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मिजोरम: कोरोना संकट में सुअरों में फैला अफ्रीकन स्वाइन फीवर, अब तक 5000 से ज्यादा सुअरों की मौत

कोरोना संक्रमण में मिजोरम के पशुपालकों के सामने नई मुसीबत आ गई है, मार्च से लेकर अब तक यहां पर अफ्रीकन स्वाइन फीवर से 5000 से ज्यादा सुअरों की मौत हो गई है।
african swine fever

अभी पूरा देश कोरोना महामारी से निपटने में लगा है, वहीं मिजोरम में सुअर पालकों की परेशानियां बढ़ती जा रहीं हैं, पिछले तीन महीने में यहां पर 5237 सुअरों की मौत अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हो गई है।

पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों की तरह ही मिजोरम में भी बहुत से लोगों का आय का जरिया सुअर पालन ही है, ऐसे में यहां पर लोगों की मुश्किल और बढ़ गई है।

पशुपालन विभाग, मिजोरम के अनुसार राज्य में सबसे पहले 21 मार्च को अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण से सुअर की मौत हुई थी, उसके बाद यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।

पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक (पशु स्वास्थ्य) डॉ. ललमिंगथंगा गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “मिजोरम में सबसे पहला केस 21 मार्च को देखा गया था, इस समय राज्य के ग्यारह जिलों में से नौ जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैल गया है। अभी दो जिलों में यह नहीं पहुंच पाया है। अभी हमने 5237 सुअरों की मौत का आंकड़ा दर्ज किया है।”

साल 2020 में असम में दस लाख से अधिक सुअरों की मौत हुई थी। फोटो: पिक्साबे

वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फीवर का वायरस कोरोनावायरस की तरह जूनोटिक नहीं होता है, जिससे ये पशुओं से इंसानों में नहीं पहुंचता है। लेकिन ये पशुओं को तेजी से संक्रमित करता है, इसे रोकने के लिए कोई दवा या फिर वैक्सीन नहीं है और संक्रमण के बाद मृत्यू दर 100 प्रतिशत है। पशुपालकों की माने तो अभी भी संक्रमण खत्म नहीं हुआ है।

20वीं पशुगणना के आंकड़े बताते हैं कि ऐसे में जब पूरे देश में सुअरों की संख्या में कमी आयी थी, लेकिन कई राज्यों में इनकी संख्या में इजाफा भी हुआ है। मिजोरम भी उनमें से एक है। 19वीं पशुगणना के अनुसार देश में सुअरों की आबादी 103 करोड़ थी, जो 20वीं पशुगणना के दौरान घटकर 91 करोड़ हो गई। मिजोरम में 19वीं पशुगणना के दौरान 25 लाख थे, 20वीं पशुगणना के दौरान इनकी संख्या 29 लाख हो गई। लेकिन अफ्रीकन स्वाइन फीवर से एक बार इनकी संख्या घटने की आशंका पैदा हो गई है।

संक्रमण रोकने लिए मारे जाते हैं सुअर

संक्रमण फैलने से रोकने के लिए संक्रमित सुअरों को मार दिया जाता है, जिसके बाद पशु पालक को मुआवजा दिया जाता है। मिजोरम में सुअरों को मारने की प्रक्रिया के बारे में डॉ. ललमिंगथंगा कहते हैं, “कुछ किसानों ने हमसे कलिंग करने को कहा था, अभी हमने तीन कमर्सियल पिग फार्म पर कलिंग की है। तीनों फार्मों पर 60-70 सुअरों को मारा गया है।”

वो आगे कहते हैं, “अभी मुआवजे के लिए हमें केंद्र सरकार को प्रपोजल देना होगा, सरकार जो पहले से निर्धारित कर रखा है, वहीं मुआवजा दिया जाता है। जिन सुअरों को विभाग के द्वारा मारा जाएगा उन्हीं को मुआवजा दिया जाता है।”

सुअरों को मारने वाले मुआवजे में 50 प्रतिशत केंद्र और 50 प्रतिशत राज्य सरकार देती है। केंद्र सरकार ने सुअरों के लिए अलग-अलग मुआवजा निर्धारित किया है। छोटे सुअर जिनका वजन 15 किलो तक होगा, उनके लिए 2200 रुपए, 15 से 40 किलो वजन के सुअर के लिए 5800 रुपए, 40 से 70 किलो वजन के सुअर के लिए 8400 रुपए और 70 से 100 किलो तक के सुअर को मारने पर 12000 हजार रुपए दिया जाता है।

मिजोरम के 9 जिले अभी प्रभावित हैं। फोटो: पिक्साबे

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने जताई चिंता

लगातार हो रही सुअरों की मौत को लेकर मिजोरम राज्य के मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा ने ट्वीट किया है कि राज्य अपने पशुधन क्षेत्र को लेकर संघर्ष कर रहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यालय और केंद्रीय डोनर (पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री) जितेंद्र सिंह को टैग करते हुए लिखा है कि सुअर पालन करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति दांव पर है।

असम में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने मचाई थी तबाही

इससे पहले साल 2020 में असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने तबाही मचाई थी, जिससे हजारों की संख्या में सुअरों की मौत हुई थी। पशुपालन विभाग के अनुसार राज्य में 18000 सुअरों की मौत हुई थी, जबकि नॉर्थ ईस्ट प्रोग्रेसिव पिग फ़ार्मर्स एसोसिएशन के अनुसार ये संख्या कहीं ज़्यादा है। एसोसिएशन का दावा है कि प्रदेश में इस संक्रमण से अब तक 10 लाख से अधिक सुअरों की मौत हुई है।

दूसरे कई देशों में भी हुई हजारों सुअरों की मौत

भारत के साथ ही पिछले कुछ सालों में दूसरे कई देशों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से सुअरों की मौत हुई थी। खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, मंगोलिया, चीन, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, फीलीपिंस, इंडोनेसिया, मलेशिया जैसे दूसरे कई देशों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से सुअरों की मौत हुई।

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