2019 की उल्टी गिनती : नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी तक हर बड़े नेता की जुबान पर बस किसान, किसान, किसान
वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू होने के साथ देश की राजनीतिक पार्टियों के के नेताओं के मुख पर छाए किसानों के मुद्दे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए चलाई गई योजनाओं के जरिए सरकार की उपलब्धियां गिनवा रहे हैं तो विपक्ष में ताल ठोंक रहे राहुल गांधी किसानों की बदहाली को मुद्दा बनाकर उन्हें घेरने में जुटे हैं।
Arvind Shukla 7 Aug 2018 7:32 AM GMT

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए चलाई गई योजनाओं के जरिए सरकार की उपलब्धियां गिनवा रहे हैं तो विपक्ष में ताल ठोंक रहे राहुल गांधी किसानों की बदहाली को मुद्दा बनाकर उन्हें घेरने में जुटे हैं। क्षेत्रीय पार्टियों के लिए इन दिनों सबसे बड़ा मुद्दा किसान बन चुके हैं।
सिर्फ जुलाई के 26 दिनों में पीएम ने 165 ट्वीट किए हैं, जिसमें 30 में किसान और खेती का जिक्र है। पीएम मोदी ही नहीं, विपक्ष और दूसरे राजनीतिक दलों के नाम पर भी किसान का नाम है। आम चुनाव 2019 की उल्टी गिनती शुरू होते ही राजनीतिक दलों ने किसानों की परिक्रमा शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई महीने में अब तक छह रैलियां की हैं, जिनमें से पांच रैलियां किसानों को समर्पित रही हैं। जिसमें तीन रैलियां यूपी के शाहजहांपुर, पंजाब के मलोट और पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनीपुर की रैली पूरी तरह किसानों को समर्पित थीं। जबकि सात जुलाई को राजस्थान में हुई रैली में भी प्रधानमंत्री ने कई बार किसानों का जिक्र किया। पंजाब के मलोट से शुरू हुआ पीएम की रैलियों का सिलसिला फरवरी 2019 तक चलेगा, इस दौरान पीएम देश भर में 50 रैलियां करेंगे।
कृषि क्षेत्र के विकास और किसान कल्याण के लिए जो भी पहल जरूरी हैं, सरकार उसके लिए प्रतिबद्ध है। हम इस दिशा में लगातार कदम उठाते आए हैं और आगे भी आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 4, 2018
किसान से जोड़ने की कोशिश भी जारी
बात कहीं से भी शुरू हो, उन्हें किसान से जोड़ने की कोशिश भी जारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने 24 जुलाई को केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल को जन्मदिन की बधाई देते हुए लिखा, "वो भारत को खाद्य प्रसंस्करण का केंद्र बनाने की दिशा में अथक प्रयास कर रही हैं ताकि हमारे मेहनती किसानों को लाभ हो।" प्रधानमंत्री नमो ऐप के जरिए भी किसानों से मिल रहे हैं तो पिछले महीने उन्होंने देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों को दिल्ली बुलवाकर उसने सीधी बात भी की।
साल 2019 का चुनाव किसानों के मुद्दे पर ही होगा। अविश्वास प्रस्ताव पर 80 फीसदी लोग किसान के मुद्दे पर बोले। विपक्ष ने खामियों पर सरकार को घेरा तो सत्ता पक्ष के सांसदों और मंत्रियों ने आंकड़ों और रिपोर्ट से उपलब्धियां गिनाईं। - अरविंद कुमार सिंह, ग्रामीण मामलों के जानकार
राजनीति में किसान महत्वपूर्ण हैं, संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान हुई बयानबाजी इस पर मुहर लगाती है। राज्यसभा टीवी में संसदीय मामलों के संपादक और ग्रामीण मामलों के जानकार अरविंद कुमार सिंह गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "साल 2019 का चुनाव किसानों के मुद्दे पर ही होगा। अविश्वास प्रस्ताव पर 80 फीसदी लोग किसान के मुद्दे पर बोले। विपक्ष ने खामियों पर सरकार को घेरा तो सत्ता पक्ष के सांसदों और मंत्रियों ने आंकड़ों और रिपोर्ट से उपलब्धियां गिनाईं।"
…क्योंकि तुम लोग सूटबूट नहीं पहनते हो
