हुए राजेश और नूपुर ने दावा किया कि आरुषि-हेमराज के सिर पर लगी चोट गॉल्फ स्टिक से नहीं बल्कि गिरने की वजह से लगी है। इसके लिए बचाव पक्ष ने कोर्ट में बाकायदा गॉल्फ स्टिक को कोर्ट में मंगवाकर हेलमेट से उस पर वार करके ये दिखाने की भी कोशिश की कि इस तरीके का घाव स्टिक के आगे के हिस्से से नहीं लग सकता है।

3. सीबीआई की तीसरी दलील थी कि गॉल्फ स्टिक के हमले से हेमराज की मौत होने के बाद राजेश और नूपुर तलवार उसकी लाश को चादर में लपेटकर घसीटते हुए छत पर ले गए। सीबीआई की इस दलील की काट के लिए तलवार दंपति ने कोर्ट में एक चादर मंगवाई और उसमें एक शख्स को लपेटकर घसीटा गया। इस कार्रवाई के बाद बचाव पक्ष ने कहा कि अगर हेमराज की लाश को चादर में रखकर घसीटा जाता तो उसके शरीर पर छिलने का निशान लगता, लेकिन हेमराज के शरीर पर ऐसा कोई जख्म नहीं था।

जितनी मजबूत सीबीआई की दलीलें हैं उतने ही मजबूत तलवार दंपति के तर्क। कोर्ट में कई बार पूरे क्राइम सीन को ही रीक्रिएट कर राजेश और नूपुर तलवार ने बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से अपना पक्ष रखा है। वहीं सीबीआई की दलीलें फोरेंसिक टेस्ट और हालात के मुताबिक बने सबूतों पर थी।

4. सीबीआई की चौथी दलील थी कि आरुषि और हेमराज पर पहले गॉल्फ स्टिक से हमला किया गया और उसके बाद सर्जिकल ब्लेड से दोनों का गला रेत दिया गया। तलवार दंपति ने सीबीआई के इस दावों को भी खारिज किया और कहा कि जिस डॉक्टर के बयान पर सीबीआई सर्जिकल ब्लेड की बात कर रही है उस डॉक्टर ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट या एम्स की कमेटी के सामने ऐसी बात नहीं कही थी। तलवार दंपति ने ये भी कहा कि इस तरह का सर्जिकल ब्लेड किसी डेंटिस्ट के पास नहीं होता।

5. सीबीआई की पांचवी दलील थी कि हेमराज की लाश को छत पर रखने के बाद राजेश तलवार वापस फ्लैट में आए और सबूत मिटाने के दौरान उन्होंने लगातार शराब पी। सीबीआई ने ये भी दावा किया कि शराब की बोतल पर आरुषि और हेमराज का खून भी मिला था। सीबीआई की इस दलील पर तलवार दंपति ने कहा कि अगर राजेश तलवार ने शराब पी होती तो बोतल से राजेश तलवार के फिंगरप्रिंट मिलते। बचाव पक्ष ने कहा कि शराब की बोतल से 5 लोगों के फिंगर प्रिंट मिले, लेकिन कोई फिंगरप्रिंट राजेश तलवार का नहीं था।

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रिटायर होने से पहले कोर्ट ने दिया इंसाफ

आरुषि-हेमराज मर्डर मिस्ट्री में सबसे दिलचस्प ये भी है कि गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एस लाल अपने रिटायरमेंट से ठीक पांच दिन पहले देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री पर अपना फैसला सुनाया और सीबीआई की दलीलों के आधार पर तलवार दंपति को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट ने कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण

करते हुए इस केस की सुनवाई जनवरी 2017 में ही पूरी हो गई थी लेकिन तलवार दंपत्ति की तरफ से दोबारा से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई करते हुए सीबीआई से कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था। उस स्पष्टीकरण के आधार पर ही सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

राजेश और नूपुर तलवार को मिली थी अतिरिक्त सजा

इस मामले में सबूतों को मिटाने के लिए तलवार दंपति को पांच वर्ष की अतिरिक्त सजा व गलत सूचना देने के लिए उन्होंने राजेश तलवार को एक साल की अतिरिक्त सजा सुनाई है।

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