अफ्रीकन स्वाइन फीवर: असम के सुअर फ़ार्म वीरान हुए, 10 लाख सुअरों की मौत का दावा
असम में बहुत से परिवारों की कमाई का ज़रिया ही सुअर पालन है। साल 2020 में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण से सुअरों की मौत के बाद से ज्यादातर फार्म खाली हो गए हैं।
Divendra Singh 18 Feb 2021 6:08 AM GMT

असम के गोहपुर जिले की घागरा बस्ती में पोथार एग्रोवेट पिग फार्म चलाने वाले राजिब बोरा (40 वर्ष) के फार्म पर छोटे-बड़े करीब 300 सुअर थे। लेकिन अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैलने के बाद अब राजिब के फ़ार्म पर एक भी सुअर नहीं बचा है। राजिब के पास अब फिर से फार्म शुरू करने की हिम्मत नहीं बची है।
"हमारे यहां सुअर पालन ही कमाई का ज़रिया है, अब वो भी खत्म हो गया है। 300 सुअरों के मरने से कम से कम 30 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। अब अगर फिर से फार्म शुरू करना भी चाहें तो नहीं शुरू कर सकते हैं, अब हमारे पास पैसे ही नहीं बचे हैं," राजिब बोरा ने गाँव कनेक्शन को बताया।
राजिब बोरा का पिग फार्म जो अब पूरी तरह से खाली हो गया है। फोटो: राजिब बोरा
असम में जनवरी-फरवरी, 2020 में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पता चला था। देखते ही देखते अप्रैल तक शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ चारली, डिब्रुगढ़ और जोरहट जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर संक्रमण बढ़ गया। पशुपालन विभाग के अनुसार, इस संक्रमण से 18,200 सुअरों की मौत हुई है। नॉर्थईस्ट प्रोग्रेसिव पिग फ़ार्मर्स एसोसिएशन के अनुसार ये संख्या कहीं ज़्यादा है। एसोसिएशन का दावा है कि प्रदेश में इस संक्रमण से अब तक 10 लाख से अधिक सुअरों की मौत हुई है।
"पशुपालन विभाग कह रहा है कि असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से 18,000 हजार सुअर की मौत हुई है, जबकि छोटे-बड़े बहुत से फार्म पर दस लाख के करीब सुअरों की मौत हुई है। ज्यादातर फार्म पूरी तरह से खाली हो गए हैं। सरकार ने उन्हीं को मुआवजा देने की बात की, जिनके फार्म पर सुअरों को मारा गया। लेकिन जिनके सुअरों की मौत पहले ही हो गई थी, उनके बारे में अभी कुछ नहीं बताया जा रहा है," एसोसिएशन के सचिव तिमिर बिजॉय श्रीकुमार ने गाँव कनेक्शन से कहा।
पशुपालन विभाग द्वारा उन्हीं सुअरों की मौत का मुआवजा दिया जाता है, जिन्हें संक्रमण रोकने के लिए मारा जाता है। संक्रमण से मर चुके पशुओं का मुआवजा नहीं दिया जाता है।
Photo: NEPPFA
अक्टूबर, 2020 में पशुपालन विभाग ने संक्रमण रोकने के लिए 12,000 सुअरों को मारने को कहा था, लेकिन नवंबर-दिसंबर तक 800 के करीब सुअरों को ही मारा गया, जिनमें से दो सरकारी फार्म के सुअर थे, बाकी दूसरे पशुपालकों के, इनमें से निजी फार्म को ही मुआवजा दिया गया।
"सितम्बर तक 12,000 पशुओं को मारने की बात की गई थी, जिन्हें दुर्गा पूजा से पहले मारना था, लेकिन कुछ कारणों से मारने के काम में देरी हो गई। अभी आठ सौ के करीब ही सुअरों को मारा गया है, जिनमें निजी फार्म को मुआवजा भी मिल गया है, इसमें 50% केंद्र सरकार और 50% राज्य सरकार देती है। हमारे पास जो आंकड़ें हैं, उसके हिसाब से 18,000 के करीब सुअरों की मौत हुई है," असम के पशुपालन विभाग के निदेशक, अशोक कुमार बर्मन ने कहा।
दूसरे पशुपालकों को मुआवजा देने पर अशोक कुमार बर्मन बताते हैं, "हमारी कोशिश है कि जिनका भी नुकसान हुआ है, उनकी मदद की जाए। विभाग ने सरकार को इस बारे में भी लिखा भी है, जिससे एक बार फिर से फार्म शुरू हो पाएं।"
बीसवीं पशुगणना के अनुसार जब दूसरे राज्यों में सुअर की संख्या कमी आयी थी, असम में लगभग 28.30 प्रतिशत संख्या की वृद्धि हुई थी।
