इस गांव में गाली देने पर पड़ सकता है थप्पड़, हो सकती है FIR
Diti Bajpai 3 Oct 2019 5:49 AM GMT
भारत के इस गांव में लोग गाली देने से पहले हज़ारों बार सोचते है क्योंकि गलती से भी अगर गाली निकल गई तो हो सकता है आपकी पिटाई हो जाए या फिर आपको जेल भी जाना पड़ जाए।
जी हां हम बात कर रहे है हरियाणा राज्य के एक ऐसे गाँव की जहां गाली देना निषेध है। जींद जिले से 15 कि.मी दूर तलौडा गांव है। इस के गांव के सरपंच ने महिलाओं के नाम से दी जाने वाली गालियों के खिलाफ मुहिम शुरू की है। इस मुहिम में वह अकेले नहीं है उनके साथ गांव की सभी महिलाएं जुड़ी हुई है।
गांव के सरपंच मदनलाल बताते हैं, "आजकल लोगों की मानसिकता ही बन गई है गाली देना। लोग छोटी-मोटी लड़ाई में महिलाओं के नाम से दिए जाने वाले अपशब्दों का प्रयोग करते है। इन सबको रोकने के लिए हमने और गाँव की महिलाओं ने एकजुट होकर गाँव में कई कार्यक्रम चलाए, रैली निकाली। अब बड़े बड़े-बुजुर्ग और युवा भी यह कोशिश करते है कि हमारे मुंह से कही गाली न निकल जाए और विरोध न हो जाए।"
मदनलाल की इस मुहिम से आज तलौडा गांव में महिलाओं के नाम से दिए जाने वाले अपशब्दों का इस्तेमाल करने से पहले लोग दस बार सोचते है। इस मुहिम की शुरूआत के बारे में मदनलाल ने गाँव कनेक्शन को बताया, "23 मार्च 2017 को हमने इस अभियान को शुरू किया था। तब सिर्फ हमारे गांव की ही महिलाएं इसमें साथ थी लेकिन अब आस-पास के गांव की महिलाएं भी हमारे साथ है। अगर कोई गाली देता है तो गाँव की महिलाएं खुद समूह बनाकर उनके घर जाती है विरोध करती है।"
अपनी बात को जारी रखते हुए मदनलाल आगे कहते हैं, "अगर लड़ाई में किसी के मुंह के गाली निकल गई और वह कबूल कर लेता है कि गलती से निकली है तो ठीक नहीं तो उसके ऊपर एक्शन लिया जाता है। पंचायत में ही हम मामले को संभालते है।मामला ज्यादा गंभीर होता है तो थाने में उसके खिलाफ एफआईआर करवाई जाती है।"
करीब 3000 से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में सरपंच ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पर्दा प्रथा को भी खत्म किया है। तलौडा गांव में ही रहने वाली मंनजीत कौर सख्त लहजे में कहती हैं, हमारे गांव में किसी की हिम्मत न है मां-बहन की गाली देने की। बड़े लोग देते है तो हम सभी औरतें विरोध करते है। सरपंच की इस पहल से लोग महिलाओं से सोच-समझकर बात करते हैं।" मंनजीत मुस्कुराकर आगे कहती हैं, "बच्चे गाली देते है तो सीधा रपट के लगा देते है।"
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मंनजीत कौर की तरह गांव की सभी महिलाएं इस मुहिम से काफी खुश है। इसी गाँव की अनीता कहती हैं, "हमारे गाँव में लोग गाली नहीं देते है। जो देते है उनके घर सभी महिलाएं जाकर विरोध करती है अगर वो लोग हम महिलाओं की बात नहीं मानते है तो हम सरपंच जी खुद उसके घर में जाते है।"
हरियाणा के इस गांव में यह पहल एक ऐतिहासिक पहल है जिसके लिए सरपंच को जिले स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है। गांव में हुए एक घटना का जिक्र करते हुए मदनलाल ने बताया, गाँव में दो बार गाली को लेकर गंभीर मामला हो चुका है। जब लड़ाई होती है तो वह गाली देते है और कहते है घर का मामला है तो हमारे गांव की पूरी की पूरी महिलाएं उनके घर के सामने विरोध किया था तब उन्होंने अपनी गलती मानी।"
सरपंच की पहल में महिलाओं के साथ-साथ इस गाँव के पुरुष भी साथ देते है।" पहले गांव में गाली दे देते थे लेकिन जब से महिलाओं का संगठन बना है तब से अगर कोई गाली देता है तो उसके खिलाफ महिलाएं खड़ी हो जाती है मोर्चा निकाल लेती है। गाली-गलौज से लड़ाई और ज्यादा बढ़ जाती है। महिलाओं के संगठन से गांव के लोग थोड़ा डरते है गाली नहीं देते है।" तलौडा गांव में रहने वाले सरेंद्र सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया।
कानून बनाने की कर चुके मांग
तलौडा गांव के सरपंच कई बार महिलाओं के नाम पर दी जाने वाली गालियों को कानून बनाने की मांग भी कर चुके है। उनका कहना है कि गाँव में मां-बहन की गाली देने पर बात इतनी बढ़ जाती है कि लोग हत्या भी कर देते है। आज के समय में गाली देना लोगों की मानसिकता बन गई है। इसलिए इससे कानून बनाना जरुरी है।"
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