आखिर क्यों हो रहा है भारत बंद, ये हैं प्रमुख मांगें ?

देश के किसान और श्रमिक संगठनों ने आठ जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया है

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आखिर क्यों हो रहा है भारत बंद, ये हैं प्रमुख मांगें ?

लखनऊ। देश के किसान और श्रमिक संगठनों ने आठ जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया है। दावा किया जा रहा है कि इस भारत बंद में 25 करोड़ लोग शामिल होने जा रहे हैं।

भारत बंद को सफल बनाने के लिए संघर्ष समिति की ओर से गांवों में पर्चे बांटे गए और किसानों से अपील की कि दूध, सब्जी समेत कोई भी उत्पाद शहर नहीं जाएगा। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तहत देश भर से 250 से ज्यादा किसान संगठन इस बंद के समर्थन में हैं।

इससे पहले किसान संगठनों ने अलग-अलग राज्यों में एक से पांच जनवरी तक गांवों में भारत बंद को सफल बनाने के लिए किसानों और ग्रामीणों के बीच जाकर प्रचार-प्रसार किया। किसानों की मांगों को लेकर सरकार को जगाने के लिए तहसीलदार, बीडीओ, एसडीएम और डीएम को पत्र दिए जाएंगे।

संघर्ष समिति के संयोजक वीएम सिंह ने बताया, "भाजपा सरकार ने साल 2014 में देश के किसानों से यह वादा किया था कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना दिया जाएगा जिसको 2019 तक भी पूरा नहीं किया जा सका है। यह भारत बंद सरकार को जगाने के लिए है कि सरकार किसानों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे।"


ये हैं किसान संगठनों की मांगे

देश के किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी

स्वामीनाथन आयोग के आधार पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना तय करना

फसल खरीद की गारंटी

गन्ना किसानों को 14 दिन के अंदर भुगतान दिया जाए और देरी पर ब्याज दें।

60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को न्यूनतम मासिक पेंशन 5,000 रुपए मासिक करना

फसल बीमा के तहत नुकसान के आंकलन के लिए किसान के खेत को आधार माना जाए

विकास के नाम पर किसानों की जमीन छीनकर उन्हें विस्थापित करने पर रोक लगाई जाए

वनाधिकार कानून पास किया जाए

मंडी में समर्थन मूल्य से नीचे कीमत पर फसल खरीदने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान किया जाए

आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए मनरेगा से खेती को जोड़कर 250 दिन तक काम दिया जाए।

किसानों की फसलों के हुए नुकसान की जांच सेटेलाइट से करने की मांग

यह भी पढ़ें : देश में नया श्रम कानून लागू, मगर मजदूरों के हाथ खाली

वहीं मजदूर संघों के केंद्रीय संगठनों ने भी केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ 08 जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया है। केंद्रीय श्रमिक संगठनों की 12 सूत्रीय प्रमुख मांगों में देश में मजदूरों के लिए लागू हुए नए श्रम कानून को लेकर है और सरकार से उनकी मांग है कि वह इस कानून को वापस ले।

इस भारत बंद में 19 केंद्रीय ट्रेड यूनियन शामिल हैं। इससे पहले दस श्रमिक संगठन केंद्रीय श्रम मंत्री की ओर से बुलाई बैठक में शामिल हुए। मगर केंद्रीय श्रम संगठन श्रमिकों की मांगों को लेकर अपने इरादों पर टिके रहे और बंद का आह्वाहन किया।

इस भारत बंद में सीटू, एटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी जैसे श्रमिक संगठन शामिल हैं।

श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि नया श्रम कानून ऐसा बनाया गया है जिसके लागू होने पर श्रमिक बंधुआ मजदूर बन जाएंगे इसलिए यह श्रमिक संगठनों को मंजूर नहीं है। इसके विरोध में श्रमिक संगठन 08 जनवरी को पूरे देश में हड़ताल करेंगे।

हालांकि इस भारत बंद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने भारत बंद का समर्थन नहीं किया है।

ये हैं श्रमिक संगठनों की मांगे

श्रम कानून और परिवहन संशोधन कानून को रद्द किया जाए

मूल्य सूचकांक के अनुसार न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपए किया जाए

मनरेगा के तहत अधिकतम रोजगार तय किया जाए

न्यूनतम पेंशन 10 हजार रुपए की जाए

विनिवेश को बंद कर बंद कारखानों को खोला जाए

हल्दिया पोर्ट को खोला जाए

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए राशन व्यवस्था सुनिश्चित कर महंगाई पर अंकुश लगाया जाए समेत अन्य मांगे हैं।

बैंक यूनियन भी करेंगे भारत बंद का समर्थन


इसके अलावा देश के छह बैंक यूनियन ने भी सरकार की नीतियों के खिलाफ हड़ताल का समर्थन किया है। ऐसे में कई बैंकों के कामकाज पर असर दिख सकता है। वहीं बैंक बंद रहने पर एटीएम में नकदी की मुश्किलें लोगों के सामने आ सकती हैं।

इन छह बैंक यूनियन में ऑल इंडियायय बैंक एम्पलाई एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बीईएफआई, आईएलबीईएफ, आईएनबीओसी ओर बैंक कर्मचारी सेना महासंघ शामिल हैं जो भारत बंद में हड़ताल का समर्थन करेंगे।

यह भी पढ़ें : आम किसानों की दुश्मन हैं ये 10 मुश्किलें

   

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