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और अमेठी के सांसद राहुल गांधी कहते हैं, "किसान पूछ रहा है, प्रधानमंत्री जी आपने ढाई लाख करोड़ रुपए का हिंदुस्तान के सबसे अमीर 20-25 उद्योगपतियों का कर्ज़ा माफ किया, हमारा भी थोड़ा सा कर्ज़ा माफ कर दीजिए, लेकिन वित्त मंत्री कहते हैं कि किसानों का कर्जा माफ नहीं होगा, क्योंकि तुम लोग सूटबूट नहीं पहनते हो।"
सरकार को पता है किसानों की नाराजगी भारी पड़ेगी, इन दिनों किसानों की बात हर जगह हो रही है, दिखावे के लिए ही सही, लेकिन किसान चर्चा के केंद्र में है। - देविंदर शर्मा, खाद्य और निर्यात विशेषज्ञ
राजनीति में संख्या बल सबसे अहम होता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में करीब 12 करोड़ किसान हैं। जबकि कृषि कार्यों से जुड़े मजदूरों और कामगारों की संख्या 14.43 करोड़ है। ये दोनों मिलाकर करीब 27 करोड़ होते हैं। इनके परिवारों को जोड़े तो ये संख्या साल 2019 तक लगभग 45 करोड़ के आसपास होगी। ये वो लोग भी हैं जो घरों से निकलकर वोट डालने जाते हैं।
देश के प्रख्यात खाद्य और निर्यात विशेषज्ञ देविंदर शर्मा कहते हैं, "सरकार को पता है किसानों की नाराजगी भारी पड़ेगी, इन दिनों किसानों की बात हर जगह हो रही है, दिखावे के लिए ही सही, लेकिन किसान चर्चा के केंद्र में है।"
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इस बार 10 करोड़ नए मतदाता
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 में 81.45 करोड़ लोगों ने वोट दिया था, वहीं, साल 2011 की जनगणना के अनुसार 2019 के चुनाव में 10 करोड़ नए मतदाता पहली बार आम चुनाव में मतदान करेंगे। यानी ये संख्या बढ़कर करीब 92 करोड़ तक होगी,जिसमें करीब 45 करोड किसान परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। वर्ष 2014 के चुनावों में भाजपा को 31.4 फीसदी मत मिले थे।
गाँव की पगड़ंडियों से लेकर संसद के गलियारों तक की हलचल पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो साल 2014 में भाजपा और मोदी को दिल्ली की कुर्सी तक पहुंचाने में किसानों को बहुत बड़ा योगदान था। खेती के घाटे से जूझते किसानों ने नरेंद्र मोदी के वादों पर ऐतबार कर उनकी चुनावी नैया पार लगाई थी।
किसानों की संख्या इतनी ज्यादा है कि वो मतदाता के रूप में महत्वपूर्ण हैं। दूसरा अच्छी बात ये है कि देश में किसान का नाम तो बार-बार लिया जा रहा है, मैं नहीं जानता मोदी जी के कितने वादे पूरे होंगे लेकिन पिछली सरकारों की अपेक्षा वो किसान की बात तो कर रहे हैं। - के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार।
"किसानों की संख्या इतनी ज्यादा है,कि वो मतदाता के रूप में महत्वपूर्ण हैं। दूसरा अच्छी बात ये है कि देश में किसान का नाम तो बार-बार लिया जा रहा है, मैं नहीं जानता मोदी जी के कितने वादे पूरे होंगे लेकिन पिछली सरकारों की अपेक्षा वो किसान की बात तो कर रहे हैं।" के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार और अध्यक्ष, आईएफ़डबल्यूजे कहते हैं।
सॉइल हेल्थ कार्ड की योजना राजस्थान से ही शुरू हुई थी। आज ये भी बहुत सुखद संयोग है कि जब सरकार ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को, लागत का डेढ़ गुना करने का अपना वादा पूरा किया है, तो भी सबसे पहले मुझे राजस्थान आने का ही अवसर मिला है। pic.twitter.com/4M01jb2OWe
— Narendra Modi (@narendramodi) July 7, 2018
किसान का सुर्खियों में रहना भी अच्छे का संकेत
"न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी को पीएम बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, इसलिए उसकी हर स्तर पर ब्रांडिंग की जा रही है। लेकिन इस किसान चर्चा का ये मतलब भी नहीं कि किसानों के लिए सब ठीक है, योजनाएं बनीं हैं वो असर भी दिखा सकती हैं, अगर वो सही तरीके से जमीन पर उतर जाएं। लेकिन किसान की लगातार चर्चा होना, उसका सुर्खियों में रहना भी अच्छे का संकेत है।" के. विक्रम आगे कहते हैं।
