बेनतीजा रही सरकार और किसानों के बीच की बैठक, अगली वार्ता 15 जनवरी को
Arvind Shukla 8 Jan 2021 8:18 AM GMT
नई दिल्ली/लखनऊ। सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बैठक बेनतीजा रही। किसान संगठन कृषि कानूनों की वापस की अपनी मांग पर अड़े रहे तो सरकार ने कहा कि वो कानून वापस नहीं ले सकती क्योंकि बहुत सारे किसान और किसान संगठन कानूनों के समर्थन में हैं। सरकार ने किसानों को कोर्ट जाने का विकल्प दिया लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि वो कोर्ट नहीं जाएंगे और अपनी मांगे पूरे होने तक आँदोलन करेंगे। किसान संगठनों के बीच अगली वार्ता 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे प्रस्तावित है।
8 जनवरी की बैठक को लेकर सुबह तक जो आशाएं थी वो मीटिंग शुरु होने के पहले टूटने लगी थीं, किसानों का आरोप था कि मंत्री लोग बैठक में देर से आए और उन्होंने कृषि कानूनों की वापसी पर चर्चा को आगे नहीं बढ़ाया बल्कि वो पहले की तरह संसोधन की बात करती रही।
इस बैठक में शामिल भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बैठक के दौरान फेसबुक पर लिखा.. सरकार के साथ बैठक में किसानों ने मौन व्रत धारण किया है। किसानों ने कहा कि पहले बिल वापसी फिर घर वापसी। आज की बैठक में किसानों और सरकार की तरफ से शामिल मंत्रियों और कर्मचारियों ने लंच भी अलग-अलग किया है।
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We going for talks with the hope that there will be a resolution today: Rakesh Tikait, Spokesperson of Bharatiya Kisan Union, ahead of 8th round of talks with Centre on the three farm laws pic.twitter.com/WnWb7m8uMz
— ANI (@ANI) January 8, 2021
आज की बैठक का मुख्य एजेंडा तीन कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की मांग है। सरकार कानून में संसोधन को तैयार है लेकिन किसान तीनों कानूनों को कॉरपोरेट हितैषी और खेती के लिए नुकसानदायक बताते हुए वापसी की मांग पर अड़े हैं। एमएसपी को लेकर सरकार ने एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया था, जो एमएसपी कानून के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती। लेकिन छठे दौर की बैठक में किसानों ने साफ कर दिया था कि पहले कृषि कानून वापस होंगे फिर बात होगी।
आठवें दौर की बैठक से पहले 7 जनवरी को दिल्ली के बाहरी इलाकों में किसान संगठनों ने हजारों ट्रैक्टर के साथ ट्रैक्टर मार्च किया था, किसानों ने इसे 26 जनवरी की परेड का ट्रेलर बताया था। किसानों ने 30 दिसंबर की बैठक के बाद सरकार को चेतावनी दी थी अगर किसान आंदोलन का जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो किसान न सिर्फ आंदोलन तेज करेंगे बल्कि दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर के साथ परेड भी करेंगे। ट्रैक्टर मार्च की संबंधित वीडियो यहां देखिए
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आज की बैठक से पहले कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने भी समाधान निकलने की उम्मीद जताई। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि भारत सरकार कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है। इससे उन्होंने 7 जनवरी को भी बैठक में समाधान की उम्मीद जताई थी और किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
बैठक से पहले किसान आंदोलन में शामिल पश्चिम बंगाल के पूर्व सांसद अखिल भारतीय किसान महासभा से जुड़े हन्नान मोल्लाह ने कहा कि मुझे नहीं ता आज की चर्चा के दौरान क्या होगा। लेकिन हम बेहतर समाधान की उम्मीद में हैं और खराब हालातों के लिए तैयार भी।
प्रियंका गांधी से मिले कांग्रेसी सांसद
इसी बीच कांग्रेस ने वो सांसद और नेता जो कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे आज, उन्होंने राहुल गांधी के आवास पर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाधी वाड्रा से मुलाकात की है।
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27 नवंबर से दिल्ली के चारों तरफ पर डेरा डाले हैं किसान
सितंबर महीने में संसद के मानसून संत्र में तीनों नए कृषि कानून पास होने केबाद से ही पंजाब हरियामा समेत कई राज्यों के किसान विरोध कर रहे हैं। इस आंदोलन की अगुवाई पंजाब के किसान कर रहे हैं। कई राज्यों के किसानों ने 26-27 नवंबर को चलो दिल्ली का ऐलान किया था। किसान अपने साथ कई महीनों का राशन और रहने का पूरा इंतजाम लेकर चले थे। इस दौरान इन्हें रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने जगह-जगह बैरिकेंड की, हाईवे पर मिट्टी डलवाई, हाईवे को जेसीबी से खुदवाया लेकिन आंदोलनकारी किसान सभी नाकों को तोड़कर 27 नवंबर को दिल्ली पहुंच गए थे।
आंदोलन में भारी संख्या में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान भी शामिल हैं। यूपी के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं तो राजस्थान के किसान हरियाणा-राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर पर एक पखवाड़े से जमा है। दिल्ली आने से रोके जाने पर मध्य प्रदेश के किसानों का एक बड़ा जत्था पलवल में भी आंदोलन कर रहा है। इस दौरान किसान संगठनों और सरकार के बीच 7 दौर की वार्ता हो चुकी है।
किसानों की प्रमुख 4 मांगे हैं
1.तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
2.एमएसपी पर संपूर्ण खरीद को कानून बनाया जाए।
3.प्रस्तावित बिजली विधेयक को वापस लिया जाए।
4.पराली संबंधी नए कानून से किसानों को हटाया जाए
अब तक दो मांगों पर बनी है सहमति
1."इलेक्ट्रिसिटी एक्ट' जो अभी आया नही हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक किसान चाहते हैं, सिंचाई के लिए जो सब्सिडी राज्यों को दी जाती है वो उसी तरह जारी रहे, इस पर किसान यूनियन और सरकार के बीच सहमति हो गई है।
2. कृषि मंत्री के मुताबिक सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और Delhi-NCR से सटे इलाकों में पराली जलाने के लेकर अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने के लिए सहमति बन गई है। कई किसान नेताओं ने भी कहा था कि पराली कानून संबंधी कानून पर सहमति बनी है। जानकारी के मुताबिक इस संबंध में जो एक करोड़ का जुर्माना और सजा का प्रवाधान है, उससे किसानों को अलग रखा जाएगा।
8 जनवरी की बैठक में ये प्रस्ताव रखे जा सकते हैं..
सरकार ऐसा कह सकती है कि ये राज्यों पर लागू होगा कि नए कृषि कानून लागू करें या नहीं। ऐसा भी चर्चा है कि पंजाब हरियाणा के किसानों को इन कानूनों से दूर रखने की बात करें। हालांकि खुद किसान संगठन भी कह रहे हैं कि वो उन्हें उम्मीद है कि शुक्रवार की बैठक में कुछ सकारात्मक हो सकता है, 4 जनवरी की बैठक के बाद किसानों ने कहा था कि सरकार 8 जनवरी की बैठक में कृषि कानूनों पर अहम फैसला ले सकती है।
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