किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए स्वदेशी गाय मददगार : कृषि मंत्री

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, पिछले चार साल में दूध उत्पादन 28 प्रतिशत बढ़ा, किसानों की कमाई बढ़ी , देश में 20 भ्रूण हस्तांतरण प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं और उनमें से 19 के प्रस्तावों को अब तक मंजूरी दे दी गई है

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   27 Nov 2018 6:25 AM GMT

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किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए स्वदेशी गाय मददगार : कृषि मंत्री

नई दिल्ली/ लखनऊ। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछले चार साल में देश के दूध उत्पादन 28 प्रतिशत बढ़कर 17 करोड़ 63.5 लाख टन हो गया है। मंत्री ने उत्पादन को बढ़ाने के लिए स्वदेशी गाय की उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में 20 भ्रूण हस्तांतरण प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं और उनमें से 19 के प्रस्तावों को अब तक मंजूरी दे दी गई है। ये केंद्र स्वदेशी गोवंशी नस्लों के 3,000 उच्च जेनेटिक मेरिट बैल का उत्पादन कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय दूग्ध दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि दूध की मांग को बढ़ावा देने की जरूरत है और उन्होंने दूध के प्रसंस्करण स्तर को मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने पर भी जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय गोकुल मिशन, प्रजनन केंद्र खोलने और डेयरी क्षेत्र के लिए समर्पित निधि जैसी पहलों को उभारते हुए कहा, हमने पिछले चार साल में डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं जो वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन प्रयासों के नतीजे दिखाई देने लगे हैं।


मंत्री ने कहा कि वर्ष 2013-14 में देश का दूध उत्पादन 13.77 करोड़ टन था और अब पिछले वत्ति वर्ष में बढ़कर 17 करोड़ 63.5 लाख टन हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 - 18 के दौरान दूध उत्पादन में वार्षिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही, जो वर्ष 2010-14 के दौरान 4.29 प्रतिशत था। मंत्री ने कहा कि किसानों की औसत कीमत जो पहले 22 रुपये प्रति लीटर मिलती थी वह भी अब बढ़कर 29 रुपये प्रति लीटर हो गई है।

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दुग्ध उत्पादन में यूपी अव्वल

देश में उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में तो नंबर वन है, पर अभी भी प्रति गाय-भैंस दुग्ध उत्पादकता काफी कम है। प्रदेश में गायों का प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन औसतन ढाई लीटर है और भैंसों का चार लीटर। जबकि विदेशों में गायों का औसत दुग्ध उत्पादन 40 लीटर होता है।

देसी नस्ल की गायों के सुधार के लिए यूपी सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में डॉ. बीबीएस यादव बताते हैं, "सरकार द्वारा वर्ष 2013-14 में बरेली के मुरिया मुकरम में लगभग 50 करोड़ की लागत से पशु उत्थान केंद्र खोला गया था।अभी भी काम चल रहा है। जिसका काम आने वाले अप्रैल में खत्म हो जाएगा। यहां थारपारकर, साहीवाल, हरियाणा और गंगातीरी के उच्च गुणवत्ता के सांड़ों को लाया जाएगा। क्योंकि देसी नस्लों के लिए अच्छे सांड़ होना चाहिए। जो अभी नहीं है।"

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भारत में पाई जाने वाली गिर और साहीवाल समेत कई नस्लें बहुत कम देखरेख और विपरित वातारण में भी बेहतर दूध देती हैं। लेकिन एक दौर में सरकार ने इन्हें तवज्जों न देकर विदेशी नस्ल की गायों को तवज्जो दिया, जिनमें से ज्यादातर यहां सफल नहीं हो पाईं और देशी गायों की नस्लें भी संकर होकर बिगड़ती होती गईं। बुंदेलखंड के अन्ना पशु (छुट्टा जानवर) उसका बड़ा उदाहरण हैं।

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"संकर नस्ल की गायों का दुग्ध उत्पादन तापमान बढ़ने पर कम हो जाता है। स्वदेशी नस्ल की गायें विपरीत मौसमी परिस्थितियों को झेलने में अधिक सक्षम होती हैं," डॉ. एके चक्रवर्ती, वरिष्ठ वैज्ञानिक राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने गाँव कनेक्शन को बताया। वो आगे कहते हैं "साहीवाल प्रजाति की गाय एक उदाहरण है कि इस स्वदेशी नस्ल की गाय को देश के किसी भी कोने में पाला जा सकता है। इसी तरह मुर्रा प्रजाति की भैंस हर राज्य में पाली जा सकती है।"

इनपुट एजेंसी

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