इक्कीस जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के शाहजहांपुर की किसान कल्याण रैली में प्रधानमंत्री का पूरा फोकस गन्ना किसानों पर रहा। पीएम ने कहा, "सरकार ने गन्ना किसानों के जीवन में मिठास लाने के लिए गन्ने का लाभकारी मूल्य 275 रुपए तय किया है। इससे किसानों को लागत पर 80 फीसदी का लाभ मिलेगा।" यहां उन्होंने गन्ना किसानों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया तो अपनी सरकार के दूरदृष्टि सोच का भी जिक्र किया। पीएम ये भी बताना नहीं भूले कि खरीफ सीजन में जिन 14 फसलों के सरकारी मूल्य में 200 से लेकर 1800 रुपए की बढ़ोतरी की वैसी इतिहास में कभी नहीं हुई।
इससे पहले 14 जुलाई को यूपी के आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के शिलान्यास कार्यक्रम में उन्होंने यह एक्सप्रेसवे किसानों की जिंदगी बदलने वाला बताया। उन्होंने कहा था, "एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल के किसान, कुम्हार, बुनकर के काम को गति और नई दिशा मिलेगी, अब पूर्वांचल के किसान अपना दूध-फल सब्जी दिल्ली की मंडी तक पहुंचा सकेंगे।
India's farmer is the nation's pride. The hardwork of our farmers combined with the support they are getting from the Government will fulfil our dream of doubled farmer incomes by 2022, when we mark 75 years of Independence. https://t.co/omQLnb48q6 pic.twitter.com/cnC2l5Y9Mr
— Narendra Modi (@narendramodi) July 16, 2018
किसान चुनाव जितवा सकते हैं
यूपी से पहले पीएम ने पंजाब के मलोट में किसानों से उनकी आमदनी दोगुनी करने का वादा दोहराया। पीएम ने कहा, "उनकी सरकार शुरू से किसानों की मर्ज का इलाज करने में जुटी है, मिट्टी के जांच पर ही 1200 करोड़ रुपए खर्च कर 15 करोड़ स्वाइल हेल्थ कार्ड बांटे हैं।"
किसान चुनाव जितवा सकते हैं, इसीलिए उन तक पहुंचने की हर कोशिशें राजनीतिक दल करते हैं। "किसान भारत का सबसे बड़ा वोट बैंक है। वो जाति-धर्म से ऊपर है। सरकार चर्चा इसलिए कर रही है क्योंकि उन्होंने कई अच्छी योजनाएं बनाई हैं। बस वो सही तरीके से किसानों तक पहुंच जाएं।" रुरल मार्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राज झा फोन पर गाँव कनेक्शन को बताते हैं। आरएमआई ग्रामीण भारत में काम करने वाली कंपनियों की एसोसिशएन (इंडस्ट्री बॉडी) है।
लेकिन ये राह इनती आसानी नहीं, लागत पर डेढ़ गुना एमएसपी, देश में पिछले चार वर्षों की गिरती कृषि विकास दर, फसल बीमा, कृषि जिसों के निर्यात में कमी और चीनी-प्याज और खाद्य तेल के आयात से देसी किसानों को नुकसान, गन्ना किसानों का बकाया, कर्ज़माफी जैसे अहम बिंदुओं को किसान संगठन ही नहीं, विपक्ष भी मुद्दा बना रहे हैं।
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130 किसान संगठन कर चुके हैं गाँव बंद
देश में 400 से ज्यादा किसान संगठन किसानों की बदहाली को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। वीएम सिंह, योगेंद्र यादव, राजू शेट्टी की अगुवाई वाली किसान संघर्ष समन्वय समिति में किसान संगठनों का आंकड़ा 200 को पार कर गया है। बीस जुलाई को लोकसभा में जब अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा मचा था, दिल्ली में हजारों किसान अपना अविश्वास जता रहे थे।
जून में मध्य प्रदेश समेत 7 राज्यों में आम किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन, भारतीय किसान मजदूर संघ समेत 130 संगठन गाँव बंद कर चुके हैं। इनमें से कई संगठन अब वोटबंदी की बात कर रहे हैं। शायद यही वजह है कि पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार जीतने वाले मध्य प्रदेश में अब किसान-किसान का शोर है। शिवराज सरकार में किसान चालीसा की भी चर्चा है।