20वीं पशुगणना के आंकड़े बताते हैं कि ऐसे में जब पूरे देश में सुअरों की संख्या में कमी आयी थी, असम में इनकी संख्या में इज़ाफा हुआ था। 19वीं पशुगणना के अनुसार देश में सुअरों की आबादी 103 करोड़ थी, जो 20वीं पशुगणना के दौरान घटकर 91 करोड़ हो गई। असम में 19वीं पशुगणना के दौरान 16.4 करोड़ सुअर पाए गए, 20वीं पशुगणना के तौरान इनकी संख्या 21 करोड़ हो गई। लेकिन अफ्रीकन स्वाइन फीवर से एक बार इनकी संख्या घटने की आशंका पैदा हो गई है।
डिब्रुगढ़ जिले के खोवांगघाट में पिथुबार फार्म चलाने वाले दिगांत सैकिया (31 वर्ष) के यहां भी ऐसी ही स्थिति है। "पहले कोविड की वजह से मार्केट बंद हुआ, फिर अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से बंद हो गया। जब तक मार्केट बंद रहा, सुअरों की संख्या भी बढ़ गई थी, लेकिन जैसे संक्रमण बढ़ा सुअरों की मौत हो गई। बस कुछ सुअर ही बचे हैं, जिन्हें किसी तरह से पाल रहे हैं," उन्होंने बताया।
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार कई देशों में इस समय अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण फैल रहा है। अभी यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कई देशों जैसे बुल्गारिया, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, सर्बिया, यूक्रेन, कोरिया, लाओस, म्यंमार, भारत, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण बढ़ा है।
As per the latest development - an SOP is being worked out by the Assam Animal Husbandry department in consultation with NEPPFA for pig transportation into Assam and until then no pigs are allowed to be transported into Assam. #AssamPiggerySector#africanswinefever pic.twitter.com/DbsEclGIZ3
— NEPPFA (@NEPPFA_) February 10, 2021
NEPPHA ने गुवाहटी हाईकोर्ट में एनिमल डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एक्ट 2009 के तहत एक याचिका भी दायर की थी, जिसके बाद असम से सुअर के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक लगा दी गई थी, ताकि असम से अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण दूसरे राज्यों में न फैल जाए।
दिगांत आगे कहते हैं, "सरकार कह रही है सिर्फ 18,000 सुअरों की मौत हुई, हम जैसे फार्म वालों ने विभाग को जानकारी दे दी थी, लेकिन बहुत से छोटे फार्म और गाँव में दो-चार सुअर वाले फार्म भी थे। कुल मिलाकर अब तक लाखों सुअरों की मौत हो चुकी है। यहां के फार्म पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं, उनको फिर से शुरू करने के बजाए दूसरे प्रदेशों से सुअर लाने के लिए फिर से ट्रांसपोर्टेशन शुरू करने की बात की जा रही है। कह रहे हैं कि टीका लगाकर लाया जाएगा, जबकि इसका कोई टीका ही नहीं है।"
दिगांत सैकिया का फार्म जो अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से खाली हो गया। फोटो: दिगांत सैकिया
असम में फिर से ट्रांसपोर्टेशन शुरू करने पर राज्य के पशुपालन विभाग निदेशक, अशोक कुमार बर्मन कहते हैं, "कोर्ट के आदेश के बाद से ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से बंद है, लेकिन विभाग ने कोर्ट में अपील की है। फिर से ट्रांसपोर्टेशन शुरू हो जाए, जिससे पंजाब-हरियाणा जैसे राज्यों से सुअर यहां आ सके।"
अफ्रीकन स्वाइन फीवर का वायरस कोरोनावायरस की तरह जूनोटिक नहीं होता है, जिससे ये पशुओं से इंसानों में नहीं पहुंचता है। लेकिन ये पशुओं को तेजी से संक्रमित करता है, इसे रोकने के लिए कोई दवा या फिर वैक्सीन नहीं है और संक्रमण के बाद मृत्यू दर 100 प्रतिशत है। पशुपालकों की माने तो अभी भी संक्रमण खत्म नहीं हुआ है।
पशुपालकों का कहना है कि अगर सरकार समय पर संक्रमित सुअरों को मार देती तो इतना संक्रमण ही नहीं बढ़ता और उन्हें नुकसान न उठाना पड़ता। उनके अनुसार अगर आने वाले दिनों में सरकार की तरफ़ से मदद नहीं मिली तो असम में सुअर पालन का व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो जाएगा।
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