गांवों में महंगाई घटने से देश की महंगाई दर में आई कमी- आर्थिक समीक्षा
संसद में गुरूवार को 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की गई। सरकार ने इस समीक्षा में माना है कि मुद्रास्फीति (महंगाई दर) में पिछले पांच वर्ष से लगातार गिरावट आ रही है। समीक्षा के मुताबिक पिछले साल जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में मंहगाई में कमी की दर अधिक रही है।
गाँव कनेक्शन 4 July 2019 8:53 AM GMT
लखनऊ। संसद में गुरूवार को 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की गई। सरकार ने इस समीक्षा में माना है कि मुद्रास्फीति (महंगाई दर) में पिछले पांच वर्ष से लगातार गिरावट आ रही है। समीक्षा के मुताबिक पिछले साल जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में मंहगाई में कमी की दर अधिक रही है।
संसद में गुरूवार को पेश किए गए 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। देश में महंगाई दर बढ़ने की बजाय घट रही है या स्थिर बनी हुई है।
लगातार घट रही है महंगाई दर
सरकार की आर्थिक समीक्षा के अनुसार इस वर्ष महंगाई दर 3.4 प्रतिशत पर आ गई है। वित्त वर्ष 2017-18 में 3.6 प्रतिशत, 2016-17 में 4.5 प्रतिशत, 2015-16 में 4.9 प्रतिशत और 2014-15 में 5.9 प्रतिशत पर महंगाई दर दर्ज की गई थी।
#EconomicSurvey2019 में 2018-19 के लिए मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर एक नजर#EcoSurvey2019 #Economy5trillion
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) July 4, 2019
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16 राज्यों में मंहगाई दर कुल भारतीय महंगाई औसत दर से कम
जुलाई 2018 से ही शहरी महंगाई की तुलना में ग्रामीण महंगाई में कमी ज्यादा तेज रही है। इसकी बदौलत मुख्य महंगाई दर भी घट गई। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ग्रामीण मुद्रास्फीति में कमी खाद्य महंगाई के घटने की वजह से आई है। इसके अलवा ज्यादातर राज्यों के भी महंगाई दर में कमी आई है। इस दौरान 16 राज्यों में मंहगाई की दर कुल भारतीय महंगाई औसत दर से कम आंका गया है।वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति में भारी कमी दर्ज की गई है। यह सब्जियों, फलों, दालों एवं उत्पादों, चीनी और अंडे की कीमतों में भारी गिरावट के कारण ही संभव हो पाई है।
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अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक 5000 अरब तक पहुंचाने का लक्ष्य
अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक 5,000 अरब डालर पहुंचाने के लिये 8 प्रतिशत की दर से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि हासिल करने और निवेश बढ़ाने की जरूरत है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिये आर्थिक वृद्धि को गति, मांग, निर्यात और रोजगार सृजन पर जोर देने की बात कही है।
(इनपुट- भाषा)
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