साल 2019 से पहले 2018 में मध्य प्रदेश में चुनाव हैं। मध्य प्रदेश की राजनीति को समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह कहते हैं, "शिवराज सिंह ने एक नारा दिया है। "नया जमाना आएगा, कमाने वाला खाएगा।" ऐसे नारे तो कभी कम्यूनिस्ट पार्टियों और कांग्रेस के हुआ करते थे, ये नारा बताता है कि बीजेपी बदलाव की तरफ है। उसकी नजर अब अपने कैडर वोट के अलावा किसान और मजदूरों पर है।"
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बजट के सहारे गिनवा रही उपलब्धियां
लेकिन सरकार बढ़ी हुई एमएसपी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, एफपीओ, नीम कोटेड यूरिया, यूपी महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में कर्जमाफी, ऑपरेशन ग्रीन, किसान कल्याण कार्यशालाएं और खेती के बढ़ाए हुए बजट के सहारे अपनी उपलब्धियां गिनवा रही है। सरकारी आंकड़े और उससे जुड़े लोग बार-बार याद दिलाते हैं। साल 2009 से 2014 तक खेती के लिए 1,21,082 करोड़ का कुल बजट रहा, जबकि 2014-19 के बीच का बजट 2.11,694 करोड है।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने अपने लेख में कहा, "पीएम मोदी के सपनों के न्यू इंडिया का मुख्य उद्देश्य सबका साथ सबका विकास है और किसानों की भलाई उसका एक अभिन्न हिस्सा है। किसी भी बदलाव की शुरुआत जागरूकता से होती है। इसके लिए सरकार 'लैब-टू-लैंड', 'हर खेत को पानी'और 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' जैसे संदेशों से उनका उत्साह बढ़ा रही है।"
आज का दिन यूपी के लिए ऐतिहासिक है। आज बाणसागर बांध समेत 4,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास किया गया।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2018
इन योजनाओं से मेरे कर्मठ किसान भाइयों और बहनों को खासकर फायदा होगा । pic.twitter.com/gQ28AZohNg
किसानों की आमदनी पांच गुना करने की केजरीवाल की योजना
"किसान के खेत की 1/3 भूमि पर सोलर प्लांट लगाया जाएगा, इसमें किसान को अपनी तरफ से 1 भी पैसे का इन्वेस्टमेंट नहीं करना है।
— AAP (@AamAadmiParty) July 25, 2018
इससे किसानों की आय में 3 से 4 गुना की बढ़ोतरी होगी और दिल्ली सरकार के विभागों के 400 से 500 करोड़ रूपये भी बचेंगे"- @ArvindKejriwal#जय_जवान_जय_किसान pic.twitter.com/4adWZ9DWMO
दिल्ली में भले ही किसानों की संख्या कम हो लेकिन आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए किसान महत्वपूर्ण हैं। 'आप'का कहना है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जो मुख्यमंत्री किसान आय बढ़ोतरी सोलर योजना शुरू की है, उससे आने वाले कुछ ही वर्षों में किसानों की आय तीन से पांच गुना हो जाएगी। कैबिनेट मीटिंग के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा कि, मौजूदा समय में किसानों की प्रति एकड़ दर से 20 हजार से 30 हजार रुपए की आय होती है? इस योजना से किसानों की आय प्रति एकड़ से तीन से पांच गुना तक बढ़ जाएगी।"
राहुल गांधी को भी किसानों का सहारा
सड़क से लेकर संसद तक राहुल गांधी जब भी बोलते हैं, अक्सर उनकी बातों में किसान का जिक्र होता है। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उन्होंने किसानों की बदहाली का मुद्दा उठाते हए प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश की। एमएसपी और कर्ज़माफी को लेकर राहुल गांधी तंज कसते हुए एक ट्वीट में लिखते हैं, देश के 12 करोड़ किसानों के लिए प्रधानमंत्री की न्यूनतम समर्थन मूल्य में महान बढ़ोतरी मात्र 15,000 करोड़ रुपए है, जबकि कर्नाटक में कांग्रेस ने छोटे और मझोले किसानों का 34,000 करोड़ कर्ज़ा माफ किया है। ये बात वो सदन में भी दोहरा चुके हैं।
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