कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं को आज बातचीत के लिए बुलाया, सिर्फ 32 नेताओं को बुलाने से किसान नेता नाराज
किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार ने आज किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। पहले सरकार और किसानों के बीच बातचीत तीन दिसंबर को होनी थी।
गाँव कनेक्शन 30 Nov 2020 6:27 PM GMT
किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को आज बातचीत के लिए बुलाया है। किसान यूनियन और सरकार के बीच पहले तीन दिसंबर को बातचीत होनी थी।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कृषि मंत्री ने कहा कि एक दिसंबर को विज्ञान भवन में दोपहर तीन बजे किसानों नेताओं से बातचीत होगी। सरकार बात करने के लिए तैयार है। इंड को देखते हुए वार्ता जल्द से जल्द करने का फैसला लिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार और किसानों के बीच ये तीसरी वार्ता होगी। पहली वार्ता सचिव स्तर की दिल्ली के कृषि भवन में हुई थी जिसमें मंत्रियों के शामिल न होने पर पंजाब के किसान बैठक छोड़कर चले गए थे।
It was decided that next round of talks will be held on Dec 3 but farmers are agitating, it's winter & there's COVID. So meeting should be held earlier. So farmer leaders - present in 1st round of talks - have been invited at Vigyan Bhavan on Dec 1 at 3 pm: Agriculture Minister https://t.co/1y5DNCT0U0
— ANI (@ANI) November 30, 2020
दूसरी बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में 13 नवंबर को हुई थी। ये बैठक भी बेनतीजा रही थी। किसान नेताओं ने उस वक्त कहा था कि सरकार कानूनों की खूबियां गिना रही थी, लेकिन हम लोग कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े थे। 13 नवंबर को बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की बैठकर सकारात्मक रही है आगे भी बैठकें होंगी, औरअगली तारीख 3 दिसंबर तय की गई थी।
सरकार की ओर मिले निमंत्रण पर संयुक्त किसान मोर्चा ने जवाब दिया है। संगठन ने कहा है कि हमें निमंत्रण मिला है। सरकार सें मिलेंगे या नहीं, इस पर सुबह आठ बजे हमारी बैठक होगी। निर्णय बैठक में ही होगा। सरकार की ओर से 32 किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया गया है। किसान नेता इस बात को भी लेकर नाराज हैं।
किसान नेताओं की मांग है कि सभी किसान नेताओं को बात के लिए बुलाया जाना चाहिए।
किसान अभी भी सिंघु बॉर्डर पर डंटे हुए हैं। सोमवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान संगठनो ने कहा कि वे यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आये हैं। पंजाब और हरियाणा से अभी भी किसानों का जत्था दिल्ली पहुंच रहा है। उधर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर जमा हो गये हैं।
क्या है किसानों की मांग
नई दिल्ली में जमा हुए किसान और संगठनों की कई मांगें हैं, इनमें से चार मुख्य मांगें इस प्रकार हैं-
1- किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आंदोलन के लिए गठित संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ गांव कनेक्शन से कहते हैं कि कृषि कानून किसानों के पक्ष में नहीं है। इससे निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। जमाखोरी बढ़ेगी। बड़ी निजी कंपनियों को फायदा होगा। किसानों का आने वाले भविष्य मुश्किल भरा होगा इसलिए सरकार इसे वापस लेना चाहिए।
2- किसान संगठन सरकार से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को अनिवार्य कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसानों को डर है कि कृषि कानून से एमएसपी व्यवस्था खत्म हो जायेगी। गांव कनेक्शन द्वारा कराये गये 16 राज्यों में सर्वे में शामिल 39 फीसदी किसानों में यही डर दिखा।
3- इसके अलावा संगठन चाहते हैं कि सरकार बिजली बिल संशोधन को समाप्त करे। किसान संगठनों का कहना है कि अगर यह बिल कानून बन जायेगा तो उन्हें मुफ्त या सब्सिडी वाली बिजली नहीं मिलेगी। निजीकरण को बढ़ावा दिया जायेगा और पंजाब में किसानों को मिल रही मुफ्त बिजली बंद हो जायेगी।
4- किसान पराली जालने को लेकर नये नियम को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020 में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नया अध्यादेश पेश किया है जिसके अनुसार जो भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होगा, उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है या उस पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लग सकता है। किसान इस प्रावधान को खत्म करने की मांग कर रहे हैं और साथ पराली जलाने के आरोप में गिरफ्तार किसानों की रिहाई की भी मांग कर रहे हैं।
Updating...
More Stories